दृष्टि आईएएस अब इंदौर में भी! अधिक जानकारी के लिये संपर्क करें |   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


भूगोल

विश्व जनसंख्या दिवस

  • 12 Jul 2021
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

विश्व जनसंख्या दिवस

मेन्स के लिये:

उत्तर प्रदेश की नई जनसंख्या नीति, जनसंख्या से संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

हाल ही में उत्तर प्रदेश ने विश्व जनसंख्या दिवस (World Population Day 11th July) के अवसर पर अपनी नई जनसंख्या नीति 2021-30 का अनावरण किया।

प्रमुख बिंदु:

परिचय:

  • वर्ष 1989 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) ने सिफारिश की कि 11 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा विश्व जनसंख्या दिवस के रूप में मनाया जाए, जिसका उद्देश्य जनसंख्या के मुद्दों की तात्कालिकता और महत्त्व पर ध्यान केंद्रित करना है।
  • UNDP जनहित और जागरूकता से प्रेरित था जिसे 11 जुलाई, 1987  को "पाँच अरब दिवस" ​​(जब विश्व की आबादी 5 अरब तक पहुँच गई थी) द्वारा सृजित किया गया था।
  • इस आशय का एक प्रस्ताव पारित किया गया था और इस दिन को पहली बार 11 जुलाई, 1990 को चिह्नित किया गया था।
  • संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) की स्थापना वर्ष 1969 में की गई थी, उसी वर्ष संयुक्त राष्ट्र महासभा ने घोषणा की कि "माता-पिता को स्वतंत्र रूप से और ज़िम्मेदारी के साथ अपने बच्चों की संख्या एवं उनके बीच अंतर निर्धारित करने का विशेष अधिकार है।
  • वर्ष 2021 के लिये थीम: राइट्स एंड चॉइसेस आर द आंसर: चाहे बेबी बूम हो या बस्ट, प्रजनन दर में बदलाव का समाधान सभी लोगों के प्रजनन स्वास्थ्य और अधिकारों को प्राथमिकता देना है।

उत्तर प्रदेश की नई जनसंख्या नीति:

  • इस नीति में पाँच प्रमुख लक्ष्य यथा- जनसंख्या नियंत्रण; मातृ मृत्यु दर और बीमारियों को समाप्त करना; इलाज योग्य शिशु मृत्यु दर को समाप्त करना तथा उनके पोषण स्तर में सुधार सुनिश्चित करना; युवाओं के बीच यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य संबंधी जानकारी व सुविधाओं में सुधार और बड़ों की देखभाल करना प्रस्तावित है।
  • उत्तर प्रदेश सरकार के विधि आयोग ने जनसंख्या नियंत्रण विधेयक भी तैयार किया है, जिसके अंतर्गत दो बच्चों के नियम को लागू किया जाएगा।
  • इस मसौदे के अनुसार, जनसंख्या नियंत्रण नीति का उल्लंघन करने पर चुनाव लड़ने पर रोक लगाने जैसे दंड के साथ नौकरी में पदोन्नति, सब्सिडी आदि को रोक दिया जाएगा।

Future-Planning

जनसंख्या रुझान और मुद्दे

विश्व जनसंख्या:

  • विश्व जनसंख्या के विषय में:
    • विश्व की जनसंख्या लगभग 7.7 बिलियन है और इसके वर्ष 2030 में लगभग 8.5 बिलियन, वर्ष 2050 में 9.7 बिलियन तथा वर्ष 2100 में 10.9 बिलियन तक बढ़ने की संभावना है।
  • वृद्धि का कारण:
    • यह नाटकीय वृद्धि बड़े पैमाने पर प्रजनन आयु तक जीवित रहने वाले लोगों की बढ़ती संख्या और साथ ही प्रजनन दर में बड़े बदलाव, शहरीकरण में वृद्धि तेज़ी से हो रहे प्रवासन से प्रेरित है।
      •  आने वाली पीढ़ियों के लिये इन प्रवृत्तियों के दूरगामी प्रभाव होंगे।
  • प्रभावित क्षेत्र:
    • ये आर्थिक विकास, रोज़गार, आय वितरण, गरीबी और सामाजिक सुरक्षा को प्रभावित करते हैं।
    • ये स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, आवास, स्वच्छता, पानी, भोजन और ऊर्जा तक सार्वभौमिक पहुँच सुनिश्चित करने के प्रयासों को भी प्रभावित करते हैं।

