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भारतीय अर्थव्यवस्था

विश्व आर्थिक स्थिति और संभावनाएँ रिपोर्ट, 2024

  • 12 Jan 2024
  • 12 min read

प्रिलिम्स के लिये:

संयुक्त राष्ट्र, मुद्रास्फीति, हेडलाइन मुद्रास्फीति, अल नीनो, शुद्ध-शून्य-उत्सर्जन, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, लॉस एंड डैमेज फंड (हानि और क्षति कोष)

मेन्स के लिये:

विश्व आर्थिक स्थिति और संभावनाएँ, वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव

स्रोत: डाउन टू अर्थ

चर्चा में क्यों? 

वर्ष 2024 के लिये विश्व आर्थिक स्थिति और संभावना रिपोर्ट(World Economic Situation and Prospects report) नामक संयुक्त राष्ट्र (United Nations-UN) की हालिया रिपोर्ट में वर्ष 2024 में वैश्विक मुद्रास्फीति में गिरावट का अनुमान लगाया गया है, लेकिन विशेष रूप से विकासशील देशों में खाद्य मुद्रास्फीति (food inflation) में एक साथ वृद्धि की चेतावनी दी गई है।

  • इस घटना के निहितार्थ, जलवायु संबंधी चुनौतियों और भू-राजनीतिक तनावों के साथ मिलकर, खाद्य सुरक्षा, गरीबी उन्मूलन और आर्थिक विकास के लिये खतरा पैदा करते हैं।

वर्ष 2024 के लिये विश्व आर्थिक स्थिति और संभावना रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • वैश्विक जीडीपी वृद्धि:
    • रिपोर्ट में वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (global gross domestic product - GDP) की वृद्धि में गिरावट का अनुमान लगाया गया है, जो वर्ष 2023 में अनुमानित 2.7% से घटकर वर्ष 2024 में 2.4% हो जाएगी।
    • विकासशील अर्थव्यवस्थाएँ, विशेष रूप से, महामारी से उत्पन्न नुकसान से उबरने के लिये संघर्ष कर रही हैं, जिनमें से कई को उच्च ऋण और निवेश की कमी का सामना करना पड़ रहा है।
    • यह अनुमान लगाया गया है कि कई कम आय वाले और कमज़ोर राष्ट्र आगामी वर्षों में केवल मध्यम विकास का अनुभव करेंगे।
      • इसके कारण लगातार उच्च ब्याज दरें, बढ़ते भू-राजनीतिक संघर्ष, कम अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और जलवायु संबंधी आपदाओं में वृद्धि हैं।
  • भारत का दृष्टिकोण:
    • दक्षिण एशिया में वर्ष 2023 में अनुमानित 5.3% की वृद्धि हुई और 2024 में 5.2% की वृद्धि का अनुमान है, भारत में अधिक विस्तार से प्रेरित है, जो दुनिया में सबसे तेज़ी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था बनी हुई है।
    • घरेलू मांग और विनिर्माण तथा सेवाओं में वृद्धि से समर्थित, वर्ष 2024 में भारत की विकास दर 6.2% होने का अनुमान है।
  • मुद्रास्फीति:
    • वैश्विक मुद्रास्फीति, जो पिछले दो वर्षों में एक प्रमुख चिंता का विषय रही है, कम होने के संकेत दिख रही है।
      • वैश्विक हेडलाइन मुद्रास्फीति वर्ष 2022 में 8.1% से गिरकर 2023 में अनुमानित 5.7% हो गई और वर्ष 2024 में घटकर 3.9% होने का अनुमान है।
        • हेडलाइन मुद्रास्फीति एक अर्थव्यवस्था के भीतर कुल मुद्रास्फीति को मापती है, जिसमें खाद्य और ऊर्जा की कीमतें जैसी वस्तुएँ शामिल होती हैं।
      • मुद्रास्फीति में गिरावट का कारण अंतर्राष्ट्रीय कमोडिटी कीमतों में जारी नरमी और संयुक्त राष्ट्र द्वारा मौद्रिक सख्ती के कारण मांग में कमी है।
    • हालाँकि खाद्य मूल्य मुद्रास्फीति गंभीर बनी हुई है, जिससे विशेष रूप से विकासशील देशों में खाद्य असुरक्षा और गरीबी बढ़ रही है।
      • अनुमान है कि वर्ष 2023 में 238 मिलियन लोगों ने तीव्र खाद्य असुरक्षा का अनुभव किया, जो वर्ष 2022 से 21.6 मिलियन की वृद्धि है।
        • कमज़ोर स्थानीय मुद्राएँ, जलवायु संबंधी झटके और अंतर्राष्ट्रीय कीमतों से स्थानीय कीमतों तक सीमित अंतरण खाद्य मुद्रास्फीति में इस निरंतर वृद्धि का कारण होंगे।
      • अल नीनो का पुनरुत्थान जलवायु पैटर्न को बाधित कर सकता है, जिससे अत्यधिक और अपर्याप्त वर्षा दोनों ही खाद्य उत्पादन को प्रभावित कर सकती हैं।
  • जलवायु परिवर्तन:
    • वर्ष 2023 में चरम मौसम की स्थिति का सामना करना पड़ा, जिससे दुनिया भर में विनाशकारी जंगल की आग, बाढ़ और सूखा पड़ा।
      • इन घटनाओं का प्रत्यक्ष आर्थिक प्रभाव पड़ता है जैसे बुनियादी ढाँचे, कृषि और आजीविका को नुकसान।
    • अध्ययनों में जलवायु परिवर्तन के कारण महत्त्वपूर्ण आर्थिक नुकसान का अनुमान लगाया गया है।
      • ग्रीनलैंड बर्फ शेल्फ ढहने जैसी घटनाओं को देखते हुए, अनुमान है कि वर्ष 2100 तक वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में 10% की कमी हो सकती है।
      • शमन के बिना, मॉडल 2100 तक औसत वैश्विक आय में संभावित 23% की कमी का संकेत देते हैं।
    • IPCC का अनुमान है कि अकेले तापमान के प्रभाव के कारण वर्ष 2100 तक वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में 10 से 23% की हानि होगी।
  • निवेश:
    • आर्थिक अनिश्चितताओं, उच्च ऋण बोझ तथा बढ़ती ब्याज़ दरों के कारण वैश्विक निवेश संवृद्धि कम रहने की उम्मीद है।
      • विकसित देश हरित ऊर्जा तथा डिजिटल बुनियादी ढाँचे जैसे सतत् क्षेत्रों को प्राथमिकता देते हैं।
      • विकासशील देश पूंजी के बाह्य प्रवाह तथा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में कमी का सामना कर रहे हैं।
      • भू-राजनीतिक तनाव क्षेत्रीय निवेश प्रवाह को प्रभावित करते हैं जिससे आर्थिक अनिश्चितताओं तथा बढ़ती ब्याज दरों के बीच कम वैश्विक निवेश वृद्धि में योगदान होता है।
