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ICMR द्वारा सिकल सेल रोग हेतु पहले स्टिग्मा स्केल का अनावरण

  • 27 May 2025
  • 7 min read

स्रोत: द हिंदू 

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने भारत के लिये ICMR-SCD स्टिग्मा स्केल (ISSSI) विकसित किया है, जो सिकल सेल रोग (SCD) से पीड़ित रोगियों और उनके देखभाल करने वालों द्वारा सामना किये जाने वाले स्टिग्मा का मापन करने और उसका निवारण करने के लिये देश का पहला साधन है। इस पैमाने में दो घटक शामिल हैं: रोगियों के लिये ISSSI-Pt और देखभाल करने वालों के लिये ISSSI-Cg।

भारत के लिये ICMR-SCD स्टिग्मा स्केल की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?

  • बहुआयामी साधन: इसके अंतर्गत 5 क्षेत्रों में स्टिग्मा का आकलन किया जाता है- पारिवारिक/प्रजनन संबंधी स्टिग्मा, प्रकटीकरण संबंधी मुद्दे, अस्वस्थता का भार, भेदभाव और स्वास्थ्य देखभाल संबंधी स्टिग्मा।
  • सांस्कृतिक आधार: भारत की जनजातीय, क्षेत्रीय और भाषाई विविधता को प्रतिबिंबित करने के लिये 6 SCD-स्थानिक ज़िलों में विकसित किया गया।
    • अफ्रीका और अमेरिका के मौजूदा 3 SCD स्टिग्मा पैमाने, फेनोटाइपिक, सामाजिक-सांस्कृतिक और प्रासंगिक विषमताओं के कारण भारत के लिये अनुपयुक्त थे, जिसके लिये स्थानीय रूप से एक प्रासंगिक साधन की आवश्यकता थी।
  • मान्य एवं विश्वसनीय: मनोवैज्ञानिक रूप से सुदृढ़, लाक्षणिक उपयोग, अनुसंधान और नीति मूल्यांकन के लिये उपयुक्त।

सिकल सेल रोग क्या होता है?

  • परिचय:
    • सिकल सेल रोग (SCD) रक्त संबंधी वंशानुगत विकार है जो हीमोग्लोबिन जीन में आनुवंशिक उत्परिवर्तन के कारण होता है, जिसके कारण लाल रक्त कोशिकाएँ (RBC) अपने सामान्य गोल आकार के बजाय सिकल या अर्द्धचंद्राकार आकार धारण कर लेती हैं।
      • ये सिकल के आकार की लाल रक्त कोशिकाएँ अल्प नम्नशील होती हैं और लघु रक्त वाहिकाओं में सरलता से संचरण करने में अक्षम होती, जिससे अवरोधन की स्थिति उत्पन्न होने की संभावना रहती है।
      • इससे रक्त परिसंचरण बाधित होता है और एनीमिया, अंग क्षति, असह्य दर्द तथा जीवनप्रत्याशा कम हो जाती है। 

SCD

  • कारण :
    • सिकल सेल रोग एक आनुवंशिक विकार है, जो माता-पिता में से प्रत्येक से दो उत्परिवर्तित β-ग्लोबिन जीन प्राप्त होने के कारण होता है, जिसके परिणामस्वरूप असामान्य सिकल हीमोग्लोबिन का उत्पादन होता है।
  • उपचार:
    • जीन थेरेपी: SCD का इलाज अस्थि मज्जा या स्टेम सेल प्रत्यारोपण जैसे तरीकों से CRISPR द्वारा किया जा सकता है।
    • रक्त आधान: ये एनीमिया से राहत दिलाने और दर्द संबंधी संकट के जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं।
    • SCD के लिये दवाओं में वॉक्सेलोटर (सिकल और एनीमिया को रोकता है), क्रिज़ानलिज़ुमैब (वाहिकाओं की रुकावट और दर्द को कम करता है), हाइड्रोक्सीयूरिया (जटिलताओं को कम करता है), और एल-ग्लूटामाइन (दर्द की आवृत्ति को कम करता है), साथ ही दर्द से राहत के लिये नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (NSAID) और ओपिएट्स शामिल हैं।
  • व्यापकता:
    • भारत में SCD एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता का विषय है, तथा विश्व में SCD से प्रभावित व्यक्तियों की संख्या के साथ यह दूसरे स्थान पर है, तथा SCD से जन्म के मामले में नाइजीरिया और कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य  के बाद विश्व स्तर पर तीसरे स्थान पर है।
    • जनजातीय समूहों में वाहक दर 1% से 40% तक है, तथा अधिकांश रोगी ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के जनजातीय क्षेत्रों में केंद्रित हैं।
  • सरकारी पहल:

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. एनीमिया मुक्त भारत रणनीति के अंतर्गत की जा रही व्यवस्थाओं के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः (2023)

  1. इसमें स्कूल जाने से पूर्व के (प्री-स्कूल) बच्चों, किशोरों और गर्भवती महिलाओं के लिये रोगनिरोधक कैल्सियम पूरकता प्रदान की जाती है।
  2.  इसमें शिशु जन्म के समय देरी से रज्जु बंद करने के लिये अभियान चलाया जाता है।
  3.  इसमें बच्चों और किशोरों की निर्धारित अवधियों पर कृमि-मुक्ति की जाती है।
  4.  इसमें मलेरिया, हीमोग्लोबिनोपैथी और फ्रलुओरोसिस पर विशेष ध्यान देने के साथ स्थानिक बस्तियों में एनीमिया के गैर-पोषण कारणों की ओर ध्यान दिलाना शामिल है।

उपर्युक्त कथनों में से कितने सही हैं?

(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) केवल तीन
(d) सभी चार

उत्तर: (c)

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