भारतीय अर्थव्यवस्था
वैश्विक नवाचार सूचकांक (GII) 2025
- 24 Sep 2025
- 75 min read
प्रिलिम्स के लिये: विश्व बौद्धिक संपदा संगठन, वैश्विक नवाचार सूचकांक, बौद्धिक संपदा, स्टार्टअप्स के लिये फंड ऑफ फंड्स, राष्ट्रीय सेमीकंडक्टर मिशन, इंडियाएआई मिशन, अटल टिंकरिंग लैब्स।
मेन्स के लिये: वैश्विक नवाचार सूचकांक 2025 में भारत का प्रदर्शन, भारत के नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र से जुड़ी चुनौतियाँ और उनका समाधान करने के तरीके।
चर्चा में क्यों?
विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) के वैश्विक नवाचार सूचकांक (GII) 2025 में भारत 139 अर्थव्यवस्थाओं में 38वें स्थान पर पहुँच गया है, जो वर्ष 2020 (48वाँ स्थान) की तुलना में बेहतर सुधार को दर्शाता है।
वैश्विक नवाचार सूचकांक
- वर्ष 2007 में प्रस्तुत किया गया ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स (GII) विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं में नवाचारों के व्यापक आकलन के लिये विस्तृत मानक और पद्धतियाँ उपलब्ध कराने हेतु विकसित किया गया था।
- यह प्रतिवर्ष विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) द्वारा प्रकाशित किया जाता है, जो किसी भी अर्थव्यवस्था की नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र का आकलन करने का एक प्रमुख मानक है।
- संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इसे विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार (STI) नीतियों को आकार देने के लिये एक प्रामाणिक संदर्भ के रूप में मान्यता दी है।
GII 2025 की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- भारत से संबंधित निष्कर्ष: भारत 81वें स्थान (2015) से बढ़कर 38वें स्थान (2025) पर पहुँच गया है, जो निम्न-मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्थाओं और मध्य एवं दक्षिणी एशिया में प्रथम स्थान पर है।
- भारत के मज़बूत पक्ष में ज्ञान और प्रौद्योगिकी आउटपुट (22) और बाज़ार परिपक्वता (38) तथा कमज़ोर पक्ष में व्यापार परिष्कार (64), बुनियादी ढाँचे (61) और संस्थान (58) शामिल हैं।
- शीर्ष रैंकिंग वाली अर्थव्यवस्थाएँ: शीर्ष पाँच सबसे नवोन्मेषी अर्थव्यवस्थाएँ स्विट्जरलैंड (प्रथम), स्वीडन (द्वितीय), अमेरिका (तृतीय), दक्षिण कोरिया (चौथा) और सिंगापुर (पाँचवाँ) हैं। चीन पहली बार शीर्ष 10 में शामिल हुआ और 10वाँ स्थान हासिल किया।
- शीर्ष नवाचार क्लस्टर: विश्व के शीर्ष नवाचार क्लस्टर चीन और हांगकांग में शेन्ज़ेन-हांगकांग-गुआंगज़ौ (प्रथम) और जापान में टोक्यो-योकोहामा (द्वितीय) हैं ।
- सकारात्मक सामाजिक-आर्थिक प्रभाव: वर्ष 2024 में श्रम उत्पादकता 2.5% की वृद्धि दर्ज की गई, वैश्विक जीवन प्रत्याशा 73 वर्ष तक पहुँच गई तथा अत्यधिक गरीबी घटकर 817 मिलियन हो गई, जो वर्ष 2004 के स्तर के आधे से भी कम है।
- तीव्र तकनीकी उन्नति: वर्ष 2024 में तकनीकी क्षेत्र में सुपरकंप्यूटिंग दक्षता में सुधार और बैटरी की कीमतों में उल्लेखनीय गिरावट के साथ प्रगति हुई। हालाँकि, प्रौद्योगिकी अपनाने की गति धीमी रही, पवन ऊर्जा और जीनोम अनुक्रमण में अपेक्षित प्रगति नहीं हुई और नवीन दवाओं के विकास में भी पिछड़ाव देखा गया।
भारत के नवाचार परिदृश्य की वर्तमान स्थिति क्या है?
- वित्त पोषण तंत्र: नवीनतम उपलब्ध अनुसंधान एवं विकास आँकड़ों के अनुसार, भारत ने अनुसंधान एवं विकास में सकल घरेलू उत्पाद का 0.65% निवेश किया, जबकि चीन (2.43%), ब्राज़ील (1.15%) और दक्षिण कोरिया (2.5%) ने इसमें निवेश किया।
- पेटेंट आवेदन: पेटेंट आवेदनों के मामले में भारत अब विश्व स्तर पर छठे स्थान पर है। इस बीच भारत का पेटेंट-जीडीपी अनुपात (पेटेंट गतिविधि के आर्थिक प्रभाव का एक माप) में वृद्धि दर्ज की गई है, जो वर्ष 2013 में 144 से बढ़कर वर्ष 2023 में 381 हो गया है।
- रणनीतिक नीति समर्थन: स्टार्टअप इंडिया, मेक इन इंडिया और उत्पादन संबद्ध प्रोत्साहन (PLI) योजना जैसे कार्यक्रम आधारभूत समर्थन प्रदान करते हैं।
- स्टार्टअप्स के लिये फंड ऑफ फंड्स (FFS) का कोष 10,000 करोड़ रुपए है तथा नई एक लाख करोड़ रुपए की अनुसंधान, विकास और नवाचार (RDI) योजना का उद्देश्य निजी क्षेत्र के अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहित करना है।
- स्टार्टअप इंडिया हब 1,140 से अधिक इनक्यूबेटरों और एक्सेलेरेटरों को जोड़ता है। वर्ष 2023 में स्टार्टअप इंडिया सीड फंड योजना ने सीड फंडिंग (Seed Funding) के लिये 945 करोड़ रुपए प्रदान किये।
- डीपटेक प्रोत्साहन: महत्त्वपूर्ण निवेश रणनीतिक क्षेत्रों पर केंद्रित हैं, जिसमें नेशनल सेमीकंडक्टर मिशन 76,000 करोड़ रुपए के समर्थन के साथ, इंडिया AI मिशन और क्वांटम प्रौद्योगिकियों के लिये PLI शामिल हैं, ताकि आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दिया जा सके।
- यूनिकॉर्न और क्लीनटेक का उदय: भारत में 100 से अधिक यूनिकॉर्न हैं, जो इसे वैश्विक स्तर पर तीसरे सबसे बड़े इकोसिस्टम के रूप में स्थापित करता है। क्लीनटेक में निजी क्षेत्र अग्रणी है, जिसमें एथर एनर्जी और ओला इलेक्ट्रिक जैसे स्टार्टअप शामिल हैं।
- भौगोलिक विविधीकरण: अटल टिंकरिंग लैब्स (ATL) जैसी पहल नवाचार को विकेंद्रीकृत कर रही है, जिसमें 45% से अधिक DPIIT-मान्यता प्राप्त स्टार्टअप टियर-2 और टियर-3 शहरों से उभर रहे हैं।
भारत के नवाचार इकोसिस्टम में क्या बाधाएँ हैं?
- अपर्याप्त वित्तीय निवेश: भारत का सकल अनुसंधान एवं विकास व्यय (GERD) लगभग 0.7% GDP है, जो अमेरिका (3.5%), दक्षिण कोरिया (4.9%) और इज़राइल (5.6%) जैसे अग्रणी नवोन्मेषी देशों की तुलना में बहुत कम है, जो वित्तीय अंतराल को उजागर करता है।
- अनुसंधान एवं विकास (R&D) वित्तपोषण में सार्वजनिक क्षेत्र का प्रभुत्व: भारत का नवाचार इकोसिस्टम मुख्यतः सार्वजनिक निधि पर आधारित है, जबकि निजी क्षेत्र केवल 36.4% (2020–21) का योगदान देता है, इसके विपरीत उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में उद्योग R&D निवेश में अग्रणी होता है।
- इसके अतिरिक्त शैक्षिक अनुसंधान तथा उद्योग की आवश्यकताओं के बीच का अंतर अंतःविषयक सहयोग और अनुसंधान के व्यावसायीकरण को सीमित करता है।
- रणनीतिक क्षेत्रों की ओर असंतुलित ध्यान: ऐतिहासिक रूप से रक्षा एवं अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी (जैसे- अग्नि मिसाइल प्रणाली, अंतरिक्ष मिशन) पर R&D का ध्यान केंद्रित होने के कारण उभरते क्षेत्रों जैसे सेमीकंडक्टर्स, उन्नत सामग्री और फार्मास्यूटिकल्स के औद्योगिक R&D में निवेश कम रहा है।
- जोखिम-रहित औद्योगिक संस्कृति: उद्योग उच्च जोखिम और लंबी अवधि वाले स्वदेशी R&D की बजाय प्रमाणित तकनीकों के आयात को प्राथमिकता देते हैं। स्टार्टअप्स IT सेवाओं और ई-कॉमर्स में व्यावसायिक मॉडल नवाचार पर ध्यान केंद्रित करते हैं, न कि बुनियादी डीप-टेक अनुसंधान पर।
- नौकरशाही बाधाएँ: DRDO, ISRO, BARC प्रयोगशालाओं की उपलब्धियों के बावजूद, प्रौद्योगिकी का बाज़ार में हस्तांतरण प्रक्रियात्मक देरी, बौद्धिक संपदा संबंधी चुनौतियों और सुव्यवस्थित प्रक्रियाओं की कमी के कारण बाधित होता है।
भारत के नवाचार इकोसिस्टम को मज़बूत करने के लिये किन सुधारों की आवश्यकता है?