    • ऊर्जा क्षेत्र में, विशेष रूप से स्वच्छ ऊर्जा में निवेश बढ़ रहा है किंतु यह वृद्धि वर्ष 2050 तक शुद्ध-शून्य-उत्सर्जन लक्ष्य को पूरा करने के के अनुरूप नहीं है।
      • रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2050 तक ऊर्जा परिवर्तन एवं बुनियादी ढाँचे के लिये 150 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता होगी जिसमें मात्र वैश्विक ऊर्जा क्षेत्र के लिये वार्षिक रूप से 5.3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता होगी।
      • इसके बावजूद जलवायु वित्त आवश्यकताओं को पूरा करने में अक्षम रहा है जो बड़े पैमाने पर विस्तार की महत्त्वपूर्ण आवश्यकता पर बल देता है।
      • रिपोर्ट में लॉस एंड डैमेज फंड के प्रभावी संचालन तथा जलवायु आपदाओं का सामना करने वाले कमज़ोर देशों की सहायता के लिये वित्तपोषण प्रतिबद्धताओं को बढ़ाने का आह्वान किया गया है।
  • श्रम बाज़ार:
    • वैश्विक श्रम बाज़ार कोविड-19 महामारी के बाद विकसित तथा विकासशील देशों के बीच भिन्न रुझान प्रदर्शित करता है।
      • विकसित देश:
        • वर्ष 2023 में बेरोज़गारी दर में कमी, विशेष रूप से अमेरिका में 3.7% तथा यूरोपीय संघ में 6.0%, के साथ एक उल्लेखनीय सुधार दर्ज किया गया और साथ ही नाममात्र वेतन में वृद्धि के साथ वेतन असमानता में कमी आई।
        • हालाँकि वास्तविक आय हानि और श्रम की कमी संबंधी चुनौतियाँ बनी रहीं।
      • विकासशील देश:
        • विभिन्न बेरोज़गारी रुझान के साथ मिश्रित प्रगति हुई (उदाहरनार्थ: चीन, ब्राज़ील, तुर्की, रूस में संबद्ध क्षेत्र में गिरावट दर्ज की गई)।
        • निरंतर बने रहने वाले मुद्दों में अनौपचारिक रोज़गार, लैंगिक अंतर एवं उच्च युवा बेरोज़गारी शामिल है।
        • वैश्विक स्तर पर वर्ष 2023 में महिला श्रम बल की भागीदारी में 47.2% (वर्ष 2013 में 48.1% की तुलना में) की गिरावट आई ।
    •    वैश्विक रोज़गार पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का प्रभाव:
      • एक-तिहाई वैश्विक कंपनियाँ अब जेनरेटिव AI का उपयोग करती हैं, जिनमें से 40% AI निवेश का विस्तार करने की योजना बना रही हैं। 
        • AI कम-कुशल नौकरियों की मांग को कम कर सकता है, जिसका महिलाओं और कम आय वाले देशों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। इसके अलावा, AI आधारित व्यवसायों में एक महत्त्वपूर्ण लैंगिक अंतर है।
          • वर्ष 2022 में चैट-जीपीटी (ChatGPT) की शुरुआत के बाद से, AI अपनाने में तेज़ी से प्रगति हुई है।
  • व्यापार:
    • वर्ष 2023 में वैश्विक व्यापार वृद्धि में 0.6% तक गिरावट दर्ज की गई और वर्ष 2024 में इसमें 2.4% तक का सुधार होने का अनुमान है।
      • रिपोर्ट वैश्विक व्यापार में बाधा डालने वाले कारकों के रूप में उपभोक्ता खर्च में वस्तुओं से सेवाओं की ओर बदलाव, बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव, आपूर्ति शृंखला में व्यवधान एवं महामारी के लंबे समय तक बने रहने वाले प्रभावों की ओर इशारा करती है।
  • अंतर्राष्ट्रीय वित्त और ऋण:
    • बढ़ता विदेशी ऋण और बढ़ी हुई ब्याज दरें विकासशील देशों की अंतर्राष्ट्रीय पूंजी बाज़ारों तक अभिगम में बाधा डालती हैं।
    • आधिकारिक विकास सहायता और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में गिरावट कम आय वाले देशों के लिये वित्तीय बाधाओं को बढ़ाती है।
    • ऋण स्थिरता एक गंभीर चिंता का विषय बन गई है, जिससे बढ़ते वित्तीय बोझ को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिये ऋण पुनर्गठन और राहत प्रयासों की आवश्यकता होती है।
  • बहुपक्षवाद और सतत् विकास:
    • वर्ष 2024 की WESP रिपोर्ट, विशेष रूप से जलवायु कार्रवाई, सतत् विकास वित्तपोषण और निम्न व मध्यम आय वाले देशों की ऋण स्थिरता चुनौतियों का समाधान करने जैसे क्षेत्रों में मज़बूत वैश्विक सहयोग की आवश्यकता पर ज़ोर देती है।
    • यह रिपोर्ट जटिल वैश्विक आर्थिक परिदृश्य से निपटने और संयुक्त राष्ट्र-अनिवार्य सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) को प्राप्त करने में बहुपक्षवाद की महत्त्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करती है।
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