अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत-श्रीलंका संबंधों का सुदृढ़ीकरण
- 13 Nov 2025
- 159 min read
यह एडिटोरियल 12/11/2025 को द हिंदू में प्रकाशित “Fishing troubles: On India, Sri Lanka, the Palk Bay fishing issue” पर आधारित है। इस लेख के तहत पाक खाड़ी में लंबे समय से चले आ रहे भारत-श्रीलंका मत्स्य-ग्रहण के विवाद पर चर्चा की गई है, जिसमें पारिस्थितिक क्षरण, आर्थिक क्षति, विधिक जटिलताओं और दोनों देशों के मछुआरों के बीच संघर्ष को सुलझाने के लिये स्थायी, सहयोगात्मक समाधानों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है।
प्रिलिम्स के लिये: पाक खाड़ी, कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन (CSC), SLINEX, MITRA SHAKTI, वेसाक दिवस, कच्चातीवु द्वीप विवाद, नेबरहुड फर्स्ट नीति, एक्ट ईस्ट नीति, BIMSTEC, क्षेत्र में सभी के लिये सुरक्षा और विकास (SAGAR) पहल
मेन्स के लिये: भारत-श्रीलंका संबंधों का महत्त्व, आज भारत-श्रीलंका संबंधों को प्रभावित करने वाली प्रमुख चुनौतियाँ, अपने पड़ोसियों के साथ संबंधों को मज़बूत करने के लिये भारत की प्रमुख विदेश नीतिगत पहल
भारत और श्रीलंका के बीच पाक खाड़ी मत्स्य-ग्रहण का विवाद पारंपरिक आजीविका एवं पर्यावरणीय संधारणीयता के बीच संघर्ष को उजागर करता है। हाल के दिनों में मछुआरों की गिरफ्तारियों तथा विनाशकारी 'बॉटम ट्रॉलिंग' के प्रयोग ने समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को गंभीर क्षति पहुँचाई है जिससे द्विपक्षीय संबंधों में अतिरिक्त तनाव बढ़ गए हैं। इस मुद्दे के समाधान के लिये स्थायी मत्स्य-ग्रहण की प्रथाओं, संयुक्त संसाधन प्रबंधन और राजनयिक जुड़ाव की आवश्यकता है। द्विपक्षीय संबंधों का भविष्य विश्वास निर्माण, रणनीतिक सहयोग और क्षेत्रीय स्थिरता के लिये साझा प्रतिबद्धता पर निर्भर करता है।
भारत-श्रीलंका संबंधों का क्या महत्त्व है?
- ऐतिहासिक और सभ्यतागत संबंध: भारत और श्रीलंका के बीच 2,500 वर्षों के सांस्कृतिक एवं सभ्यतागत संबंध हैं, जिनकी जड़ें बौद्ध धर्म, भाषा और व्यापार में हैं।
- सम्राट अशोक के पुत्र महेंद्र ने ईसा-पूर्व तीसरी शताब्दी में श्रीलंका में बौद्ध धर्म का प्रसार किया और यह ऐतिहासिक सेतु आज भी बौद्ध तीर्थयात्राओं एवं अवशेषों के आदान-प्रदान के रूप में विद्यमान है।
- तमिलनाडु और श्रीलंका के उत्तरी क्षेत्र के मध्य भाषायी एवं जातीय स्तर पर विद्यमान साझा संबंध एक दीर्घकालिक सांस्कृतिक निरंतरता को सुदृढ़ करते हैं।
- सामरिक और भू-राजनीतिक महत्त्व: हिंद महासागर में प्रमुख समुद्री संचार मार्गों (SLOC) के निकट श्रीलंका का स्थान इसे भारत की समुद्री सुरक्षा के लिये अत्यधिक सामरिक प्रासंगिकता प्रदान करता है।
- यह द्वीप भारत के दक्षिणी तट (पाक जलडमरूमध्य में केवल 30 किमी.) के निकट स्थित है, जिससे श्रीलंका में स्थिरता भारत की सुरक्षा संरचना के लिये महत्त्वपूर्ण हो जाती है।
- कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन (CSC) के माध्यम से भारत, श्रीलंका, मालदीव और मॉरीशस के सहयोग से क्षेत्रीय आतंकवाद-रोधी एवं समुद्री निगरानी प्रयासों को बल मिलता है।
- आर्थिक और व्यापारिक संबंध: भारत और श्रीलंका के बीच आर्थिक एवं व्यापारिक संबंध मज़बूत बने हुए हैं, वित्त वर्ष 2023-24 में द्विपक्षीय व्यापारिक व्यापार 5.54 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया है।
- इसमें से, भारत का श्रीलंका को निर्यात 4.11 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा, जबकि श्रीलंका का भारत को निर्यात 1.42 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा, जो भारत की एक प्रमुख व्यापारिक साझेदार के रूप में स्थिति को दर्शाता है तथा दोनों देशों के बीच मौजूदा व्यापार असंतुलन को उजागर करता है।
- वर्ष 2023 तक भारत 2.25 बिलियन अमेरिकी डॉलर के संचयी निवेश के साथ सबसे बड़े प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) योगदानकर्त्ताओं में से एक है।
- आर्थिक और प्रौद्योगिकी सहयोग समझौते (ETCA) पर वार्ता अक्तूबर 2023 में फिर से शुरू हुई, जिसका उद्देश्य गहन व्यापार एवं निवेश एकीकरण है।
- भारत की 'नेबरहुड फर्स्ट नीति' के तहत ऊर्जा, फार्मास्यूटिकल्स और IT जैसे क्षेत्रों का विस्तार हो रहा है
- विकास और मानवीय सहायता: भारत ने आवास (60,000 इकाइयाँ), शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा एवं नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र की परियोजनाओं के लिये 6 बिलियन अमेरिकी डॉलर का ऋण और 780 मिलियन अमेरिकी डॉलर का अनुदान दिया है
- श्रीलंका के वर्ष 2022 के आर्थिक संकट के दौरान, भारत ने ऋण शृंखलाओं, मुद्रा विनिमय और मानवीय सहायता के माध्यम से 4 बिलियन अमेरिकी डॉलर प्रदान किये, जिससे विश्वास एवं सद्भावना सुदृढ़ हुई।
- इसके अलावा, भारत IMF को श्रीलंका (ORF) को कर्ज की पुनर्रचना सहायता का आश्वासन देने वाला पहला देश बन गया।
- जन-केंद्रित परियोजनाएँ सभी प्रांतों को कवर करती हैं, जिससे समावेशी विकास सुनिश्चित होता है।
- श्रीलंका के वर्ष 2022 के आर्थिक संकट के दौरान, भारत ने ऋण शृंखलाओं, मुद्रा विनिमय और मानवीय सहायता के माध्यम से 4 बिलियन अमेरिकी डॉलर प्रदान किये, जिससे विश्वास एवं सद्भावना सुदृढ़ हुई।
- रक्षा और सुरक्षा सहयोग: वर्ष 2025 में हस्ताक्षरित 5-वर्षीय रक्षा समझौता ज्ञापन (MoU) इस क्षेत्र में एक उपलब्धि सिद्ध हुई है, जिसने संयुक्त सैन्य अभ्यासों (SLINEX, MITRA SHAKTI), समुद्री निगरानी, प्रशिक्षण तथा रक्षाप्रौद्योगिकी में सहयोग की संरचना को औपचारिक रूप प्रदान किया है।
- भारतीय नौसेना के डोर्नियर एयरक्राफ्ट श्रीलंका में समुद्री निगरानी के लिये कार्य करते हैं; भारत श्रीलंकाई सशस्त्र बलों के लिये सालाना लगभग 1200 प्रशिक्षण रिक्तियाँ प्रदान करता है।
