मुख्य परीक्षा
विश्व आर्थिक स्थिति और संभावनाएँ-2025
- 09 Jun 2025
- 10 min read
स्रोत: पी.आई.बी.
चर्चा में क्यों?
भारत की GDP वृद्धि दर का पूर्वानुमान "विश्व आर्थिक स्थिति और संभावनाएँ-2025" (WESP) रिपोर्ट के मध्य-2025 अद्यतन में वर्ष 2025 के लिये 6.6% से घटाकर 6.3% कर दिया गया है।
- यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक एवं सामाजिक मामलों के विभाग द्वारा जारी की जाती है, जो UNCTAD और पाँच UN क्षेत्रीय आयोगों के सहयोग से तैयार की जाती है। यह रिपोर्ट सतत् विकास लक्ष्यों (SDGs) पर केंद्रित, न्यायसंगत विकास नीतियों का समर्थन करने के लिये वैश्विक और क्षेत्रीय आर्थिक दृष्टिकोण प्रदान करती है।
‘विश्व आर्थिक स्थिति और संभावनाएँ’ रिपोर्ट से प्रमुख निष्कर्ष क्या हैं?
- भारत-विशिष्ट अवलोकन:
- सबसे तेज़ी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था: भारत की GDP वृद्धि दर वर्ष 2025 में 7.1% से घटाकर 6.3% कर दी गई है, लेकिन यह अभी भी प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक है और वर्ष 2026 में इसे 6.4% तक पहुँचने की उम्मीद है।
- मुद्रास्फीति, मौद्रिक नीति और रोज़गार का दृष्टिकोण: मुद्रास्फीति वर्ष 2024 में 4.9% से घटकर वर्ष 2025 में 4.3% रहने का अनुमान है, जो RBI के 2–6% के लक्ष्य क्षेत्र के भीतर है और यह प्रभावी मौद्रिक प्रबंधन को दर्शाता है।
- बेरोज़गारी सामान्य रूप से स्थिर बनी हुई है, हालाँकि श्रम शक्ति भागीदारी में लैंगिक असमानताएँ संरचनात्मक चुनौती बनी हुई हैं।
- भारत के विकास के प्रमुख प्रेरक:
- विनिर्माण और निर्यात: विनिर्माण का GVA वर्ष 2023-24 में ₹27.5 लाख करोड़ तक बढ़ गया। कुल निर्यात वर्ष 2024-25 में रिकॉर्ड USD 824.9 बिलियन हुआ, जिसमें सेवा निर्यात USD 387.5 बिलियन और गैर-पेट्रोलियम वस्तु निर्यात USD 374.1 बिलियन रहे।
- रक्षा उत्पादन: रक्षा निर्यात मूल्य में भी लगभग तीन गुना वृद्धि हुई है तथा भारत अब लगभग 100 देशों को निर्यात कर रहा है, जो भारतीय रक्षा क्षमताओं में बढ़ते वैश्विक विश्वास का संकेत है।
- वैश्विक आर्थिक परिदृश्य: वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर वर्ष 2025 में धीमी होकर 2.4% (2024 में 2.9%) और 2026 में 2.5% रहने का अनुमान है, जो उन्नत तथा उभरती दोनों अर्थव्यवस्थाओं पर लागू होगी।
- टैरिफ एवं नीति अनिश्चितता के कारण अमेरिका की वृद्धि दर में गिरावट आने का अनुमान है, जबकि कमज़ोर मांग, निर्यात व्यवधान और रियल एस्टेट तनाव से प्रभावित चीन की वृद्धि दर वर्ष 2025 में 4.6% रहने का अनुमान है।
- अन्य EME: ब्राज़ील, मेक्सिको और दक्षिण अफ्रीका जैसी अर्थव्यवस्थाएँ कमज़ोर व्यापार, घटते निवेश तथा कमोडिटी मूल्य अस्थिरता के कारण डाउनग्रेड का सामना कर रही हैं।
- निर्यात राजस्व में गिरावट, सख्त वित्तीय स्थिति, आधिकारिक विकास सहायता (ODA) में कमी और बढ़ते ऋण संकट जोखिमों के बीच अल्प विकसित देशों (LDC) की वृद्धि दर वर्ष 2024 में 4.5% से घटकर वर्ष 2025 में 4.1% रहने का अनुमान है।
- प्रमुख वैश्विक आर्थिक मुद्दे:
- खाद्य मुद्रास्फीति और असुरक्षा: जलवायु परिवर्तन, मुद्रा अवमूल्यन, व्यापार संरक्षणवाद और आपूर्ति शृंखला व्यवधानों के कारण खाद्य मुद्रास्फीति, हेडलाइन मुद्रास्फीति से ऊपर बनी हुई है।
