रैपिड फायर
कवकनाशकों के उपयोग से औषधि-प्रतिरोधी फफूंद संक्रमणों में वृद्धि
- 26 Jun 2025
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स्रोत: द हिंदू
एक अध्ययन से पता चला है कि कृषि कवकनाशी टेबुकोनाज़ोल कैंडिडा ट्रॉपिकलिस (एक फफूंदजनित रोगजनक) में अप्रत्याशित आनुवंशिक परिवर्तन उत्पन्न कर रहा है, जिसके कारण यह कवक फ्लुकोनाज़ोल और वोरिकोनाज़ोल जैसे सामान्य रूप से प्रयुक्त एंटीफंगल औषधियों के प्रति प्रतिरोधी हो गया है।
- कैंडिडा ट्रॉपिकलिस गंभीर फफूंद संक्रमणों के लिये ज़िम्मेदार है, जिसकी मृत्यु दर 55–60% तक होती है।
टेबुकोनाज़ोल
- परिचय: टेबुकोनाज़ोल एक प्रणालीगत, व्यापक-स्पेक्ट्रम कवकनाशी है, जिसका व्यापक उपयोग कृषि में गेहूँ, जौ, चावल, फलों, सब्ज़ियों और घास जैसी फसलों (turf) में फफूंदजनित रोगों के नियंत्रण हेतु किया जाता है।
- कार्य: टेबुकोनाज़ोल, फ्लुकोनाज़ोल और वोरिकोनाज़ोल जैसी चिकित्सीय एंटीफंगल औषधियों के समान, एर्गोस्टेरॉल बायोसिंथेसिस (ergosterol biosynthesis) को अवरुद्ध करके कार्य करता है, जो फफूंद की कोशिका झिल्ली के निर्माण के लिये आवश्यक होता है। इसी कारण इसमें निवारक और उपचारात्मक दोनों गुण पाए जाते हैं।
- इसका व्यापक रूप से बीज उपचार, मृदा सिंचन अथवा पत्तियों पर छिड़काव के रूप में उपयोग किया जाता है, जिससे यह फसलों को बहु-आयामी सुरक्षा प्रदान करता है। हालाँकि, कृषि में इसके अत्यधिक उपयोग ने एंटीफंगल प्रतिरोध को बढ़ावा देने की भूमिका के कारण गंभीर चिंताएँ उत्पन्न की हैं।
- अत्यधिक उपयोग का प्रभाव: कृषि में कवकनाशी टेबुकोनाज़ोल के अत्यधिक उपयोग से कैंडिडा ट्रॉपिकलिस में क्रॉस-प्रतिरोध (cross-resistance) को बढ़ावा मिलता है, क्योंकि यह एन्यूप्लोइडी यानी गुणसूत्रों की संख्या में परिवर्तन उत्पन्न करता है, जिससे प्रतिरोध संबंधित जीनों की अत्यधिक सक्रियता या समाप्ति हो सकती है।
- परिवर्तित प्लॉयडी वाले स्ट्रेन बिना औषधियों के धीमी गति से बढ़ते हैं, लेकिन एंटीफंगल औषधियों के संपर्क में आने पर उनकी जीवित रहने की क्षमता अधिक होती है।
- कुछ स्ट्रेन हैप्लॉइड (केवल एक गुणसूत्र समूह वाले और संभोग करने में सक्षम) बन गए, जिससे प्रतिरोध के फैलने की संभावना और अधिक बढ़ गई।
- प्लॉइडी किसी कोशिका में पूर्ण गुणसूत्र समूहों की संख्या को दर्शाता है। डिप्लॉइड (2n) कोशिकाओं में दो गुणसूत्र समूह होते हैं (जो मानव कोशिकाओं में सामान्यतः पाए जाते हैं), हैप्लॉइड (1n) में एक गुणसूत्र समूह होता है (जैसे शुक्राणु और अंडाणु में), जबकि ट्रिप्लॉइड (3n) में तीन गुणसूत्र समूह होते हैं।
कवकनाशी
- ये फसलों की रक्षा हेतु प्रयुक्त रसायन (पीड़कनाशी) होते हैं, जिनका उपयोग पौधों में फफूंदजनित रोगों के प्रसार को नियंत्रित करने के लिये किया जाता है। इनमें क्लोरोथालोनिल, डाइथियोकार्बामेट्स (जैसे मैनकोज़ेब, मैनब, ज़िनेब), सल्फर डेरिवेटिव आदि शामिल हैं।
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