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नादप्रभु केम्पेगौड़ा

  • 12 Nov 2022
  • 4 min read

हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने नादप्रभु केम्पेगौड़ा की 108 फुट ऊँची प्रतिमा का अनावरण और बंगलूरू हवाई अड्डे के टर्मिनल 2 का उद्घाटन किया, जिसका नाम 16वीं शताब्दी के प्रमुख व्यक्तित्त्व के नाम पर रखा गया है जिन्हें इस शहर की स्थापना करने का श्रेय दिया जाता है।

  • इस प्रतिमा को "स्टैच्यू ऑफ प्रॉस्पेरिटी” कहा जाता है।

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‘स्टैच्यू ऑफ प्रॉस्पेरिटी’ की मुख्य विशेषताएँ:

  • 'वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स' के अनुसार, यह किसी शहर के संस्थापक की पहली और सबसे ऊँची कांस्य प्रतिमा है।
  • प्रसिद्ध मूर्तिकार और पद्मभूषण से सम्मानित राम वनजी सुतार ने प्रतिमा को डिज़ाइन किया है।
    • सुतार ने गुजरात में 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' और बेंगलूरू के 'विधान सौध' में महात्मा गांधी की प्रतिमा का निर्माण कराया था।

अनावरण से पहले राज्य भर में 22,000 से अधिक स्थानों से 'मृतिका' (पवित्र मिट्टी) एकत्र की गई थी, जिसे प्रतिमा के चार टावरों में से एक के नीचे पवित्र मिट्टी को प्रतीकात्मक रूप से मिलाया गया था।

नादप्रभु केम्पेगौड़ा:

  • परिचय:
    • उनका जन्म वर्ष 1513 में येलाहंका के पास एक गाँव में हुआ था।
    • वह 16वीं शताब्दी में विजयनगर साम्राज्य के तहत सामंत थे।
    • वह लिंगायतों के बाद कर्नाटक के दूसरे सबसे प्रभावशाली समुदाय वोक्कालिगा समुदाय के एक प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं।
  • शिक्षा:
    • उन्होंने कुंडापुरा (वर्तमान हेसरघट्टा) के पास गुरुकुल में नौ वर्ष तक अध्ययन किया, जहाँ उन्होंने शासन और मार्शल आर्ट कला की शिक्षा प्राप्त की।
  • उपलब्धियाँ:
    • उन्हें व्यापक रूप से बंगलूरू कर्नाटक के संस्थापक के रूप में स्वीकार किया जाता है।
      • ऐसा माना जाता है कि उन्होंने अपने मंत्री के साथ शिकार करने के दौरान एक नए शहर के विचार की कल्पना की और बाद में प्रस्तावित शहर के चारों कोनों में मीनारें खड़ी करके इसके क्षेत्र को चिह्नित किया।
    • पेयजल और कृषि की ज़रूरतों को पूरा करने के लिये शहर में लगभग 1,000 झीलों को विकसित करने का श्रेय भी उन्हें दिया जाता है।
    • केम्पेगौड़ा को मोरासु वोक्कालिगा की एक महत्त्वपूर्ण प्रथा 'बांदी देवारू' के नाम से प्रचलित एक रिवाज के दौरान एक अविवाहित महिला के बाएँ हाथ की उंगलियाँ काटने की प्रथा को खत्म करने का श्रेय दिया जाता है।
  • मृत्यु:
    • लगभग 56 वर्षों तक शासन करने के पश्चात् वर्ष 1569 में उनकी मृत्यु हो गई।
  • मान्यता:
    • राज्य सरकारों ने कई महत्त्वपूर्ण स्थलों का नाम उनके नाम पर रखा है, जैसे केम्पेगौड़ा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, केम्पेगौड़ा बस स्टैंड और नादप्रभु केम्पेगौड़ा मेट्रो स्टेशन।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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