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UNFPA विश्व जनसंख्या स्थिति रिपोर्ट 2025

  • 12 Jun 2025
  • 11 min read

स्रोत: TH1, TH2

चर्चा में क्यों?

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) ने अपनी विश्व जनसंख्या की स्थिति (SOWP) 2025 रिपोर्ट "The Real Fertility Crisis अर्थात् वास्तविक प्रजनन संकट" शीर्षक से जारी की है। यह भारत को विश्व का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बताता है और प्रजनन क्षमता, उम्र बढ़ने एवं प्रजनन स्वायत्तता में महत्त्वपूर्ण बदलावों को उजागर करता है, जनसंख्या में गिरावट के डर के बजाय लोगों के अधूरे प्रजनन लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह करता है।

भारत से संबंधित UNFPA रिपोर्ट 2025 की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • जनसंख्या का आकार एवं अनुमान: अप्रैल 2025 में भारत की जनसंख्या 146.39 करोड़ होने का अनुमान है, जो विश्व में सबसे ज़्यादा है। 2060 के दशक की शुरुआत में इसके 170 करोड़ तक पहुँचने की संभावना है, फिर धीरे-धीरे इसमें कमी आएगी। 
    • पुरुषों के लिये जीवन प्रत्याशा 71 वर्ष तथा महिलाओं के लिये 74 वर्ष अनुमानित है।
  • प्रजनन दर के रुझान और अंतराल: भारत की कुल प्रजनन दर (TFR) 2.1 के प्रतिस्थापन स्तर से नीचे, 1.9 तक गिर गई है। 
  • नमूना पंजीकरण प्रणाली (SRS) 2021 के अनुसार, TFR 2.0 थी, जो राष्ट्रीय स्तर की उपलब्धि दर्शाती है। 
    • हालाँकि बिहार (3.0), मेघालय (2.9) और उत्तर प्रदेश (2.7) जैसे राज्यों में अभी भी उच्च TFR है। 31 राज्य/केंद्रशासित प्रदेश प्रतिस्थापन स्तर से नीचे हैं, जबकि 7 राज्यों में शहरी-ग्रामीण अंतर है।
    • भारत का प्रजनन विभाजन क्षेत्रीय असमानता को दर्शाता है, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, विकास और लैंगिक मानदंडों में अंतर के कारण बिहार, उत्तर प्रदेश तथा झारखंड जैसे उच्च प्रजनन क्षमता वाले राज्य केरल, दिल्ली एवं तमिलनाडु जैसे कम प्रजनन क्षमता वाले राज्यों के विपरीत हैं।

  • युवा एवं कामकाजी आयु वर्ग की जनसांख्यिकी: भारत में सुदृढ़ जनसांख्यिकी लाभ है, इसकी 68% जनसंख्या कामकाजी आयु वर्ग (15-64) में है। 0-14 वर्ष की आयु के बच्चों की संख्या 24% है, जबकि 26% 10-24 आयु वर्ग में हैं। 
    • वरिष्ठ नागरिक (65 वर्ष और उससे अधिक आयु के) जनसंख्या का 7% हिस्सा हैं।
  • प्रजनन स्वायत्तता में बाधाएँ: भारत में प्रजनन संबंधी विकल्प वित्तीय (40%), आवास (22%), रोज़गार (21%) और बाल देखभाल (18%) जैसी सीमाओं से प्रभावित होते हैं। इसके अतिरिक्त, बाँझपन (13%) एवं मातृ देखभाल की खराब स्थिति (14%) जैसी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ भी इन विकल्पों को बाधित करती हैं।
    • सामाजिक दबाव (19%) तथा जलवायु, राजनीति और अर्थव्यवस्था को लेकर बढ़ती चिंता भी निर्णयों को प्रभावित करती है।
  • भारत के लिये नीति सुझाव: यह रिपोर्ट भारत से जनसंख्या नियंत्रण के बजाय प्रजनन अधिकारों को प्राथमिकता देने का आग्रह करती है। इसके लिये गर्भनिरोधकों, मातृ एवं बाँझपन देखभाल तथा सुरक्षित गर्भपात की सार्वभौमिक पहुँच सुनिश्चित करने की सिफारिश की गई है।
    • यह रिपोर्ट आवास, बाल देखभाल और रोज़गार असुरक्षा जैसी संरचनात्मक बाधाओं को दूर करने, अविवाहित, LGBTQIA+ एवं हाशिये पर रहने वाले समूहों तक सेवाओं का विस्तार करने, अपूर्ण आवश्यकताओं पर बेहतर डेटा एकत्रित करने तथा सामुदायिक पहलों के माध्यम से लैंगिक समानता और सामाजिक परिवर्तन को बढ़ावा देने की सिफारिश करती है।

भारत के लिये प्रमुख जनसांख्यिकीय आँकड़े क्या हैं?