- भारत ने श्रीलंकाई जलक्षेत्र में पर्यावरणीय आपदाओं (MV XPress पर्ल, MT न्यू डायमंड) के दौरान प्रथम प्रतिक्रियाकर्त्ता की भूमिका निभाई है और कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन के माध्यम से आतंकवाद-रोधी अभियानों में सहयोग करता है।
- कनेक्टिविटी और जन-जन संपर्क: नौका सेवाएँ (नागपट्टिनम-कांकेसंथुराई, 2023), चेन्नई-जाफना फ्लाइट्स (वर्ष 2022), और UPI-आधारित डिजिटल भुगतान (वर्ष 2024) कनेक्टिविटी को बढ़ाते हैं।
- भारत श्रीलंका का सबसे बड़ा पर्यटन स्रोत है, जहाँ वर्ष 2024 में 4.16 लाख से अधिक पर्यटकों (लगभग 20%) का आगमन हुआ।
- 'स्टडी इनइंडिया' और ITEC छात्रवृत्ति जैसी पहल शैक्षणिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देती हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध संग्रहालय में भारतीय गैलरी और ऐतिहासिक मंदिरों के जीर्णोद्धार जैसी परियोजनाएँ बौद्ध विरासत कूटनीति को सुदृढ़ करती हैं।
- वेसाक दिवस का संयुक्त उत्सव और जातक कथाओं का सिंहल में अनुवाद सांस्कृतिक सद्भाव को बढ़ावा देता है।
भारत-श्रीलंका संबंधों को प्रभावित करने वाली प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?
- मछुआरा विवाद: कच्चातीवु द्वीप विवाद अभी भी जारी है, क्योंकि यह द्वीप औपचारिक रूप से श्रीलंका की संप्रभुता (अधिकार) के अंतर्गत आता है जहाँ भारतीय मछुआरों को मत्स्य-ग्रहण की अनुमति नहीं है। उन्हें केवल गैर-मत्स्यन वाली गतिविधियों, जैसे धार्मिक यात्रा या रुकने की अनुमति, वह भी बहुत सीमित स्तर पर, दी जाती है।
- अकेले वर्ष 2024 में श्रीलंकाई अधिकारियों ने श्रीलंकाई जलक्षेत्र में मत्स्य-ग्रहण के कथित उल्लंघन के लिये 500 से अधिक भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार किया।
- वर्ष 2024 में, श्रीलंका ने 71 भारतीय मत्स्य-ग्रहण वाली नौकाओं को ज़ब्त कर लिया, जिन्हें बाद में वर्ष 2018 के कानून के प्रावधानों के तहत राष्ट्रीयकृत कर दिया गया, जो पाक खाड़ी क्षेत्र में मत्स्य-ग्रहण के अधिकारों और समुद्री सीमा उल्लंघन को लेकर जारी तनाव को दर्शाता है।
- भारतीय मशीनीकृत बेड़ों द्वारा समुद्र तल से मत्स्य-ग्रहण (बॉटम ट्रॉलिंग) से पाक खाड़ी में प्रवाल भित्तियों और झींगा आवासों को नुकसान पहुँचता है, जिस पर वर्ष 2017 से श्रीलंका में प्रतिबंध लगा हुआ है।
- ये पारिस्थितिक प्रभाव श्रीलंका के उत्तरी प्रांत में छोटे मछुआरों की आजीविका के लिये खतरा हैं और सीमा पार तनाव को बढ़ावा देते हैं।
- चीनी सामरिक प्रभाव: वर्ष 2017 से 99 वर्ष के पट्टे के तहत हंबनटोटा बंदरगाह पर चीन का नियंत्रण, श्रीलंका के सामरिक समुद्री क्षेत्र में चीन की बढ़ती उपस्थिति का प्रतीक है, जिससे चीन के सैन्य इरादों को लेकर भारतीय सुरक्षा चिंताएँ बढ़ रही हैं।
- श्रीलंका और हिंद महासागर के जलक्षेत्र के पास चीनी नौसैनिक और निगरानी जहाज़ों का बार-बार दिखाई देना भारत की सामरिक सतर्कता को बढ़ाता है।
