रैपिड फायर
ताप-सहिष्णु अरहर की उन्नत किस्म
- 13 Jun 2025
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स्रोत: बी.एल.
वैज्ञानिकों ने स्पीड ब्रीडिंग तकनीक का उपयोग करते हुए ICPV 25444 नामक एक ताप-सहिष्णु अरहर (तुअर दाल) की किस्म विकसित की है। इस किस्म में परती भूमि को कृषि योग्य बनाने और दालों के आयात पर निर्भरता कम करने की अपार क्षमता है।
- मुख्य विशेषताएँ: यह किस्म 45°C तक के तापमान को सहन कर सकती है, जिससे यह भारत के उष्ण एवं अर्द्ध-शुष्क क्षेत्रों के लिये उपयुक्त बन जाती है। इसके माध्यम से खरीफ फसल के बाद जल संकट और अत्यधिक गर्मी के कारण परती छोड़ी गई लगभग 1.2 करोड़ हेक्टेयर धान की भूमि का उपयोग किया जा सकता है।
- यह किस्म वर्ष में 4 फसल चक्र पूर्ण करने की अनुमति देती है, जिससे अरहर की नई किस्मों के विकास का समय 15 वर्ष से घटकर केवल 5 वर्ष हो गया है। इसकी उपज क्षमता 1.1–1.2 टन/हेक्टेयर से बढ़कर 2 टन/हेक्टेयर हो गई है और फसल की कटाई अवधि भी सामान्यतः 6–7 महीनों से घटकर 4 महीने रह गई है, जिससे फसल चक्र बेहतर होता है और लाभप्रदता बढ़ती है।
- यह घरेलू उत्पादन में 1.5 मिलियन टन की कमी को पूरा कर सकती है, जिससे भारत की अरहर दाल (India’s pigeonpea imports) की लगभग 800 मिलियन अमेरिकी डॉलर वार्षिक आयात लागत में महत्त्वपूर्ण कमी संभव है।
- दालों के बारे में: भारत विश्व का सबसे बड़ा दाल उत्पादक, उपभोक्ता और आयातक देश है। सरकार का लक्ष्य वर्ष 2028 तक दालों के आयात को पूरी तरह समाप्त करना है।
- शीर्ष 3 दाल उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान हैं।
- अरहर दाल भारत में प्रोटीन से भरपूर एक प्रमुख फलीदार फसल है, जो उष्णकटिबंधीय और अर्द्ध-शुष्क क्षेत्रों में प्रचुरता से उगती है।
- मूल्य समर्थन योजना (PSS) के अंतर्गत जब बाज़ार मूल्य न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से नीचे चला जाता है, तब सरकार किसानों से अधिसूचित दालों, तिलहन और नारियल (खोपरा) की MSP पर खरीद सुनिश्चित करती है।
- केंद्रीय बजट 2025-26 में दलहन में आत्मनिर्भरता के लिये 6 वर्षीय मिशन की घोषणा की गई, जिसका लक्ष्य अरहर, उड़द और मसूर जैसी फसलों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना है।
स्पीड ब्रीडिंग प्रकाश, तापमान और आर्द्रता को नियंत्रित करके पौधों की वृद्धि को तेज़ करती है, जिससे प्रतिवर्ष कई फसल चक्र संभव हो पाते हैं।
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