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केंद्र ने विमुक्त और घुमंतू समुदायों के पुनर्वर्गीकरण से इनकार किया

  • 05 Dec 2025
  • 15 min read

स्रोत: द हिंदू

केंद्र सरकार ने मानवविज्ञान सर्वेक्षण के विस्तृत अध्ययन की अनुशंसा के बावजूद 268 विमुक्त, घुमंतु और अर्द्ध-घुमंतु समुदायों को SC/ST/OBC श्रेणियों में पुनर्वर्गीकृत न करने का निर्णय लिया है। इससे चिंता उत्पन्न हुई है क्योंकि उचित वर्गीकरण न होने से ये समुदाय विभिन्न लाभों विशेषकर SEED जैसी योजनाओं तक प्रभावी रूप से पहुँच नहीं पाते।

 विमुक्त, घुमंतू और अर्द्ध-घुमंतू समुदायों के संदर्भ में

  • विमुक्त जनजातियाँ (Denotified Tribes): विमुक्त जनजातियाँ वे समुदाय हैं जिन्हें ब्रिटिश शासन ने वर्ष 1871 के आपराधिक जनजाति अधिनियम के तहत अनुचित रूप से ‘जन्मजात अपराधी’ घोषित कर दिया था। स्वतंत्र भारत ने वर्ष 1952 में इन्हें ‘विमुक्त’ यानी अपराधमुक्त कर दिया।
  • घुमंतू जनजातियाँ (Nomadic Tribes): ये वे समुदाय हैं जिनका कोई स्थायी निवास नहीं होता और जो अपनी आजीविका के लिये निरंतर एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते रहते हैं। इनकी पारंपरिक गतिविधियों में नमक व्यापार, भविष्यवाणी, लोक-कलाएँ या पशुपालन शामिल रहे हैं।
  • अर्द्ध-घुमंतू जनजातियाँ (Semi-Nomadic Tribes): ये समुदाय आंशिक रूप से घुमंतू होते हैं। इनके पास प्राय: एक स्थायी निवास या आधार होता है जहाँ वे वर्ष के कुछ महीनों (आमतौर पर वर्षा ऋतु में) रहते हैं, लेकिन बाकी समय कार्य की तलाश में विभिन्न स्थानों पर प्रवास करते हैं।
  • SEED योजना (आर्थिक सशक्तीकरण और विकास योजना): यह DWBDNC द्वारा संचालित है और वित्तीय, शैक्षिक तथा कौशल विकास सहायता प्रदान करती है।
    • यह स्व-रोज़गार, उद्यमिता, शिक्षा और स्वास्थ्य पहल का समर्थन करती है।
    • इसका उद्देश्य विमुक्त और घुमंतु समुदायों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार लाना है।
    • अस्पष्ट वर्गीकरण और समुदाय प्रमाणपत्रों की कमी के कारण इसका लाभ उठाने की गति धीमी रही है।

और पढ़ें: विमुक्त, घुमंतु और अर्द्ध-घुमंतु समुदाय

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