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धान का बौनापन

  • 27 Aug 2022
  • 5 min read

हाल ही में रहस्यमय बीमारी ने धान की फसल को प्रभावित किया, जिससे पंजाब और हरियाणा में धान के पौधे "बौने (Dwarfing)" हो गए।

  • वैज्ञानिकों ने 'सदर्न राइस ब्लैक-स्ट्रीक्ड ड्वार्फ वायरस' (SRBSDV) को प्रभावित करने वाला प्रमुख वायरस माना है, जिसका नाम दक्षिणी चीन के नाम पर रखा गया था, जहाँ इसे पहली बार वर्ष 2001 में रिपोर्ट किया गया था।

धान का बौनापन (Paddy Dwarfing)

  • धान के बौने रोग के विशिष्ट लक्षण पौधे का बौनापन और पर्णसमूह पर सफेद क्लोरोटिक धब्बों का दिखना है।
  • बौने पौधों की ऊँँचाई सामान्य पौधों की लंबाई से 1/2-1/3 कम हो गई है।
  • इन पौधों की जड़ें उथली हो गई थीं और इन्हें आसानी से उखाड़ा जा सकता था।
  • इस तरह के पौधे किसानों के खेतों में लगभग सभी खेती की किस्मों में देखे गए थे।
  • पौधों का बौनापन सामान्य रूप से 10% से 25% और कुछ मामलों में 40% से अधिक होने की जानकारी है।
  • बौनापन की घटनाएँ शुरुआती बोई गई धान की फसलों में अधिक स्पष्ट थीं, चाहे वे किसी भी किस्म की हों।

सदर्न राइस ब्लैक-स्ट्रीक्ड ड्वार्फ वायरस' (SRBSDV):

  • सदर्न राइस ब्लैक-स्ट्रीक्ड ड्वार्फ वायरस (SRBSDV) 10 डबल-स्ट्रैंडेड राइबोन्यूक्लिक एसिड RNA सेगमेंट के जीनोम के साथ गैर-आच्छादित (Non-Enveloped) इकोसाहेड्रल वायरस है, जो जीनस फिजीवायरस परिवार (Reoviridae) प्रजाति है।
    • इकोसाहेड्रल वायरस एक समान उप-इकाइयों से युक्त एक वायरस है जो समबाहु त्रिभुज सदृश होते हैं जो एक सममित क्रम में व्यवस्थित होते हैं।
  • SRBSDV व्हाइट-बैक्ड प्लांट हॉपर (WBPH) द्वारा निरंतर संचार और संक्रामक तरीके से प्रेषित होता है।
  • चावल के अलावा, SRBSDV विभिन्न खरपतवार प्रजातियों को भी संक्रमित करता है क्योंकि WBPH के निम्फ, वयस्कों की तुलना में वायरस को अधिक तीव्रता से प्रसारित कर सकती हैं।
    • इस वायरस का लंबी दूरी तक संचरण WBPH के माध्यम से हो सकता है जो तूफान और तीव्र संवहन हवाओं के साथ पलायन करते हैं।

रोकथाम के उपाय:

  • चूँकि वायरल रोगों से निदान हेतु कोई सुधारात्मक उपाय उपलब्ध नहीं है, इसलिये किसानों को नियमित रूप से WBPH को कम करने के लिये फसल की निगरानी करनी चाहिये और कुछ पौधों को थोड़ा झुकाकर आधार पर साप्ताहिक अंतराल पर 2-3 बार टैप करना चाहिये।
  • यदि WBPH लिम्फ/वयस्क पानी पर तैरते हुए दिखाई दें तो कीटनाशकों का छिड़काव पौधों के आधार की ओर किया जा सकता है।
  • किसानों को सलाह दी जाती है कि वे पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (PAU) द्वारा सुझाई गई रोपाई की तरीकों का पालन करें क्योंकि अगेती रोपित फसलों में अधिक बौनापन देखा गया है। यह न केवल वायरल बीमारी के प्रबंधन में मदद करेगा बल्कि जल संरक्षण को भी बढ़ावा देगा।

UPSC  सिविल सेवा परीक्षा पिछले वर्ष के प्रश्न:

प्रश्न: निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2018)

  1. पक्षी
  2. उड़ती धूल
  3. वर्षा
  4. बहती वायु

उपरोक्त में से कौन-से पादप रोग फैलाता है?

(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 3 और 4
(c) केवल 1, 2 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4

 उत्तर: (d)

व्याख्या:

  • पौधों की बीमारियों की व्यापक और गंभीर महामारियां ज्यादातर हवा के झोंके के परिणाम हैं जिनमें उड़ती धूल भी शामिल है जो रोगजनकों के संचरण का कारण बनता है। अतः 2 और 4 सही हैं।
  • बारिश की बूंँदों के छींटे ज्यादातर पर्ण रोगों को पत्ती से पत्ती तक, शूट से शूट तक और यहांँ तक कि एक पौधे से दूसरे पौधे तक फैलाते हैं, जब फसल के बीच में दूरी होती है। अत: 3 सही है।
  • पौधों में रोग संचरण में पक्षी भूमिका निभाते हैं। यह मुख्य रूप से उच्च फूल वाले पौधे परजीवी, आदि के बीजों के फैलाव के माध्यम से होता है। अतः 1 सही है।

स्रोत : इंडियन एक्सप्रेस

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