सूचक

मूल्य/अनुमान

मध्य आयु

भारत की जनसंख्या की औसत आयु 28.2 वर्ष है (विश्व जनसंख्या परिप्रेक्ष्य)।

कार्यशील आयु जनसंख्या (15-64 वर्ष)

भारत की लगभग 68% जनसंख्या, जो लगभग 961 मिलियन है, कार्यशील आयु वर्ग में आती है।

साक्षरता दर 

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण वर्ष 2019–21 (NFHS-5) के अनुसार, वयस्क पुरुषों और महिलाओं (15–49 वर्ष) की साक्षरता दर क्रमशः 87.4% और 71.5% है।

श्रम बल भागीदारी दर (LFPR)

15 वर्ष और उससे अधिक आयु की जनसंख्या में पुरुषों का LFPR 78.8% है, जबकि महिलाओं का LFPR 41.7% है। भारत का कुल LFPR 60.1% है।

कुल साक्षरता दर (आयु 15+)

15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों की कुल साक्षरता दर 77.7% है (NSO, 2021)।

निर्भरता अनुपात

निर्भरता अनुपात 47% है, अर्थात् हर 100 कार्यशील आयु वाले व्यक्तियों पर 47 आश्रित हैं।

जलवायु-संवेदनशील क्षेत्रों में जनसंख्या

भारत की 80% से अधिक जनसंख्या जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों में निवास करती है।

NCD और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का प्रचलन

20% से अधिक जनसंख्या गैर-संचारी रोगों (NCD) से पीड़ित है और लगभग 15% जनसंख्या मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रही है।

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष क्या है?

  • परिचय: UNFPA संयुक्त राष्ट्र महासभा की एक सहायक संस्था है और यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य के क्षेत्र में संयुक्त राष्ट्र की प्रमुख एजेंसी के रूप में कार्य करता है।
    • यह 150 से अधिक देशों में कार्य करता है, जो वैश्विक जनसंख्या के लगभग 80% हिस्से को कवर करता है।
  • स्थापना: वर्ष 1969 में संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या गतिविधि कोष के रूप में प्रारंभ हुआ, जिसे वर्ष 1987 में संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष नाम दिया गया (हालाँकि UNFPA संक्षिप्त नाम यथावत रखा गया)।
    • यह ICPD कार्यक्रम कार्य योजना (1994, काहिरा) तथा वर्ष 2019 नैरोबी वक्तव्य द्वारा निर्देशित है, जो महिलाओं के सशक्तीकरण और प्रजनन अधिकारों पर केंद्रित है।
  • उद्देश्य: UN विशेषज्ञ का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक गर्भावस्था वांछित हो, प्रत्येक प्रसव सुरक्षित हो तथा प्रत्येक युवा की क्षमता का पूर्ण उपयोग हो।
  • संरचना: UNFPA संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक परिषद (ECOSOC) द्वारा निर्देशित है UNDP/ UNFPA कार्यकारी बोर्ड (36 सदस्य) रिपोर्ट करते हैं तथा  WHO, UNICEF, UNDP और UNAIDS के साथ सहयोग करते हैं।
  • वित्तपोषण: UNFPA को संयुक्त राष्ट्र के नियमित बजट से वित्तपोषित नहीं किया जाता है। इसे पूरी तरह से सरकारों, निजी क्षेत्र और नागरिक समाज के स्वैच्छिक योगदान के माध्यम से समर्थन दिया जाता है।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न 

प्रश्न.1 किसी भी देश के संदर्भ में निम्नलिखित में से किसे उसकी सामाजिक पूंजी का हिस्सा माना जाएगा? (2019)

(a) जनसंख्या में साक्षरों का अनुपात
(b) इसकी इमारतों, अन्य बुनियादी ढांँचों और मशीनों का स्टॉक
(c) कामकाजी आयु-वर्ग में जनसंख्या का आकार
(d) समाज में आपसी विश्वास और सद्भाव का स्तर

उत्तर: (d)


प्रश्न. 2 भारत को "जनसांख्यिकीय लाभांश" वाला देश माना जाता है। यह किस कारण है? (2011)

(a) 15 वर्ष से कम आयु वर्ग में इसकी उच्च जनसंख्या
(b) 15-64 वर्ष के आयु वर्ग में इसकी उच्च जनसंख्या
(c) 65 वर्ष से अधिक आयु वर्ग में इसकी उच्च जनसंख्या
(d) इसकी उच्च कुल जनसंख्या

उत्तर: (b)


मेन्स:

प्रश्न. "भारत में जनांकिकीय लाभांश तब तक सैद्धांतिक ही बना रहेगा जब तक कि हमारी जनशक्ति अधिक शिक्षित, जागरूक, कुशल और सृजनशील नहीं हो जाती।" सरकार ने हमारी जनसंख्या को अधिक उत्पादनशील और रोज़गार-योग्य बनने की क्षमता में वृद्धि के लिये कौन-से उपाय किये हैं? (2016)

प्रश्न. "जिस समय हम भारत के जनसांख्यिकीय लाभांश (डेमोग्राफिक डिविडेंड) को शान से प्रदर्शित करते हैं, उस समय हम रोज़गार-योग्यता की पतनशील दरों को नज़रअंदाज़ कर देते हैं।" क्या हम ऐसा करने में कोई चूक कर रहे हैं? भारत को जिन जॉबों की बेसबरी से दरकार है, वे जॉब कहाँ से आएंगे? स्पष्ट कीजिये। (2014)

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