प्रारंभिक परीक्षा
तेल का रिसाव
- 27 May 2025
- 9 min read
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
कैल्शियम कार्बाइड तथा डीजल सहित खतरनाक सामग्री ले जा रहा लाइबेरियाई ध्वज वाला एक मालवाहक जहाज़ केरल तट के पास डूब गया, जिससे तेल रिसाव एवं ज्वलनशील गैसों के निकलने को लेकर गंभीर चिंताएँ उत्पन्न हुई हैं।
- कैल्शियम कार्बाइड (CaC2) एक ऐसा रसायन है जो समुद्री जल के साथ अभिक्रिया करके एसिटिलीन गैस (जो अत्यधिक ज्वलनशील और खतरनाक है) का उत्सर्जन करता है।
तेल रिसाव क्या है?
- परिचय: तेल रिसाव से तात्पर्य मानवीय गतिविधियों के परिणामस्वरूप परिवेश में (विशेष रूप से महासागरों, नदियों या तटीय जल में) तरल पेट्रोलियम हाइड्रोकार्बन के रिसाव से है।
- प्रभाव: टैंकरों, अपतटीय प्लेटफाॅर्मों, ड्रिलिंग या कुओं जैसे स्रोतों से डीज़ल, पेट्रोलियम, कच्चे तेल एवं अन्य हाइड्रोकार्बन का रिसाव हो सकता है जिनका समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र, तटीय आजीविका एवं मानव स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र: तेल समुद्री पक्षियों के पंखों और समुद्री स्तनधारियों के फर पर जम जाता है, जिससे हाइपोथर्मिया और मृत्यु हो जाती है। यह मछलियों के गलफड़ों को बंद कर देता है, प्रजनन क्षमता को बाधित करता है और समुद्री जीवन द्वारा निगलने पर विषाक्त हो जाता है।
- तेल की परतें सूर्य के प्रकाश को अवरुद्ध कर देती हैं, जिससे फाइटोप्लांक्टन पर प्रभाव पड़ता है और ऑक्सीजन का स्तर घटता है। प्रवाल भित्तियाँ, मैंग्रोव, ज्वारनदमुख (जैसे सुंदरबन) नष्ट हो जाते हैं, जिससे पारिस्थितिक तंत्र बाधित होता है।
- तटीय आजीविका: तेल रिसाव मत्स्य पालन, जलकृषि और तटीय उद्योगों को बाधित करता है, जिससे स्थानीय समुदायों को आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
- दूषित समुद्र तट और मृत समुद्री जीवन पर्यटन को कम करते हैं, जिससे आजीविका और क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
- सफाई और पुनर्स्थापन के प्रयास सरकारों और उद्योगों पर भारी वित्तीय बोझ डालते हैं।
- मानव स्वास्थ्य: समुद्री खाद्य संदूषण और मत्स्यन में कमी के कारण स्वदेशी समुदायों के स्वास्थ्य और आजीविका पर जोखिम।
- समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र: तेल समुद्री पक्षियों के पंखों और समुद्री स्तनधारियों के फर पर जम जाता है, जिससे हाइपोथर्मिया और मृत्यु हो जाती है। यह मछलियों के गलफड़ों को बंद कर देता है, प्रजनन क्षमता को बाधित करता है और समुद्री जीवन द्वारा निगलने पर विषाक्त हो जाता है।
रिसाव हुए तेल को हटाने के क्या उपाय हैं?
