इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 06 जनवरी, 2023

  • 06 Jan 2023
  • 14 min read

द रेज़िस्‍टेंस फ्रंट पर प्रतिबंध 

हाल ही में केंद्र सरकार ने गैर-कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत द रेज़िस्‍टेंस फ्रंट (TRF) को एक आतंकी संगठन घोषित किया है। द रेज़िस्‍टेंस फ्रंट आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिये ऑनलाइन माध्‍यम से युवाओं की भर्ती कर रहा था। द रेज़िस्‍टेंस फ्रंट गैर-कानूनी आतंकी संगठन लश्‍कर-ए-तैयबा के एक प्रॉक्‍सी गुट के रूप में वर्ष 2019 में अस्तित्‍व में आया। यह संगठन जम्‍मू-कश्‍मीर में आतंकी गतिविधियों के विस्तार, आतंकियों की भर्ती करने, इनकी घुसपैठ कराने और पाकिस्‍तान से हथियारों तथा मादक पदार्थों की तस्‍करी करने में संलिप्‍त है। द रेज़िस्‍टेंस फ्रंट भारत के विरुद्ध आतंकी गुटों में शामिल होने के लिये जम्‍मू-कश्‍मीर के लोगों को उकसाने हेतु सोशल मीडिया मंचों पर मनोवैज्ञानिक अभियान चलाने में भी संलिप्‍त है। द रेज़िस्‍टेंस फ्रंट का कमांडर शेख सज्ज़ाद गुल एक कुख्‍यात आतंकवादी है। 

बीकानेर सौर ऊर्जा परियोजना

हाल ही में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राजस्थान में SJVN की 1000 मेगावाट बीकानेर सौर ऊर्जा परियोजना की आधारशिला रखी। यह परियोजना SJVN लिमिटेड द्वारा अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली अधीनस्थ कंपनी SJVN ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (SGEL) के माध्यम से निष्पाीदित की जा रही है। यह परियोजना राजस्थान के बीकानेर ज़िले के बांदेरवाला गाँव के समीप 5000 एकड़ भूमि पर विकसित की जा रही है, जो देश में सूर्य की सर्वाधिक उपलब्धता वाले क्षेत्रों में से एक है। परियोजना की निष्पादन लागत 5492 करोड़ रुपए है और इस परियोजना के लिये 44.72 लाख रुपए प्रति मेगावाट की व्यवहार्यता अंतराल अनुदान (Viability Gap Funding- VGF) सहायता भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (IREDA) द्वारा प्रदान की जा रही है। परियोजना मार्च 2024 तक चालू होने हेतु प्रस्तावित है। इस परियोजना के शुरू होने के पश्चात् प्रथम वर्ष में 2454.55 मिलियन यूनिट विद्युत उत्पादन होगा और 25 वर्षों की अवधि में लगभग 56838 मिलियन यूनिट संचयी विद्युत उत्पादन होगा। अधिकतम उपयोग शुल्क 2.57 रुपए प्रति यूनिट तय किया गया है, जिससे उपभोक्ताओं को किफायती विद्युत प्रदान करने में सहायता मिलेगी। इस परियोजना के शुरू होने से भारत सरकार को वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता मिलेगी। वहीं इस परियोजना के संचालन से रोज़गार के अवसर भी पैदा होंगे।

पहला पांडुलिपि संग्रहालय

हाल ही में केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में विश्व का ताड़ के पत्तों का पहला पांडुलिपि संग्रहालय स्थापित किया गया है। इस संग्रहालय में भारत की भूमि पर यूरोपीय शक्तियों को पराजित करने वाले एशिया के पहले साम्राज्य त्रावणकोर की कहानियों को प्रदर्शित किया गया है, साथ ही यहाँ 19वीं सदी के अंत तक लगभग 650 वर्षों तक शासन करने वाले त्रावणकोर साम्राज्य के प्रशासनिक, सामाजिक-सांस्कृतिक और आर्थिक पहलुओं की झलक देखी जा सकेगी। संग्रहालय में त्रावणकोर साम्राज्य के जटिल भूमि प्रबंधन, ऐतिहासिक घोषणाओं एवं अंतर्राष्ट्रीय समझौतों के बारे में जानकारी उपलब्ध है। यहाँ कोलाचेल के प्रसिद्ध युद्ध की भी जानकारी उपलब्ध है जिसमें त्रावणकोर के वीर राजा अनिजाम तिरुनल मार्तंड वर्मा (1729-58) ने डच ईस्ट इंडिया कंपनी को परास्त किया था। कोलाचेल तमिलनाडु के कन्याकुमारी से 20 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में स्थित है। यह संग्रहालय राज्य की सांस्कृतिक संपदा बढ़ाने के साथ-साथ शैक्षणिक और गैर-शैक्षणिक विद्वानों हेतु भी महत्त्वपूर्ण है। पहले चरण में पूरे राज्य से एकत्रित 1.5 करोड़ ताड़ के पत्तों के विशाल भंडार से यह अभिलेख सामग्री तैयार की गई है। संग्रहालय में बाँस की खपच्चियाँ तथा ताम्रपत्र भी हैं। यह संग्रहालय तीन सौ साल पुरानी इमारत में स्थित है।

