प्रारंभिक परीक्षा
ISRO अंतरिक्ष एनालॉग मिशन 'HOPE'
- 08 Aug 2025
- 29 min read
स्रोत: ISRO
चर्चा में क्यों?
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने लंबी अवधि के अंतरिक्ष मिशनों से संबंधी चुनौतियों का अनुकरण और अध्ययन करने हेतु त्सो कर घाटी (लद्दाख) में हिमालयन आउटपोस्ट फॉर प्लेनेटरी एक्सप्लोरेशन (HOPE) नामक अंतरिक्ष अनुरूप मिशन का उद्घाटन किया है।
HOPE मिशन क्या है?
- परिचय: यह ISRO के इंडियन ह्यूमन स्पेसफ्लाइट प्रोग्राम (भारतीय मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम) का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य भविष्य के अंतरग्रहीय मिशनों, विशेष रूप से चंद्रमा और मंगल से संबंधी मिशनों के लिये प्रौद्योगिकियों और मानव स्वास्थ्य प्रोटोकॉल का परीक्षण करने हेतु अंतरिक्ष जैसी स्थितियों का अनुकरण करना है।
- उद्देश्य: इस मिशन का मुख्य लक्ष्य मानव अंतरिक्ष उड़ान के दौरान होने वाली शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और परिचालन संबंधी चुनौतियों का अध्ययन करना है, ताकि भविष्य के मानवयुक्त अंतरिक्ष अन्वेषण मिशनों की योजना और तैयारी को बेहतर बनाया जा सके।
- यह एपिजेनेटिक, जीनोमिक विश्लेषण, स्वास्थ्य निगरानी प्रोटोकॉल और माइक्रोबियल नमूना तकनीकों पर केंद्रित है।
- स्थल चयन: लद्दाख की त्सो कार घाटी का चयन मंगल ग्रह जैसे वातावरण- उच्च UV विकिरण, निम्न वायुदाब, लवणीय पर्माफ्रॉस्ट और शीत तापमान (15°C से -10°C) के कारण किया गया।
- ऑक्सीजन का स्तर समुद्र तल का केवल 40% है और चट्टानी, रेतीली मृदा मंगल ग्रह की मृदा से मिलती-जुलती है।
- यह जीवन रक्षक प्रणालियों, आवास प्रौद्योगिकी और रोवर मूवमेंट के परीक्षण को सक्षम बनाता है, साथ ही इन-सीटू संसाधन उपयोग (ISRU) और खगोल जीव विज्ञान के उपयोग पर अनुसंधान का समर्थन करता है।
- महत्त्व: यह मिशन गगनयान सहित पृथ्वी की निचली कक्षा (Low Earth Orbit- LEO) के लिये भविष्य के मानवयुक्त मिशनों और 2040 तक भारतीय चंद्र लैंडिंग की तैयारी में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- यह महत्त्वपूर्ण डेटा उत्पन्न करता है, तकनीकी तत्परता और स्वास्थ्य प्रोटोकॉल को सुदृढ़ करता है और सार्वजनिक-निजी-शैक्षणिक सहयोग के माध्यम से आत्मनिर्भर अंतरिक्ष अनुसंधान को बढ़ावा देता है।
नोट:
- लद्दाख में स्थित त्सो कर आर्द्रभूमि क्षेत्र एक रामसर स्थल है, जिसे आर्द्रभूमियों पर अंतरराष्ट्रीय रामसर कन्वेंशन द्वारा संरक्षण का दर्जा प्रदान किया गया है।
अंतरिक्ष अनुसंधान में पहले के एनालॉग मिशन
- भारत:
- लद्दाख ह्यूमन एनालॉग मिशन (LHAM), लेह (2024): इसरो का पहला मंगल और चंद्रमा एनालॉग मिशन, जिसमें अंतरिक्ष आवास प्रौद्योगिकियों का परीक्षण कृत्रिम अंतरिक्ष परिस्थितियों में किया गया।
- अनुगामी (जुलाई 2025): गगनयान एनालॉग एक्सपेरिमेंट (GANEX) के तहत 10-दिन का एनालॉग प्रयोग, जिसका उद्देश्य मानव अंतरिक्ष उड़ान की तैयारी को आगे बढ़ाना है।
- विश्व स्तर पर:
- डेज़र्ट RATS (NASA): एरिज़ोना के रेगिस्तानों में आयोजित, जिसका उद्देश्य चंद्रमा और मंगल अभियानों के लिये रोवर्स और बाह्य-यात्री गतिविधियों (EVA) का परीक्षण करना है।
- NEEMO (NASA): इसमें अंतरिक्ष यात्री एक्वेरियस, जो दुनिया का एकमात्र पानी के भीतर शोध स्टेशन है, में रहते हैं, ताकि अंतरिक्ष मिशन जैसी परिस्थितियों का अनुकरण किया जा सके।
- HI-SEAS: हवाई में स्थित एक मार्स एंड मून एनालॉग स्टेशन, जिसे इंटरनेशनल मूनबेस एलायंस (IMA) द्वारा संचालित किया जाता है, ताकि चंद्र अन्वेषण और अनुसंधान को समर्थन मिल सके।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न
प्रिलिम्स:
प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)
इसरो द्वारा प्रक्षेपित मंगलयान
- को मंगल ऑर्बिटर मिशन भी कहा जाता है।
- के कारण अमेरिका के बाद मंगल ग्रह की परिक्रमा करने वाला भारत दूसरा देश बना।
- ने भारत को अपने अंतरिक्ष यान को अपने पहले ही प्रयास में मंगल ग्रह की परिक्रमा करने में सफल होने वाला एकमात्र देश बना दिया।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
(a) केवल
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (c)