विधि |
विवरण |
बायोरेमेडिएशन |
तेल विघटित करने वाले बैक्टीरिया (जैसे, साइक्लोक्लास्टिकस, ओलिस्पिरा) का उपयोग हाइड्रोकार्बन को विभक्त के लिये किया जाता है; यह पर्यावरण अनुकूल है और प्राकृतिक विषाक्तता निष्कासन को तेज़ करता है। |
कंटेनमेंट बूम्स |
तैरने वाले अवरोध जो तेल के फैलाव को रोकते हैं, नियंत्रण और पुनर्प्राप्ति में सहायता करते हैं तथा पर्यावरणीय प्रभाव को कम करते हैं। |
स्किमर्स |
यह यांत्रिक उपकरण हैं, जिनसे सुरक्षित निपटान या पुनर्चक्रण के क्रम में जल की सतह से तेल एकत्र किया जाता है। |
साॅर्बेंट्स |
ये जल से तेल को अवशोषित कर लेते हैं और प्राथमिक सफाई के बाद छोटे तेल रिसाव या अवशिष्ट तेल के लिये विशेष रूप से उपयोगी होते हैं। प्राकृतिक सॉर्बेंट्स (खरपतवार, ज्वालामुखीय राख), कृत्रिम (पॉलिएस्टर से बने प्लास्टिक के टुकड़े)। |
डिसपर्ज़िंग एजेंट |
यह सर्फेक्टेंट-आधारित रसायन है, जो तीव्र जैव-निम्नीकरण के क्रम में तेल को छोटी बूँदों में विभक्त करते हैं। यह प्रभावी है लेकिन इसकी संभावित विषाक्तता के कारण समुद्री जीवों को नुकसान पहुँच सकता है। |
तेल प्रदूषण नियंत्रण पर कानूनी और संस्थागत ढाँचे क्या हैं?
- भारतीय कानूनी ढाँचा:
- वाणिज्य पोत परिवहन अधिनियम, 1958: यह प्राथमिक समुद्री कानून के रूप में कार्य करता है। इसमें जहाज़ों से होने वाले प्रदूषण, जिसमें तेल उत्सर्जन भी शामिल है, को विनियमित करने के लिये जहाज़ों से होने वाले प्रदूषण की रोकथाम के लिये अंतर्राष्ट्रीय अभिसमय (International Convention for the Prevention of Pollution from Ships- MARPOL) के प्रावधानों को शामिल किया गया है।
- राष्ट्रीय तेल रिसाव आपदा आकस्मिकता योजना (NOS-DCP), 1993: समन्वित तेल रिसाव प्रतिक्रिया के लिये एक प्रमुख रूपरेखा के रूप में, भारतीय तट रक्षक द्वारा कार्यान्वित।
- यद्यपि यह कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं है, फिर भी यह हितधारकों के बीच समय पर और एकीकृत कार्रवाई सुनिश्चित करता है।
- राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) अधिनियम, 2010: NGT समुद्री प्रदूषण सहित पर्यावरण विवादों के त्वरित निर्णय के लिये एक न्यायिक तंत्र प्रदान करता है और क्षति के लिये मुआवज़ा प्रदान करता है।
- अंतर्राष्ट्रीय रूपरेखाएँ:
- बंकर ऑयल अभिसमय (वर्ष 2001): IMO के तहत वर्ष 2015 में भारत द्वारा अनुसमर्थित, यह अभिसमय जहाज़ों के बंकरों से ईंधन तेल रिसाव के कारण होने वाले नुकसान के लिये शीघ्र और पर्याप्त मुआवज़ा सुनिश्चित करता है तथा ऐसी प्रदूषण घटनाओं से प्रभावित लोगों की रक्षा करता है।
- मार्पोल 73/78 (अनुलग्नक I): भारत इस प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का एक पक्षकार है जिसका उद्देश्य जहाज़ों से होने वाले समुद्री प्रदूषण को रोकना है, जिसमें परिचालन उत्सर्जन और आकस्मिक तेल रिसाव दोनों शामिल हैं।
- नागरिक दायित्व अभिसमय (CLC), 1969 और अंतर्राष्ट्रीय तेल प्रदूषण क्षतिपूर्ति निधि (IOPC), 1992: तेल रिसाव से होने वाले नुकसान के लिये दायित्व एवं क्षतिपूर्ति तंत्र स्थापित करना। टैंकर रिसाव की स्थिति में पीड़ितों और सरकारों के लिये वित्तीय वसूली और कानूनी सहारा की सुविधा प्रदान करना।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-से भौंगोलिक क्षेत्र में जैवविविधता के लिये संकट हो सकते हैं? (2012)
निम्नलिखित कूटों के आधार पर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2 और 3 उत्तर: (a) प्रश्न. जीव-विविधता निम्नलिखित माध्यम/माध्यमों द्वारा मानव अस्तित्व का आधार बनी हुई है: (2011)
निम्नलिखित कूटों के आधार पर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1,2 और 3 उत्तर: D |