वाल्टर कनिंघम 

नासा के अपोलो कार्यक्रम के अंतर्गत सफल अंतरिक्ष मिशन के सदस्यों में अंतिम जीवित अंतरिक्ष यात्री वाल्टर कनिंघम का 90 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। कनिंघम 1968 के अपोलो-7 मिशन के तीन अंतरिक्ष सदस्यों में से एक थे। इस मिशन की अवधि 11 दिनों की थी और पृथ्वी का चक्कर लगाते हुए उपग्रह का सीधा प्रसारण किया गया था। इसके एक साल बाद ही चंद्रमा पर उपग्रह उतारने का मार्ग प्रशस्त हो गया था। अपोलो नासा का एक कार्यक्रम था जिसका उद्देश्य पृथ्वी के अलावा अंतरिक्ष के अन्य ग्रहों तक पहुँच बढ़ाना था। इस अभियान का नाम ग्रीक के सूर्य देवता अपोलो को समर्पित था। पहली बार वर्ष 1968 में अपोलो मिशन के तहत नासा ने उड़ान भरी थी। चंद्रमा पर पहला मानवयुक्त अभियान अपोलो-8 था, जिसने क्रिसमस की पूर्व संध्या पर चंद्रमा के चारों ओर चक्कर लगाया था। हालाँकि अपोलो-8 चंद्रमा पर नहीं उतरा और पृथ्वी पर वापस आ गया था। मिशन अपोलो-11 पहली बार 20 जुलाई, 1969 को चंद्रमा की सतह पर उतरा था। इस मिशन का हिस्सा नील आर्मस्ट्रांग थे। वह चंद्रमा की सतह पर उतरने वाले पहले व्यक्ति थे।

राष्‍ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली

केंद्र, राज्‍य और केंद्रशासित प्रदेशों की विभिन्‍न स्‍वीकृतियों के लिये राष्‍ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली पोर्टल द्वारा 75 हज़ार से अधिक स्‍वीकृतियाँ प्रदान कर एक नया रिकॉर्ड बनाया गया है। इस पोर्टल पर अब तक 157 देशों के कुल 4 लाख 20 हज़ार विज़िटर्स से स्‍वीकृति संबंधी आवेदन प्राप्त हुए हैं। 1 लाख 50 हज़ार से अधिक निवेशकों ने अपने विशिष्‍ट व्‍यापार मामलों हेतु स्‍वीकृतियों की जानकारी के संदर्भ में एकल खिड़की मॉड्यूल का उपयोग किया। 1 लाख 23 हज़ार से अधिक आवेदनों में से कुल 75 हज़ार 599 स्‍वीकृतियाँ प्रदान की गई हैं। इनमें से 57 हज़ार से अधिक स्‍वीकृतियों की अनुमति वाणिज्‍य मंत्रालय द्वारा दी गई है, जबकि उपभोक्‍ता कार्य मंत्रालय ने 17 हज़ार से अधिक स्‍वीकृतियों की अनुमति दी है। राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली, सरकार से व्‍यापार संबंधी सभी स्‍वीकृतियों हेतु आवेदन के लिये एकमात्र माध्‍यम है, जहाँ से विभिन्‍न मंत्रालयों और विभागों द्वारा आवेदनों पर स्‍वीकृति दी जाती है। 

जगा मिशन 


ओडिशा का जगा मिशन (Jaga Mission) वर्ल्ड हैबिटेट अवार्ड्स 2023 के विजेताओं में से एक है। यह पुरस्कार वर्ल्ड हैबिटेट द्वारा प्रदान किया जाता है और इसे यूएन- हैबिटेट के साथ साझेदारी में आयोजित किया जाता है।  वर्ल्ड हैबिटेट संयुक्त राष्ट्र के सार्वजनिक सूचना विभाग द्वारा मान्यता प्राप्त एक चैरिटी संगठन है। जगा मिशन ओडिशा में सबसे बड़ी भू-स्वामित्व और झुग्गी उन्नयन योजना है तथा विश्व में सबसे बड़ी योजनाओं में से एक है। वर्ष 2017 से जगा मिशन का उद्देश्य शहरी गरीबों के रहन-सहन में सुधार करना और सामाजिक समानता को बढ़ावा देना है। इस महत्त्वाकांक्षी परियोजना का नेतृत्त्व ओडिशा सरकार के आवास और शहरी विकास विभाग द्वारा किया जा रहा है एवं इसका उद्देश्य ओडिशा को भारत का पहला झुग्गी-मुक्त राज्य बनाना है।

