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रहस्यमयी तारे द्वारा रेडियो तरंग और एक्स-रे का उत्सर्जन

  • 04 Jun 2025
  • 3 min read

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

खगोलविदों ने एक अनोखी खगोलीय वस्तु की खोज की है जो हर 44 मिनट में एक साथ रेडियो तरंगें और एक्स-रे उत्सर्जित करती है। यह वस्तु हाल ही में पहचानी गई श्रेणी "दीर्घ-अवधि रेडियो ट्रान्सिएंट" की एक दुर्लभ सदस्य के रूप में चिह्नित की गई है।

  • यह मिल्की वे आकाशगंगा में स्थित है और पृथ्वी से लगभग 15,000 प्रकाश-वर्ष दूर, स्कूटम तारामंडल की दिशा में पाया गया है।
  • दीर्घ-अवधि रेडियो ट्रान्सिएंट कुछ मिनटों से लेकर घंटों तक की अवधि में तीव्र रेडियो विस्फोट उत्सर्जित करते हैं, जो सामान्य पल्सर की तुलना में कहीं अधिक समय लेते हैं। पल्सर तेज़ घूर्णन के कारण मिलीसेकंड्स से सेकंड्स में चमकते और बुझते रहते हैं।
    • पल्सर तेज़ी से घूमने वाले न्यूट्रॉन तारे होते हैं, जो किसी विशाल तारे के क्षय के बाद उसके संकुचित कोर से बनते हैं।
  • इस वस्तु की प्रकृति अभी तक अज्ञात है और इसकी संभावित पहचानों में शामिल हैं:
    • एक मैग्नेटार (एक घूर्णनशील न्यूट्रॉन तारा जिसमें अत्यंत शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र होता है)
    • एक श्वेत बौना, जो एक द्विआधारी प्रणाली (बाइनरी सिस्टम) में अपने साथी तारे के साथ स्थित होता है।
      • सूर्य से आठ गुना तक अधिक द्रव्यमान वाले तारे श्वेत बौने (White Dwarf) के रूप में अपना अंत करते हैं। हाइड्रोजन ईंधन समाप्त हो जाने के बाद, ये तारे लाल दानव (Red Giant) के रूप में फैल जाते हैं, अपनी बाह्य परतों को छोड़ देते हैं और अंततः सिकुड़कर पृथ्वी के आकार के एक घने कोर में बदल जाते हैं, जिसे श्वेत बौना कहा जाता है।
  • शोधकर्त्ताओं ने अपने अध्ययन के लिये नासा की चंद्रा एक्स-रे वेधशाला और अन्य दूरबीनों से प्राप्त आँकड़ों का उपयोग किया।
  • रेडियो तरंगों की तरंगदैर्घ्य लंबी और आवृत्ति कम होती है, जिसका उपयोग मुख्य रूप से रेडियो तथा टेलीविज़न जैसे संचार के लिये किया जाता है। एक्स-रे की तरंगदैर्घ्य कम और आवृत्ति अधिक होती है, जिससे वे पदार्थों में प्रवेश कर सकते हैं तथा इनका व्यापक रूप से चिकित्सा इमेजिंग में उपयोग किया जाता है।    

और पढ़ें: मैग्नेटर्स से संबंधित एस्ट्रोसैट की खोज

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