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भारतीय अर्थव्यवस्था

व्‍यवहार्यता अंतर वित्त पोषण योजना

  • 12 Nov 2020
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

व्यवहार्यता अंतराल अनुदान

मेन्स के लिये: 

सामाजिक एवं आर्थिक आधारभूत ढाँचे में PPP को बढ़ावा

चर्चा में क्यों?

हाल ही में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रि‍मंडल समिति ने ‘आधारभूत व्यवहार्यता अंतराल अनुदान’ (Infrastructure Viability Gap Funding- VGF) योजना में सार्वजनिक निजी भागीदारी (PPP) हेतु वित्तीय सहायता के लिये इसे जारी रखने और इसके पुनर्गठन को मंज़ूरी दी है। इसकी समयावधि वर्ष 2024-25 तक है और इसकी कुल लागत 8100 करोड़ रुपए है।

प्रमुख बिंदु: 

  • व्यवहार्यता अंतराल अनुदान (VGF):
    • यह एक ऐसा अनुदान होता है जो सरकार द्वारा ऐसे आधारभूत ढाँचा परियोजना को प्रदान किया जाता है जो आर्थिक रूप से उचित हो लेकिन उनकी वित्तीय व्यवहार्यता कम हो (Economically Justified but not Financially Viable) ऐसा अनुदान दीर्घकालीन परिपक्वता अवधि वाली परियोजना को प्रदान किया जाता है।  
  • पृष्ठभूमि: 
    • केंद्रीय वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग ने वर्ष 2006 में ‘आधारभूत ढाँचे में सार्वजनिक निजी भागीदारी (PPP) को वित्तीय समर्थन देने के लिये योजना’ (व्यवहार्यता अंतराल अनुदान योजना) की शुरुआत उन परियोजनाओं के लिये की थी जो आर्थिक रूप से न्यायोचित है किंतु वाणिज्यिक रूप से व्यावहारिक नहीं है। जिसका मुख्य कारण अधिक पूंजी लागत आवश्यकताएँ, लंबी अवधि और व्यावसायिक स्तर पर उपयोगकर्त्ता शुल्क बढ़ाने में असमर्थता शामिल है। 
    • मौजूदा योजना में कुल परियोजना की 40% VGF हिस्सेदारी केंद्र सरकार और परियोजना की शुरुआत की स्थिति में पूंजी अनुदान  (20% + 20%) के रूप में प्रायोजक प्राधिकरण की ओर से उपलब्‍ध कराई जाती है। 
  • इस संशोधित योजना में सामाजिक आधारभूत ढाँचे में निजी क्षेत्र की सहभागिता को मुख्यधारा में लाने के लिये दो उप-योजनाओं की शुरुआत की गई है।

1. उप योजना-1 (Sub Scheme -1):    

  • यह योजना सामाजिक क्षेत्रों जैसे अपशिष्ट जल शोधन, जलापूर्ति, ठोस कचरा प्रबंधन, स्वास्थ्य एवं शिक्षा क्षेत्रों की आवश्यकता को पूरा करेगी। 
  • इस तरह की परियोजनाओं में पूंजी लागत को पूर्ण रूप से पूरा करने के लिये बैंक संबंधी सामर्थ्य एवं कम राजस्‍व जैसी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है और इस श्रेणी के तहत पात्र परियोजनाओं में कम-से-कम 100% परिचालन लागत पुन: प्राप्त होनी चाहिये। 
  • इसमें केंद्र सरकार VGF के तहत कुल परियोजना लागत का अधिकतम 30% उपलब्‍ध कराएगी और राज्‍य सरकार/प्रायोजक केंद्रीय मंत्रालय/वैधानिक निकाय कुल परियोजना लागत की अतिरिक्त 30% सहायता उपलब्ध करा सकते हैं।

2. उप योजना-2 (Sub Scheme-2):

  • यह उप-योजना प्राथमिक सामाजिक क्षेत्रों की परियोजनाओं को सहायता देगी और ये परियोजनाएँ स्वास्थ्य एवं शिक्षा क्षेत्रों से संबंधित हो सकती है जहाँ कम-से-कम 50% परिचालन लागत की पुन: प्राप्ति संभव है।
  • इन परियोजनाओं में केंद्र एवं राज्य सरकारें मिलकर पहले पाँच वर्षों के लिये पूंजीगत व्यय का 80% तक मुहैया कराएंगी और परिचालन एवं रखरखाव (O & M) लागत का 50% तक खर्च करेंगी।
  • केंद्र सरकार इस परियोजना में कुल परियोजना लागत का अधिकतम 40% उपलब्‍ध कराएगी। इसके अलावा, यह वाणिज्यिक परिचालन के पहले पाँच वर्षों में परियोजना के परिचालन लागत का अधिकतम 25% प्रदान कर सकती है।

इस योजना के तहत परियोजनाओं का दायरा: 

  • इस योजना की शुरुआत के बाद से 64 परियोजनाओं को अंतिम अनुमोदन प्रदान किया जा चुका है और इनकी कुल परियोजना लागत 34228 करोड़ रुपए तथा VGF 5639 करोड़ रुपए है। 
  • वित्त वर्ष 2019-20 के अंत तक 4375 करोड़ रुपए की VGF राशि को वितरित किया जा चुका है।

क्रियान्वयन रणनीति:

  • नई योजना को मंत्रिमंडल की मंज़ूरी मिलने के बाद एक माह की अवधि में लागू किया जाएगा और नई VGF योजना में प्रस्तावित संशोधनों को इसके दिशा-निर्देशों में उपयुक्त रूप से शामिल किया जाएगा।

शामिल व्यय: 

वित्त वर्ष 

आर्थिक आधारभूत ढाँचा क्षेत्र में सार्वजनिक निजी सहभागिता को वित्तीय समर्थन देने की योजना (करोड़ रुपए)

सामाजिक क्षेत्र से जुड़ी आधारभूत अवसंरचना को वित्तीय समर्थन देने की योजना (करोड़ रुपए)

2020-21



1000

400

2021-22

1100

400

2022-23

1200

400

2023-24

1300

400

2024-25

1400

500

कुल

6000

2100

लाभ:

  • इस परियोजना का लक्ष्य सामाजिक एवं आर्थिक आधारभूत ढाँचे में सार्वजनिक निजी सहभागिता (PPP) को बढ़ावा देना है ताकि परिसंपत्तियों का बेहतर सृजन हो और इनके उपयुक्‍त संचालन एवं रखरखाव को सुनिश्चित किया जा सके। साथ ही आर्थिक एवं सामाजिक रूप से आवश्यक परियोजनाओं को वाणिज्यिक रूप से व्‍यावहारिकता में लाया जा सके। 
    • ये परियोजनाएँ देश में आधारभूत ढाँचे के विकास में मदद करेंगी। 
  • प्रस्तावित VGF योजना को नए रूप में लागू करने से सार्वजनिक निजी क्षेत्र की अधिक से अधिक परियोजनाओं को आकर्षित किया जा सकेगा और सामाजिक क्षेत्रों (स्वास्थ्य, शिक्षा, अपशिष्‍ट जल, ठोस कचरा प्रबंधन, जल आपूर्ति आदि) के लिये निजी निवेश में सहायता मिलेगी। 
    • नए अस्पतालों एवं स्कूलों के बनने से रोज़गार के नए अवसर उपलब्ध होंगे। 

स्रोत: पीआईबी 

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