पहली महिला भारतीय ओलंपिक पदक विजेता

साक्षी मलिक भारतीय फ्रीस्टाइल रेसलर/पहलवान हैं। वर्ष 2016 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में उन्होंने 58 किग्रा वर्ग में कांस्य पदक जीता, वह ओलंपिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान और देश की चौथी महिला ओलंपिक पदक विजेता बनीं। ओलंपिक खेल अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (International Olympic Committee- IOC) द्वारा आयोजित एक अंतर्राष्ट्रीय खेल उत्सव है, इसका आयोजन प्रत्येक चार वर्ष में किया जाता है। पिछला ओलंपिक खेल 2022 में बीजिंग, चीन में आयोजित किया गया था और आगामी ओलंपिक खेल 2024 में पेरिस, फ्राँस में आयोजित किया जाएगा।

और पढ़ें.. शीतकालीन ओलंपिक

देश का सबसे बड़ा तरल अपशिष्ट उपचार संयंत्र

तिरुपति नगर निगम (MCT), आंध्र प्रदेश फाइटोरिड तकनीक का प्रयोग कर देश का सबसे बड़ा तरल अपशिष्ट उपचार संयंत्र के साथ जल उपचार में एक सार्थक कदम उठाने के लिये तैयार है।

फाइटोरिड तकनीक वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) के राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (NEERI) द्वारा विकसित की गई है। भारत में विभिन्न प्रकार के बायोडिग्रेडेबल अपशिष्ट जल के लिये इसका उपयोग तेज़ी से किया जा रहा है। 

प्रौद्योगिकी में एक निर्मित आर्द्रभूमि शामिल है जिसे विशेष रूप से नगरपालिका, शहरी, कृषि और औद्योगिक अपशिष्ट जल के उपचार हेतु डिज़ाइन किया गया है। यह तकनीक बिना बिजली, न्यूनतम रखरखाव, कम श्रमशक्ति और मुख्य रूप से स्वतः निर्भर रहकर कार्य करती है।

और पढ़े…अपशिष्ट जल प्रबंधन

इष्टतम आवास की क्षति

नीलगिरी भू-परिदृश्य, विविध जलवायु और वनस्पति से परिपूर्ण, जैव विविधता में समृद्ध है और विश्वभर में लुप्तप्राय एशियाई हाथी की सबसे बड़ी एकल आबादी वाला क्षेत्र है। हालाँकि एक अध्ययन में पाया गया कि नीलगिरी बायोस्फीयर रिज़र्व अब लुप्तप्राय एशियाई हाथी के लिये आदर्श आवास (तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल) नहीं रहा। मानव बस्तियों के विकास और कृषि की बहुलता के कारण हाथियों का आवागमन प्रभावित हुआ है, इस कारण इन्हें उप-इष्टतम आवास माने जाने वाले पहाड़ी क्षेत्रों तक ही सीमित रखा है। इन उप-इष्टतम आवासों में इस आकार के जानवरों के लिये खतरनाक क्षेत्रों के कारण उनके जीवित रहने की संभावना कम हो जाती है। अध्ययन से पता चला है कि जब बाधाओं का निर्माण किया जाता है, विशेष रूप से ढलान वाले क्षेत्रों में, तो उनका संचलन अवरुद्ध हो जाता है जिसके चलते जीन प्रवाह कम हो जाता है। यह अंततः इन लुप्तप्राय प्रजातियों के विलुप्त होने के जोखिम को बढ़ा सकता है।

और पढ़ें.. नीलगिरि हाथी कॉरिडोर का मामला

मनोहर अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डा, गोवा

हाल ही में उत्तरी गोवा के मोपा में नवनिर्मित मनोहर अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे का परिचालन शुरु कर दिया गया है

नवंबर 2016 में, प्रधानमंत्री ने इस हवाई अड्डे की आधारशिला रखी थी। इस हवाई अड्डे का निर्माण सतत् बुनियादी ढाँचे को ध्यान में रखकर किया गया है और इसमें अन्य चीजों के अलावा, एक सौर ऊर्जा संयंत्र, हरित भवन, रनवे पर LED लाइटें, वर्षा जल संग्रहण और पुनर्चक्रण क्षमताओं के साथ एक अत्याधुनिक सीवेज उपचार तंत्र शामिल है।

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow