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चाबहार बंदरगाह पर अमेरिकी प्रतिबंध

  • 20 Sep 2025
  • 51 min read

प्रिलिम्स के लिये: चाबहार बंदरगाह, अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा, इंडियन पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड, होर्मुज जलडमरूमध्य, बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव, ओमान की खाड़ी 

मेन्स के लिये: भारत के लिये चाबहार बंदरगाह का महत्त्व, चाबहार बंदरगाह के प्रतिबंधों में छूट के निरसन से भारत पर प्रभाव।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों? 

ट्रम्प प्रशासन ने चाबहार बंदरगाह के लिये प्रतिबंध छूट को रद्द कर दिया है, जिससे भारत की अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक पहुँच प्रभावित होगी और क्षेत्र में उसकी रणनीतिक स्थिति कमज़ोर होगी। 

  • वर्ष 2018 में ईरान फ्रीडम एंड काउंटर-प्रोलिफरेशन एक्ट (IFCA) के तहत दी गई यह छूट भारत को चाबहार बंदरगाह को अफगानिस्तान और मध्य एशिया के लिये एक प्रवेश द्वार के रूप में विकसित करने की अपनी दीर्घकालिक योजना को आगे बढ़ाने की अनुमति देती थी।

चाबहार बंदरगाह की प्रतिबंध छूट रद्द करने के भारत पर संभावित प्रभाव क्या हैं? 

  • रणनीतिक प्रभाव: चाबहार की छूट को रद्द करने से भारत की क्षेत्रीय स्थिति कमज़ोर हो सकती है, जिससे ग्वादर बंदरगाह को संतुलित करने, रूस और यूरोप को जोड़ने वाले अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) में एकीकृत होने और अफगानिस्तान और मध्य एशिया में प्रभाव बनाए रखने की उसकी क्षमता सीमित हो सकती है। 
  • आर्थिक और व्यापारिक प्रभाव: भारत के ईरान और अफगानिस्तान को होने वाले निर्यात, जिनमें वस्त्र, इंजीनियरिंग उत्पाद, औषधियाँ और खाद्य उत्पाद शामिल हैं, बाधित हो सकते हैं, जबकि 120 मिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश और 250 मिलियन अमेरिकी डॉलर की प्रतिबद्धताएँ जोखिम में हैं।  
    • यह निरस्तीकरण भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता और श्रम-प्रधान वस्तुओं पर 50% शुल्क के समय हुआ है, जिससे भारत की निर्यात रणनीति पर दबाव पड़ रहा है। 
  • संचालन और कानूनी जोखिम: इंडियन पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) जैसी कंपनियाँ IFCA के तहत अमेरिकी प्रतिबंधों के दायरे में आ सकती हैं, जिससे चाबहार व्यापार और विस्तार परियोजनाओं में देरी या निलंबन हो सकता है। 
  • भू-राजनीतिक प्रभाव: छूट की वापसी भारत-अमेरिका संबंधों पर दबाव डालती है और भारत की उस योजना के लिये एक बड़ा झटका है, जिसमें चाबहार बंदरगाह को, विशेषकर अफगानिस्तान के लिये व्यापार और मानवीय सहायता के एक महत्त्वपूर्ण द्वार के रूप में विकसित करने का लक्ष्य था।

चाबहार बंदरगाह 

  • परिचय: यह एक गहरे पानी का बंदरगाह है, जो ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान में मकरान तट पर, ओमान की खाड़ी के पास, होर्मुज़ जलडमरूमध्य के मुहाने पर स्थित है। 
    • यह ईरान का एकमात्र गहरे समुद्र का बंदरगाह है, जो सीधे खुले महासागर तक पहुँच प्रदान करता है और भारत को बड़े मालवाहक जहाज़ों के लिये सुरक्षित एवं प्रत्यक्ष पहुँच उपलब्ध कराता है। 
  • इसके दो मुख्य टर्मिनल हैं—शहीद बेहेश्ती और शहीद कलंतरी—जिनमें भारत शहीद बेहेश्ती टर्मिनल के विकास में सक्रिय रूप से शामिल है। 
  • विकास और प्रबंधन: चाबहार समझौता (2016) भारत, ईरान और अफगानिस्तान के बीच अंतर्राष्ट्रीय परिवहन और पारगमन कॉरिडोर स्थापित करने के लिये हस्ताक्षरित हुआ था। 
    • आईपीजीएल (IPGL) ने अपनी सहायक कंपनी इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल चाबहार फ्री ज़ोन (IPGCFZ) के माध्यम से दिसंबर 2018 में चाबहार बंदरगाह का संचालन अपने हाथों में लिया। 
  • संचालनात्मक प्रदर्शन: अब तक, चाबहार बंदरगाह के ज़रिये भारत से अफगानिस्तान तक 2.5 मिलियन टन गेहूँ और 2,000 टन दलहनों का ट्रांस-शिपमेंट किया गया है, वर्ष 2021 में 40,000 लीटर मैलाथियान (पर्यावरण-अनुकूल कीटनाशक) ईरान को टिड्डी नियंत्रण के लिये उपलब्ध कराया गया तथा मानवीय सहायता में भी सहयोग किया गया है, जिसमें कोविड-19 महामारी के दौरान सहायता शामिल है।

भारत के लिये चाबहार बंदरगाह का क्या महत्त्व है? 