- श्रीलंका में चीनी बुनियादी अवसंरचना ऋण और बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) परियोजनाएँ श्रीलंका के लिये ऋण-कुचक्र की कूटनीति की चिंताएँ तथा भारत के लिये भू-रणनीतिक चुनौतियाँ बढ़ाती हैं।
- श्रीलंका में घरेलू राजनीतिक अस्थिरता: वर्ष 2022 के आर्थिक संकट के बाद से श्रीलंकाई नेतृत्व में लगातार बदलाव नीतिगत निरंतरता में अनिश्चितताएँ उत्पन्न कर रहे हैं, जिससे बंदरगाह विकास, संपर्क पहल और ऊर्जा सहयोग जैसी द्विपक्षीय परियोजनाएँ प्रभावित हो रही हैं।
- राजनीतिक अस्थिरता परियोजना से कार्यान्वयन में विलंब होता है, जो भारत की रणनीतिक योजना को जटिल बनाती है।
- तेरहवाँ संशोधन और तमिल जातीय मुद्दा: गृहयुद्ध के बाद तेरहवें संशोधन का धीमा और आंशिक कार्यान्वयन तमिल-बहुल उत्तरी और पूर्वी प्रांतों को सत्ता के सार्थक अंतरण को प्रतिबंधित करता है।
- तमिलनाडु के राजनीतिक कार्यकर्त्ता श्रीलंकाई तमिल अधिकारों की सक्रिय रूप से अनुशंसा करते हैं, जिससे भारत की विदेश नीति प्रभावित होती है और द्विपक्षीय वार्ता जटिल होती है।
- जातीय सुलह और राजनीतिक स्वायत्तता संवेदनशील मुद्दे बने हुए हैं, जिसके लिये सावधानीपूर्वक कूटनीतिक संतुलन की आवश्यकता है।
- व्यापार असंतुलन और आर्थिक सहयोग: वित्त वर्ष 2023-24 में भारत का श्रीलंका को व्यापारिक निर्यात 4.11 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा, जबकि भारत को श्रीलंका का निर्यात 1.42 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा, जिससे व्यापार घाटे को लेकर श्रीलंका में घरेलू आलोचना हुई।
- आर्थिक और प्रौद्योगिकी सहयोग समझौते (ETCA) पर वार्ता पाँच वर्ष बाद फिर से शुरू हो गई है, जिसका उद्देश्य व्यापार एवं निवेश को सुगम बनाना है, लेकिन कथित आर्थिक संप्रभुता संबंधी चिंताओं के कारण इसे प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है।
- श्रीलंका में भारत की बढ़ती भूमिका का स्थानीय प्रतिरोध: कुछ श्रीलंकाई समूह भारत की प्रमुख आर्थिक एवं रणनीतिक उपस्थिति को दखलंदाज़ी मानते हैं, जिससे राष्ट्रवादी प्रतिक्रिया को बढ़ावा मिलता है।
- उत्तरी प्रांत में भूमि सेतु या भारतीय निवेश जैसी आधारभूत संरचना परियोजनाओं को संप्रभुता एवं स्थानीय आर्थिक नियंत्रण पर चिंताओं के कारण स्थानीय प्रतिरोध का सामना करना पड़ता है।
- समुद्री सीमा सुरक्षा और तस्करी: भेद्य समुद्री सीमाएँ मादक द्रव्यों की तस्करी, अनधिकृत आव्रजन और अवैध तस्करी गतिविधियों को बढ़ावा देती हैं, जिससे सुरक्षा के लिये खतरा उत्पन्न होता है।
- दोनों देश समुद्री निगरानी और तटीय सुरक्षा बढ़ाने के लिये संयुक्त प्रयास जारी रखते हैं, लेकिन परिचालन संबंधी चुनौतियों का सामना करते हैं।
- उदाहरण के लिये, वर्ष 2021 में, भारतीय तटरक्षक बल ने केरल के विझिनजाम के पास एक श्रीलंकाई ट्रॉलर को रोका और 300 किलोग्राम हेरोइन, पाँच AK-47 राइफल और 1,000 राउंड गोला-बारूद ज़ब्त किया।
भारत ने अपने पड़ोसियों के साथ संबंधों को प्रगाढ़ बनाने के लिये कौन-सी प्रमुख विदेश नीतिगत पहल की हैं?