- वैश्विक स्तर पर 343 मिलियन लोग गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं, जिनमें से 1.9 मिलियन लोग गाज़ा, हैती, माली, दक्षिण सूडान और सूडान जैसे संघर्ष वाले क्षेत्रों में अकाल के खतरे में हैं।
- भारत जैसे देश, जहाँ घरेलू खर्च का बड़ा हिस्सा भोजन पर खर्च होता है, सबसे अधिक प्रभावित हैं।
- बढ़ता व्यापार और वैश्विक जोखिम: बढ़ते अमेरिकी टैरिफ से "टैरिफ शॉक" उत्पन्न हुआ है, जिससे वैश्विक व्यापार लागत बढ़ गई है, आपूर्ति शृंखला बाधित हुई है और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
- बढ़ते व्यापार तनाव बहुपक्षवाद को कमज़ोर कर रहे हैं और वैश्विक असमानता को बढ़ा रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक मामलों का विभाग
- UNDESA वर्ष 1948 में गठित संयुक्त राष्ट्र सचिवालय का एक मुख्य विभाग है, जो सतत् विकास के लिये वर्ष 2030 एजेंडा को लागू करने और सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) को प्राप्त करने में देशों का समर्थन करते हुए संयुक्त राष्ट्र के विकास स्तंभ का नेतृत्व करता है।
- यह संयुक्त राष्ट्र महासचिव के अधीन कार्य करता है तथा सदस्य देशों को आर्थिक, सामाजिक एवं पर्यावरणीय मुद्दों पर डेटा, विश्लेषण और नीति मार्गदर्शन प्रदान करता है।
- ECOSOC, महासभा और सतत् विकास पर उच्चस्तरीय राजनीतिक मंच (HLPF) जैसे प्रमुख संयुक्त राष्ट्र निकायों के सचिवालय के रूप में, UNDESA गरीबी उन्मूलन, समावेशी विकास, पर्यावरण संरक्षण एवं सुशासन में वैश्विक प्रयासों को समन्वित करने में मदद करता है।
- यह वैश्विक प्रतिबद्धताओं और राष्ट्रीय कार्रवाई के बीच एक सेतु के रूप में कार्य करता है, जिससे देशों को संयुक्त राष्ट्रस्तरीय समझौतों को कार्रवाई योग्य राष्ट्रीय नीतियों एवं सुधारों में परिवर्तन करने में मदद मिलती है।
प्रमुख आर्थिक रिपोर्ट और प्रकाशक
प्रकाशन संस्था |
प्रतिवेदन |
विश्व बैंक |
वैश्विक आर्थिक संभावनाएँ, विश्व विकास रिपोर्ट |
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) |
विश्व आर्थिक परिदृश्य, वैश्विक वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट |
विश्व आर्थिक मंच (WEF) |
वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता रिपोर्ट, वैश्विक जोखिम रिपोर्ट |
संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCTAD) पर व्यापार और विकास |
विश्व निवेश रिपोर्ट |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. "त्वरित वित्तीयन प्रपत्र (Rapid Financing Instrument)" और "त्वरित ऋण सुविधा (Rapid Credit Facility)", निम्नलिखित में किस एक के द्वारा उधार दिये जाने के उपबंधों से संबंधित हैं ? (2022) (a) एशियाई विकास बैंक उत्तर: (b) 'प्रश्न. 'वैश्विक वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (Global Financial Stability Report)' किसके द्वारा तैयार की जाती है? (2016) (a) यूरोपीय केंद्रीय बैंक उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न. विश्व बैंक व अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, संयुक्त रूप से ब्रेटन वुड्स नाम से जानी जाने वाली संस्थाएँ, विश्व की आर्थिक व वित्तीय व्यवस्था की संरचना का संभरण करने वाले दो अन्तःसरकारी स्तंभ हैं। पृष्ठीय रूप में विश्व बैंक व अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष दोनों की अनेक समान विशिष्टताएँ हैं, तथापि उनकी भूमिका, कार्य तथा अधिदेश स्पष्ट रूप से भिन्न हैं। व्याख्या कीजिये। (2013) |