भारत में जनसंख्या संबंधी मुद्दे:

  • वृहद् आकार:
  • तीव्र विकास :
    • जन्म और मृत्यु दर में इस बेमेल अंतर के परिणामस्वरूप पिछले कुछ दशकों में जनसंख्या में तेज़ी से वृद्धि हुई है।
      • हालाँकि भारत की कुल प्रजनन दर (TFR) में गिरावट दर्ज की गई। नवीनतम सरकारी आँकड़ों के अनुसार, वर्तमान में कुल प्रजनन दर  2.2 प्रति महिला है, जो 2.1 की प्रतिस्थापन दर के करीब है।
      • TFR प्रजनन अवधि के दौरान (15-49 वर्ष) एक महिला द्वारा पैदा किये  वाले बच्चों की औसत संख्या को इंगित करती है।
  • शिक्षा और जनसंख्या वृद्धि:
    •  जनसंख्या विस्फोट में गरीबी और अशिक्षा का व्यापक योगदान है।
      • हालिया आँकड़ों के अनुसार, देश में कुल साक्षरता दर लगभग 77.7% है। 
      • अखिल भारतीय स्तर पर पुरुष साक्षरता दर महिलाओं की अपेक्षा अधिक है यहाँ 84.7% पुरुषों के मुकाबले 70.3% महिलाएँ ही साक्षर हैं।
    • ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों को संपत्ति के रूप में माना जाता है, जो बुढ़ापे में माता-पिता की देखभाल करेंगे, साथ ही अधिक बच्चों का अर्थ है, अधिक कमाई करने वाले हाथ।
    • महिलाओं की शिक्षा के स्तर का सीधा प्रभाव प्रजनन क्षमता पर पड़ता है, क्योंकि यह स्पष्ट है कि निरक्षर महिलाओं की प्रजनन दर साक्षर महिलाओं की तुलना में अधिक होती है।
    • शिक्षा का अभाव महिलाओं को गर्भ निरोधकों के उपयोग तथा अधिक बच्चों को  जन्म देने से पड़ने वाले प्रभावों की जानकारी में बाधक है।
  • बेरोज़गारी:
    • भारत की उच्च युवा बेरोज़गारी भारत के जनसांख्यिकीय लाभांश को जनसांख्यिकीय आपदा में बदल रही है।
    • इस युवा क्षमता को अक्सर 'जनसांख्यिकीय लाभांश' के रूप में जाना जाता है, जिसका अर्थ है कि यदि देश में उपलब्ध युवा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण से लैस है तो उन्हें न केवल उपयुक्त रोज़गार मिलेगा बल्कि वे देश के आर्थिक विकास में भी प्रभावी योगदान दे सकते हैं।

आगे की राह

  • जनसंख्या वृद्धि में स्थिरता सुनिश्चित करने के लिये परिवार नियोजन एक प्रभावी उपकरण है। सभी स्तरों पर सरकार- संघ, राज्य एवं स्थानीय समाजों को जागरूकता को बढ़ावा देने, महिलाओं के यौन और प्रजनन अधिकारों की वकालत करने तथा गर्भनिरोधक के उपयोग को प्रोत्साहित करने की ज़िम्मेदारी लेनी चाहिये।
  • समाज और देश के अधिकतम आर्थिक लाभ के लिये जनसंख्या वृद्धि का उपयोग कैसे किया जाए इस पर अच्छी तरह से शोध कर योजना बनाने और उसके कार्यान्वयन की आवश्यकता है।
  • स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहतर भविष्य के लिये गरीबी, लैंगिक समानता, आर्थिक विकास से संबंधित सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) की प्राप्ति महत्त्वपूर्ण है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow