प्रारंभिक परीक्षा
प्रोजेक्ट चीता और गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य
- 16 Sep 2025
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मध्य प्रदेश सरकार गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में एक मादा चीता लाने की योजना बना रही है, जिसका उद्देश्य प्रोजेक्ट चीता के एक भाग के रूप में कुनो राष्ट्रीय उद्यान के बाद इसे चीतों के लिये दूसरे आवास के रूप में स्थापित करना है।
प्रोजेक्ट चीता क्या है?
- परिचय: भारत ने 70 वर्षों से अधिक समय से देश में विलुप्त हो चुके चीतों को पुनः स्थापित करने के लिये वर्ष 2022 में प्रोजेक्ट चीता शुरू किया।
- प्रोजेक्ट टाइगर के तहत संचालित, प्रोजेक्ट चीता विश्व की पहली अंतरमहाद्वीपीय बड़ी जंगली मांसाहारी स्थानांतरण परियोजना है और चीता एक्शन प्लान को क्रियान्वित करती है।
- उद्देश्य: सुरक्षित आवासों में प्रजननशील चीता आबादी को शामिल करना, जो ऐतिहासिक क्षेत्र में विस्तारित हैं।
- खुले वनों और सवाना पारिस्थितिकी तंत्र को पुनर्स्थापित करने के लिये चीतों को एक प्रमुख प्रजाति के रूप में उपयोग करना।
- स्थानीय आजीविका में सुधार के लिये पारिस्थितिक विकास और पारिस्थितिक पर्यटन को बढ़ावा देना।
- सामुदायिक जागरूकता बढ़ाना और मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करना।
- क्रियान्वयन और शासन: पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA), मध्य प्रदेश वन विभाग तथा भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) के सहयोग से प्रोजेक्ट चीता का क्रियान्वयन करता है।
- एक वैधानिक निकाय के रूप में NTCA ने वर्ष 2023 में चीता परियोजना संचालन समिति का गठन किया, ताकि परियोजना के क्रियान्वयन की निगरानी, मूल्यांकन और परामर्श किया जा सके।
- उपलब्धियाँ: नामीबिया से 8 और दक्षिण अफ्रीका से 12 चीतों को कुनो राष्ट्रीय उद्यान में स्थानांतरित किया गया, जहाँ उन्होंने प्राकृतिक व्यवहार प्रदर्शित किया।
- 75 वर्ष बाद भारत में नामीबियाई चीता शावकों का जन्म पुनर्प्रवेश प्रयास में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है।
- 350 से अधिक ‘चीता मित्र’ स्थानीय लोगों को शिक्षित करने और मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने में संलग्न हैं।
गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य के मुख्य तथ्य क्या हैं?
- स्थान: राजस्थान की सीमा से लगे उत्तर-पश्चिमी मध्य प्रदेश में खटियार-गिर शुष्क पर्णपाती वन पारिस्थितिकी क्षेत्र में स्थित है।
- पारिस्थितिकी तंत्र: गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में सवाना, खुले घास के मैदान, शुष्क पर्णपाती वन और नदी तटीय क्षेत्र शामिल हैं। इसे महत्त्वपूर्ण पक्षी एवं जैव विविधता क्षेत्र (IBA) के रूप में मान्यता प्राप्त है।
- भू-आकृति: इसमें पहाड़ियाँ, पठार शामिल हैं और गांधी सागर बाँध तथा चंबल नदी (जो यमुना की सहायक नदी है) अभयारण्य को लगभग दो बराबर भागों में विभाजित करती है।
- वनस्पति: यहाँ की प्रमुख प्रजातियों में खैर, सालाई, तेंदू और अन्य शुष्क पर्णपाती वृक्ष शामिल हैं।
- जीव-जंतु: यह क्षेत्र चिंकारा, नीलगाय, भारतीय तेंदुआ, लकड़बग्घा और कई अन्य प्रजातियों का निवास स्थान है।
- ऐतिहासिक स्थल: इस अभयारण्य में चौरसिगढ़, चतुर्भुज नाला शैलाश्रय, भड़काजी शैलचित्र और हिंगलाजगढ़ किला जैसे स्थल सम्मिलित हैं।
- आदर्श आवास: सवाना पारितंत्र और समृद्ध वन्यजीव विविधता इसे चीते के पुनर्प्रवेश के लिये आदर्श बनाती है। यह केन्या के मासाई मारा (जो अपने सवाना जंगलों और वन्यजीवों के लिये प्रसिद्ध राष्ट्रीय अभयारण्य है) के समान है।
क्या आप जानते हैं?
- चीता (Acinonyx jubatus) फेलिडे (Felidae) परिवार का सदस्य है और सबसे प्राचीन बड़ी बिल्ली (Big Cat) प्रजातियों में से एक है।
यह विश्व का सबसे तेज़ स्थलीय स्तनपायी है, जो अफ्रीका और एशिया के कुछ हिस्सों में पाया जाता है। - नर चीते सामान्यतः झुंड (Coalitions) या अपने भाई-बहनों के साथ रहते हैं, जबकि मादाएँ अधिकांश समय अकेली (Solitary) रहती हैं, सिवाय उस समय के जब वे शावकों का पालन-पोषण कर रही होती हैं।
- चीते की गर्भावधि लगभग 90 से 95 दिन होती है।
UPSC सिविल सेवा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)
प्रिलिम्स
प्रश्न. निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2012)
- काली गर्दन वाला सारस (कृष्णाग्रीव सारस)
- चीता
- उड़न गिलहरी (कंदली)
- हिम तेंदुआ
उपर्युक्त में से कौन-से भारत में प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं?
(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 1, 3 और 4
(c) केवल 2 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4
उत्तर: (b)