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रसायन, अपशिष्ट और प्रदूषण पर वैश्विक विज्ञान-नीति पैनल

  • 26 Jun 2025
  • 8 min read

स्रोत: यूएनईपी

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UN Environment Programme- UNEP) के तहत पुंटा डेल एस्टे, उरुग्वे में रसायन, अपशिष्ट और प्रदूषण पर वैश्विक विज्ञान-नीति पैनल की स्थापना की गई है। 

रसायन, अपशिष्ट और प्रदूषण पर वैश्विक विज्ञान-नीति पैनल क्या है?

  • परिचय: यह पैनल IPCC (जलवायु परिवर्तन) और जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं (जैव विविधता) पर अंतर-सरकारी विज्ञान-नीति मंच का पूरक है, जो अंतर-सरकारी विज्ञान-नीति निकायों का एक त्रिकोण बनाता है त्रिग्रहीय संकट (जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता हानि और प्रदूषण) को संबोधित करता है। 
    • यह प्रदूषण और अपशिष्ट पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित करके वैश्विक पर्यावरण शासन में एक महत्वपूर्ण अंतर को भरता है।
  • उद्देश्य: इसका उद्देश्य साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण के माध्यम से प्रदूषण से निपटने, खतरनाक रसायनों और अपशिष्ट का प्रबंधन करने तथा पर्यावरण एवं मानव स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिये वैश्विक प्रयासों को मज़बूत करना है।
  • महत्त्वपूर्ण कार्य:
    • रसायनों, अपशिष्ट और प्रदूषण पर स्वतंत्र, नीति-प्रासंगिक वैज्ञानिक सलाह प्रदान करना।
    • वैज्ञानिक आकलन करना, अनुसंधान अंतराल की पहचान करना और साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण का समर्थन करना
    • प्रभावी प्रदूषण नियंत्रण उपायों को लागू करने के लिये विकासशील देशों में क्षमता निर्माण को बढ़ावा देना।
    • उभरते खतरों का पता लगाने और निवारक कार्रवाई का मार्गदर्शन करने के लिये क्षितिज स्कैनिंग में संलग्न हों।
    • सूचित निर्णय लेने को सुनिश्चित करने के लिये वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं के बीच सहयोग को बढ़ावा देना।
    • महत्त्व:
      • दैनिक जीवन में बढ़ते और अनियमित रासायनिक उपयोग से स्वास्थ्य और पारिस्थितिकीय जोखिम बढ़ गया है।
      • अनुमान है कि नगरीय ठोस अपशिष्ट 2023 में 2.1 बिलियन टन से बढ़कर 2050 तक 3.8 बिलियन टन हो जाएगा।
      • पिछले दो दशकों में प्रदूषण से संबंधित मौतों में 66% की वृद्धि हुई है।महत्त्व: 

    IPCC

    • जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (Intergovernmental Panel on Climate Change - IPCC) संयुक्त राष्ट्र (UN) की एक संस्था है, जो जलवायु परिवर्तन से संबंधित विज्ञान का मूल्यांकन करती है।
    • इसकी स्थापना वर्ष 1988 में विश्व मौसम विज्ञान संगठन और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा की गई थी जिसका उद्देश्य नीति निर्माताओं को जलवायु परिवर्तन के वैज्ञानिक आधार, इसके प्रभावों व भविष्य के जोखिमों तथा अनुकूलन एवं शमन के विकल्पों का नियमित आकलन प्रदान करना था।
    • IPCC की रिपोर्टें वैश्विक जलवायु नीति को दिशा देती हैं और अंतर्राष्ट्रीय जलवायु वार्ताओं में प्रमुख भूमिका निभाती हैं।
    • IPCC हर 6–7 वर्षों में व्यापक मूल्यांकन रिपोर्ट प्रकाशित करता है (जैसे: AR6, 2021–2023), जो तीन कार्य समूहों (Working Groups) और एक संश्लेषण रिपोर्ट (Synthesis Report) के माध्यम से तैयार की जाती हैं।
    • यह विशेष रिपोर्ट (जैसे, 1.5 डिग्री सेल्सियस, भूमि, क्रायोस्फीयर पर) तथा ग्रीनहाउस गैस (GHG) इन्वेंटरी के लिये कार्यप्रणाली रिपोर्ट (जैसे, 2006 दिशानिर्देश, 2019 में अद्यतन) भी प्रकाशित करता है।

      IPBES

      • जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं पर अंतर-सरकारी विज्ञान-नीति मंच (Intergovernmental Science-Policy Platform on Biodiversity and Ecosystem Services), वर्ष 2012 में स्थापित किया गया था। यह एक स्वतंत्र अंतर-सरकारी निकाय है, जिसके लगभग 150 सदस्य देश हैं, जिनमें भारत भी शामिल है।
      • यह जैवविविधता, पारिस्थितिकी तंत्र तथा लोगों के लिये उनके योगदान पर वैज्ञानिक आकलन प्रदान करता है, साथ ही उनके संरक्षण तथा सतत् उपयोग के लिये उपकरण और मार्गदर्शन भी प्रदान करता है।
      • हालाँकि यह संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक संस्था नहीं है, फिर भी इसे संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) का समर्थन प्राप्त है और इसका सचिवालय बॉन, जर्मनी में स्थित है।
      • UNEP प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय रासायनिक समझौतों के सचिवालयों की मेज़बानी भी करता है, जिनमें स्थायी कार्बनिक प्रदूषकों पर स्टॉकहोम कन्वेंशन, पारे पर मिनामाटा कन्वेंशन और ग्लोबल फ्रेमवर्क ऑन केमिकल्स (GFC) शामिल हैं:

      संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP)

      • UNEP की स्थापना वर्ष 1972 में की गई थी और इसका मुख्यालय नैरोबी (केन्या) में स्थित है। यह पर्यावरण मुद्दों पर संयुक्त राष्ट्र की अग्रणी एजेंसी है।
      • यह संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा (UNEA) द्वारा शासित होती है और जलवायु परिवर्तन, पारिस्थितिकी तंत्र पुनर्स्थापन, स्वच्छ समुद्र, सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) जैसे वैश्विक कार्यों का समर्थन करती है। यह एमिशन गैप रिपोर्ट और ग्लोबल एनवायरनमेंट आउटलुक जैसी प्रमुख रिपोर्टें प्रकाशित करता है।

        UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)   

      प्रिलिम्स 

      प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-से भौगोलिक क्षेत्र में जैवविविधता के लिये संकट हो सकते हैं? (2012)

      1. वैश्विक तापन
      2.  आवास का विखंडन
      3.  विदेशी जाति का संक्रमण
      4.  शाकाहार को प्रोत्साहन 

      नीचे दिये गए कूट का प्रयोग करते हुए सही उत्तर चुनिये:

      (a) केवल 1, 2 और 3
      (b) केवल 2 और 3
      (c) केवल 1 और 4
      (d) 1, 2, 3 और 4

      उत्तर: (a)

      प्रश्न. जैवविविधता निम्नलिखित तरीकों से मानव अस्तित्व का आधार बनाती है: (2011)

      1. मृदा निर्माण
      2.  मृदा अपरदन की रोकथाम
      3.  अपशिष्ट का पुनर्चक्रण
      4.  फसलों का परागण

      नीचे दिये गए कूट का प्रयोग करते हुए सही उत्तर चुनिये:

      (a) केवल 1, 2 और 3
      (b) केवल 2, 3 और 4
      (c) केवल 1 और 4
      (d) 1, 2, 3 और 4

      उत्तर: (d)

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