  • वैकल्पिक व्यापार मार्ग: यह भारत को पाकिस्तान को दरकिनार करते हुए अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक पहुँचने के लिये एक वैकल्पिक मार्ग प्रदान करता है तथा कांडला बंदरगाह से छोटे मार्गों के माध्यम से ईरान व INSTC तक पहुँच में सुधार करता है। 
  • संपर्क सुनिश्चित करना: पश्चिम एशियाई क्षेत्र में चल रहे संघर्षों और तनावों, जैसे कि यमन संकट तथा ईरान व पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुई वृद्धि ने महत्त्वपूर्ण समुद्री व्यापार मार्गों को बाधित कर दिया है। 
    • चाबहार भारत को अपने वाणिज्यिक हितों के लिये एक वैकल्पिक मार्ग प्रदान करता है, जिससे होर्मुज़ जलडमरूमध्य जैसे पारंपरिक अवरोध बिंदुओं पर निर्भरता कम हो जाती है। 
  • आर्थिक लाभ: यह मध्य एशिया और अफगानिस्तान के साथ भारत के व्यापार को मज़बूत करता है, मार्गों में विविधता लाता है तथा रूस, यूरोप, ईरान व अफगानिस्तान तक पहुँच को बढ़ाता है। 
    • चाबहार बंदरगाह एक प्रमुख INSTC नोड है, जो हिंद महासागर को उत्तरी यूरोप से जोड़ता है, जिससे व्यापार लागत में 30% तथा पारगमन समय में 40% की कमी आती है, जबकि स्थलरुद्ध देशों को हिंद महासागर और भारतीय बाज़ारों तक पहुँच मिलती है। 
  • मानवीय सहायता: यह अफगानिस्तान में मानवीय सहायता और पुनर्निर्माण के लिये एक महत्त्वपूर्ण प्रवेश बिंदु के रूप में कार्य करता है। 
  • सामरिक प्रभाव: यह हिंद महासागर में भारत की सामरिक उपस्थिति को मज़बूत करता है, चीन के ग्वादर बंदरगाह और बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का मुकाबला करता है और समुद्री डकैती विरोधी क्षमताओं को बढ़ाता है। 

निष्कर्ष 

चाबहार बंदरगाह भारत के क्षेत्रीय प्रभाव, व्यापार संभावनाओं और संपर्क संबंधी महत्त्वाकांक्षाओं के लिये केंद्रीय बना हुआ है। अमेरिकी प्रतिबंधों, क्षेत्रीय अस्थिरता और प्रतिस्पर्द्धी परियोजनाओं की चुनौतियों के बावजूद, एक रणनीतिक प्रतिपक्ष के रूप में इसकी भूमिका स्थायी अवसर प्रदान करती है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. भारत के लिये चाबहार बंदरगाह के सामरिक महत्त्व पर चर्चा करें और इसके विकास पर अमेरिकी प्रतिबंधों के प्रभावों का विश्लेषण कीजिये।

 

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ) 

प्रिलिम्स

प्रश्न. भारत द्वारा चाबहार बंदरगाह विकसित करने का क्या महत्त्व है?(2017) 

(a) अफ्रीकी देशों से भारत के व्यापार में अपार वृद्धि होगी। 

(b) तेल-उत्पादक अरब देशों से भारत के संबंध सुदृढ़ होंगे। 

(c) अफगानिस्तान और मध्य एशिया में पहुँच के लिये भारत को पाकिस्तान पर निर्भर नहीं होना पड़ेगा। 

(d) पाकिस्तान, इराक और भारत के बीच गैस पाइपलाइन का संस्थापन सुकर बनाएगा और उसकी सुरक्षा करेगा। 

उत्तर: C 


मेन्स

प्रश्न. इस समय जारी अमेरिका-ईरान नाभिकीय समझौता विवाद भारत के राष्ट्रीय हितों को किस प्रकार प्रभावित करेगा? भारत को इस स्थिति के प्रति क्या रवैया अपनाना चाहिये? (2018)

प्रश्न. भारत की ऊर्जा सुरक्षा का प्रश्न भारत की आर्थिक प्रगति का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण भाग है। पश्चिम एशियाई देशों के साथ भारत के ऊर्जा नीति सहयोग का विश्लेषण कीजिये। (2017) 

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