- नेबरहुड फर्स्ट नीति: यह नीति भूटान, नेपाल, श्रीलंका, मालदीव, म्याँमार, बांग्लादेश और अफगानिस्तान जैसे पड़ोसी देशों के साथ मज़बूत भौतिक, डिजिटल एवं सांस्कृतिक संपर्क पर बल देती है।
- यह सम्मान, संवाद, शांति और समृद्धि के सिद्धांतों पर आधारित है, जिसमें भारत का समर्थन प्रमुख बुनियादी अवसंरचनागत पहलों से लेकर ज़मीनी स्तर की विकास परियोजनाओं तक फैला हुआ है।
- एक्ट ईस्ट नीति: ‘एक्ट ईस्ट नीति’, जिसे वर्ष 2014 में पूर्ववर्ती ‘लुक ईस्ट’ नीति से उन्नत किया गया था, दक्षिण पूर्व एशिया और हिंद-प्रशांत क्षेत्र के साथ भारत के जुड़ाव को व्यापक बनाती है।
- ASEAN को अपने मूल में रखते हुए, यह नीति आर्थिक साझेदारी, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देती है।
- भारत ने द्विपक्षीय संबंधों को प्रगाढ़ किया है तथा पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन, ‘QUAD’ और ‘ASEAN डिफेंस मिनिस्टर्स मीटिंग प्लस’ जैसे क्षेत्रीय मंचों में सक्रिय भूमिका निभाई है, जिससे इस क्षेत्र में उसकी रणनीतिक एवं कूटनीतिक उपस्थिति सुदृढ़ हुई है।
- क्षेत्र में सभी के लिये सुरक्षा और विकास (SAGAR) पहल: वर्ष 2015 में शुरू की गई, SAGAR पहल का उद्देश्य हिंद महासागर के तटीय राज्यों के साथ भारत के समुद्री सहयोग और सुरक्षा जुड़ाव को मज़बूत करना है।
- BIMSTEC और SAARC का पुनरोद्धार: भारत SAARC जैसे क्षेत्रीय समूहों को पुनर्जीवित करने तथा BIMSTEC के माध्यम से उप-क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने पर बल दे रहा है, ताकि संरचित, पूर्वानुमानित एवं सतत् क्षेत्रीय कूटनीति को बढ़ावा देने के लिये संस्थागत शिखर सम्मेलनों और संवादों का आयोजन किया जा सके।
- डिजिटल कूटनीति और संपर्क: भारत ने सीमा पार डिजिटल भुगतान अंतर-संचालनीयता (जैसे: नेपाल द्वारा UPI स्वीकृति) की शुरुआत की है, ओपन-सोर्स गवर्नेंस प्लेटफॉर्म साझा किये हैं तथा तकनीक-सक्षम, जन-केंद्रित क्षेत्रीय संपर्क और आर्थिक एकीकरण के निर्माण के लिये साइबर सुरक्षा में क्षमता निर्माण को बढ़ावा दिया है।
- रक्षा और रणनीतिक साझेदारी: संयुक्त सैन्य अभ्यास, 'रक्षा उत्कृष्टता के लिये नवाचार (iDEX)' के तहत रक्षा विनिर्माण में क्षमता निर्माण और पड़ोसियों के साथ सुरक्षा सहयोग जैसी पहल क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ाती हैं तथा बाह्य प्रभावों का मुकाबला करती हैं।
- विकास साझेदारी और मानवीय सहायता: भारत इस क्षेत्र में सबसे बड़ा विकास साझेदार बना हुआ है, जो संकट के दौरान ऋण, अनुदान, आपदा राहत, टीके और निकासी सहायता प्रदान करता है। (उदाहरण के लिये, वर्ष 2015 में नेपाल भूकंप सहायता, COVID-19 वैक्सीन साझाकरण, ऑपरेशन गंगा)।
श्रीलंका के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत करने के लिये भारत को क्या कदम उठाने चाहिये?