- अनुसंधान एवं विकास निवेश को बढ़ावा देना: भारत को आगामी दशक में अनुसंधान एवं विकास पर व्यय बढ़ाना चाहिये, निजी और धर्मार्थ योगदानों को बढ़ावा देना चाहिये और 1 लाख करोड़ रुपए की नवाचार निधि (केंद्रीय बजट 2025–26) 3–5 वर्षों के भीतर पूरी तरह से निवेश की जानी चाहिये, ताकि डीप-टेक अनुसंधान को गति मिल सके।
- विश्वविद्यालय-नेतृत्व अनुसंधान को बढ़ावा देना: उच्च शिक्षा संस्थान (HEI) ज्ञान की सीमाओं का विस्तार करने के लिये अपस्ट्रीम अनुसंधान को बढ़ावा दे सकते हैं और उद्योग को परिपक्व प्रौद्योगिकियों के व्यावसायीकरण में मदद कर सकते हैं।
- सार्वजनिक-निजी नवाचार केंद्रों की स्थापना: भारत को AI, अर्द्धचालक/सेमीकंडक्टर और स्वच्छ ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में विशेष नवाचार केंद्र स्थापित करने चाहिये, जो सरकार, शैक्षणिक संस्थानों और उद्योगों को जोड़ें तथा परीक्षण सुविधाएँ, प्रोटोटाइप प्रयोगशालाओं और उद्यम निधि जैसे साझा संसाधन उपलब्ध कराने चाहिये।
- विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को सुगम बनाना: क्षेत्र-विशिष्ट उद्योग परिषदें नीति निर्धारण में मार्गदर्शन प्रदान कर सकती हैं, वित्तपोषण की कमी को दूर कर सकती हैं और महत्त्वपूर्ण नवाचार क्षेत्रों के लिये संसाधनों का उपयोग कर सकती हैं। उदाहरण के लिये एक क्लीनटेक परिषद सौर ऊर्जा, इलेक्ट्रिक वाहनों और ऊर्जा दक्षता को प्राथमिकता दे सकती है।
- क्षेत्रीय नवाचार क्लस्टर: गैर-मेट्रो क्षेत्रों में क्षेत्रीय नवाचार क्लस्टर स्थानीय सरकारी और निजी संसाधनों का उपयोग करके उद्यमिता तथा नवाचार को बढ़ावा दे सकते हैं। ये क्लस्टर ग्रामीण कृषि-प्रौद्योगिकी एवं सामाजिक उद्यमों को वित्तपोषण, मार्गदर्शन व अवसंरचना के माध्यम से समर्थन प्रदान करते हैं।
निष्कर्ष
भारत का नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र काफी उन्नत हुआ है, जो GII वर्ष 2025 में 38वें स्थान पर पहुँच गया है तथा निम्न-मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्थाओं में शीर्ष पर है। यद्यपि रणनीतिक नीतियों ने इस वृद्धि को प्रेरित किया है, फिर भी अनुसंधान एवं विकास वित्तपोषण, उद्योग-अकादमिक सहयोग और निजी क्षेत्र के निवेश में चुनौतियाँ बनी हुई हैं। विकास को बनाए रखने हेतु GERD को बढ़ाना, गहन तकनीक को बढ़ावा देना तथा स्टार्टअप केंद्र से वैश्विक नवाचार नेता के रूप में विकसित होने के लिये सहक्रियात्मक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना आवश्यक होगा।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. भारत के नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र में बाधाओं का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये और गहन तकनीकी अनुसंधान तथा व्यावसायीकरण को बढ़ाने के लिये सुधारों का सुझाव दीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)
प्रिलिम्स
प्रश्न. राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान - भारत (नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन-इंडिया) (NIF) के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (2015)
- NIF केंद्रीय सरकार के अधीन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की एक स्वायत्त संस्था है।
- NIF अत्यंत उन्नत विदेशी वैज्ञानिक संस्थाओं के सहयोग से भारत की प्रमुख (प्रीमियर) वैज्ञानिक संस्थाओं में अत्यंत उन्नत वैज्ञानिक अनुसंधान को मज़बूत करने की एक पहल है।
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 व 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर: (a)
मेन्स
प्रश्न. भारतीय विश्वविद्यालयों में वैज्ञानिक अनुसंधान का स्तर गिरता जा रहा है, क्योंकि विज्ञान में करियर उतना आकर्षक नहीं है, जितना कि वह कारोबार, संव्यवसाय इंजीनियरिंग या प्रशासन में है और विश्वविद्यालय उपभोक्ता-उन्मुखी होते जा रहे हैं । समालोचनात्मक टिप्पणी कीजिये। (2014)