- सतत् मत्स्य-ग्रहण/मत्स्यन सहयोग को संस्थागत रूप देना: भारत को श्रीलंका के साथ एक मज़बूत द्विपक्षीय मत्स्य प्रबंधन तंत्र स्थापित करना चाहिये, जिसमें संयुक्त गश्त, विनियमित साझा मत्स्य पालन क्षेत्र एवं मछुआरों की आजीविका सहायता शामिल हो।
- यूरोपीय संघ के बाल्टिक सागर मत्स्यन कार्यढाँचे जैसे मॉडलों का अनुसरण करने से, गिरफ्तारियाँ और पारिस्थितिक क्षति कम होगी।
- भारत, 'बॉटम ट्रॉलिंग' से 'डीप-सी फिशिंग' की ओर संक्रमण कर रहे मछुआरों को सब्सिडी एवं प्रशिक्षण प्रदान कर सकता है, जिससे सतत् प्रथाओं को प्रोत्साहन मिलेगा तथा सीमापार तनावों में कमी आयेगी।
- सामरिक रक्षा साझेदारी के माध्यम से बाह्य प्रभाव को संतुलित करना: वर्ष 2025 में हस्ताक्षरित ऐतिहासिक 5-वर्षीय रक्षा समझौता ज्ञापन के आधार पर, भारत को क्षेत्रीय सुरक्षा की रक्षा के लिये श्रीलंका की नौसेना में संयुक्त समुद्री गश्त, खुफिया जानकारी साझा करने और क्षमता निर्माण को बढ़ाना चाहिये।
- रक्षा प्लेटफॉर्म और आपदा प्रतिक्रिया प्रशिक्षण प्रदान करने से समुद्री क्षेत्र जागरूकता सुदृढ़ होती है।
- इन प्रयासों से श्रीलंका की संप्रभुता का सम्मान करते हुए, श्रीलंका के सामरिक बुनियादी अवसंरचना में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने की आवश्यकता है।
- राजनीतिक और जातीय सुलह समर्थन में तीव्रता लाना: भारत को राजनयिक माध्यमों से श्रीलंका के 13वें संशोधन के पूर्ण और वास्तविक कार्यान्वयन का समर्थन करना चाहिये तथा बहु-हितधारक सुलह मंचों का समर्थन करना चाहिये।
- श्रीलंकाई हितधारकों के साथ-साथ तमिलनाडु के राजनीतिक प्रतिनिधियों के साथ संवाद समावेशी संवाद के मार्ग तैयार कर सकता है, जिससे जातीय तनाव कम होगा और भारत के क्षेत्रीय स्थिरता हितों को सुनिश्चित किया जा सकेगा।
- व्यापार और निवेश ढाँचों को पुनर्जीवित करना: भारत को श्रीलंका के साथ आर्थिक और प्रौद्योगिकी सहयोग समझौते (ETCA) वार्ता को अंतिम रूप देने में तीव्रता लानी चाहिये, समान अभिगम्यता सुनिश्चित करनी चाहिये तथा चरणबद्ध उदारीकरण और सुरक्षा उपायों के माध्यम से व्यापार असंतुलन पर श्रीलंका की चिंताओं का समाधान करना चाहिये।
- INR-LKR व्यापार समझौतों को सुगम बनाना तथा ऊर्जा, पर्यटन और डिजिटल अर्थव्यवस्था जैसे प्रमुख क्षेत्रों में निवेश संग्रहण श्रीलंका के आर्थिक विकास एवं द्विपक्षीय वाणिज्यिक संबंधों को बढ़ावा देगा।
- श्रीलंका के आर्थिक सुधार और बुनियादी अवसंरचना के विकास का समर्थन: भारत को भारतीय आवास परियोजना और नवीकरणीय ऊर्जा पहल जैसी चल रही परियोजनाओं में रियायती ऋण, अनुदान एवं तकनीकी सहायता के साथ मज़बूत विकास सहयोग जारी रखना चाहिये।
- कांकेसंथुराई जैसे बंदरगाहों का संयुक्त विकास और नौका सेवाओं की सुविधा से संपर्क एवं आर्थिक केंद्र मज़बूत होंगे।
- पारदर्शी परियोजना निगरानी श्रीलंका के प्रभाव और उसकी राजकोषीय स्थिरता को सुनिश्चित करती है।
- क्षमता निर्माण और डिजिटल गवर्नेंस सहयोग का विस्तार: डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना में भारत की सफलता का लाभ उठाते हुए, भारत को श्रीलंका की विशिष्ट डिजिटल पहचान (SLUDI) परियोजना और डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना के कार्यान्वयन के लिये समर्थन में तीव्रता लानी चाहिये।
- लोक सेवकों (पाँच वर्षों में 1500), STEM शिक्षकों और स्वास्थ्य पेशेवरों के प्रशिक्षण का विस्तार श्रीलंका के आधुनिकीकरण के लिये मानव पूँजी का पोषण करेगा।
- उच्च शिक्षा और अनुसंधान सहयोग का विस्तार संस्थागत संबंधों को प्रगाढ़ करेगा।
- लोगों के बीच आपसी संपर्क और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना: भारत को सांस्कृतिक कूटनीति को तीव्र करना चाहिये, विरासत स्थलों के जीर्णोद्धार का समर्थन करना चाहिये और पर्यटन को बढ़ावा देना चाहिये, क्योंकि भारत श्रीलंका का सबसे बड़ा पर्यटन स्रोत है।
- हवाई संपर्क, सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रमों, छात्रवृत्तियों और संयुक्त बौद्ध तीर्थयात्राओं का विस्तार सामाजिक संबंधों को गहन करेगा, असंतुलन की धारणाओं को कम करेगा तथा समाजों के बीच सद्भावना को बढ़ावा देगा।
- लोगों के बीच आपसी संपर्क और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना: भारत को सांस्कृतिक कूटनीति को तीव्र करना चाहिये, विरासत स्थलों के जीर्णोद्धार का समर्थन करना चाहिये और पर्यटन को बढ़ावा देना चाहिये, क्योंकि भारत श्रीलंका का सबसे बड़ा पर्यटन स्रोत है।
निष्कर्ष:
जैसा कि विद्वान जोसेफ नाई ने कहा है, “सॉफ्ट पावर दमन नहीं बल्कि आकर्षण, प्रबोधन और अपील का स्वरूप है।”
कूटनीति, विकास सहायता और सांस्कृतिक साझेदारी के संयोजन के माध्यम से श्रीलंका के साथ भारत का जुड़ाव इस सिद्धांत का उदाहरण है। आगे बढ़ते हुए, भारत को जातीय मेल-मिलाप और लोगों के बीच संबंधों को बढ़ावा देते हुए, सतत् मत्स्य प्रबंधन, आर्थिक एकीकरण एवं क्षेत्रीय सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग को सुदृढ़ करने की आवश्यकता है।
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दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. “भारत–श्रीलंका संबंधों में हितों का अभिसरण और निरंतर अड़चनें दोनों ही मौजूद हैं।” द्विपक्षीय संबंधों को प्रभावित करने वाली प्रमुख चुनौतियों का परीक्षण कीजिये तथा सतत् सहयोग को संस्थागत रूप देने हेतु उपाय प्रस्तावित कीजिये। |
प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
प्रश्न 1. भारत-श्रीलंका संबंधों का सामरिक और सभ्यतागत महत्त्व क्या है?
भारत-श्रीलंका संबंध 2,500 वर्षों के सभ्यतागत संबंधों (बौद्ध विरासत, तमिल संबंध) और प्रमुख दक्षिण-पूर्वी सीमांत क्षेत्रों (SLOC) एवं पाक जलडमरूमध्य (लगभग 30 किमी) के निकट श्रीलंका के स्थान के कारण सामरिक महत्त्व पर आधारित हैं, जो इस द्वीप को भारत की समुद्री सुरक्षा व क्षेत्रीय स्थिरता के लिये महत्त्वपूर्ण बनाता है।
प्रश्न 2. भारत और श्रीलंका के बीच आर्थिक संबंध के प्रमुख तथ्य क्या हैं?
वित्त वर्ष 2023-24 में द्विपक्षीय व्यापार 5.54 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा (भारत का निर्यात 4.11 बिलियन अमेरिकी डॉलर, श्रीलंका का 1.42 बिलियन अमेरिकी डॉलर); भारत एक प्रमुख प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भागीदार है (वर्ष 2023 तक संचयी 2.25 अरब अमेरिकी डॉलर) और उसने लगभग 7 अरब अमेरिकी डॉलर का ऋण और 78 करोड़ अमेरिकी डॉलर का अनुदान प्रदान किया है, जिसमें वर्ष 2022 के संकट के दौरान लगभग 4 अरब अमेरिकी डॉलर का समर्थन भी शामिल है।
प्रश्न 3. पाक खाड़ी में मछुआरों के विवाद की प्रकृति और उसका पैमाना क्या है?
पाक खाड़ी विवाद में शामिल हैं— वर्ष 2024 में 500 से अधिक भारतीय मछुआरों की गिरफ्तारी, नावों की बार-बार ज़ब्ती/नष्ट करना, क्षेत्रीय अभिगम्यता संबंधी समस्याएँ (कच्चातीवु) और समुद्र तल से मत्स्य-ग्रहण से होने वाली पारिस्थितिक क्षति, जिससे आजीविका का नुकसान एवं द्विपक्षीय तनाव बढ़ रहा है।
प्रश्न 4. बाह्य (चीनी) प्रभाव भारत-श्रीलंका संबंधों के लिये किस प्रकार चुनौती प्रस्तुत करता है?
चीन की रणनीतिक उपस्थिति (विशेषकर हंबनटोटा बंदरगाह– वर्ष 2017 से 99 वर्ष का पट्टा और BRI परियोजनाएँ) भू-रणनीतिक प्रभाव, समुद्री अभिगम्यता और संभावित ऋण संबंधी कमज़ोरियों को लेकर भारत की चिंताओं को बढ़ाती हैं, जिससे हिंद महासागर में भारत की सुरक्षा गणना जटिल हो जाती है।
प्रश्न 5. द्विपक्षीय सहयोग को स्थिर और गहन करने के लिये कौन-से नीतिगत उपाय प्रस्तावित हैं?
अनुशंसित कदमों में द्विपक्षीय मत्स्य प्रबंधन (संयुक्त गश्त, साझा क्षेत्र) को संस्थागत बनाना, सुरक्षा उपायों के साथ ETCA को तीव्र करना, समुद्री सहयोग के लिये 5-वर्षीय रक्षा समझौता ज्ञापन (2025) को लागू करना, SLUDI/डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना का समर्थन करना और क्षमता निर्माण (छात्रवृत्ति, ITEC, सिविल सेवा प्रशिक्षण) को बढ़ाना शामिल है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)
प्रिलिम्स
प्रश्न 1. कभी-कभी समाचारों में देखा जाने वाला एलिफेंट पास का उल्लेख निम्नलिखित में से किन मामलों के संदर्भ में किया जाता है? (2009)
(a) बांग्लादेश
(b) भारत
(c) नेपाल
(d) श्रीलंका
उत्तर: (d)
प्रश्न 2. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये- (2020)
- पिछले दशक में भारत-श्रीलंका व्यापार के मूल्य में सतत् वृद्धि हुई है।
- भारत और बांग्लादेश के बीच होने वाले व्यापार में ‘कपड़े और कपड़े से बनी चीज़ों’ का व्यापार प्रमुख है।
- पिछले पाँच वर्षों में, दक्षिण एशिया में भारत के व्यापार का सबसे बड़ा भागीदार नेपाल रहा है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (b)
मेन्स
प्रश्न 1. 'भारत श्रीलंका का बरसों पुराना मित्र है।' पूर्ववर्ती कथन के आलोक में श्रीलंका के वर्तमान संकट में भारत की भूमिका की विवेचना कीजिये। (2022)
प्रश्न 2. भारत–श्रीलंका संबंधों के संदर्भ में, विवेचना कीजिये कि किस प्रकार आंतरिक (देशीय) कारक विदेश नीति को प्रभावित करते हैं ?
(2013)

