उत्तराखंड
नमूना पंजीकरण प्रणाली (SRS) सांख्यिकीय रिपोर्ट 2021
- 16 May 2025
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चर्चा में क्यों?
भारत के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा जारी नमूना पंजीकरण प्रणाली (SRS) सांख्यिकीय रिपोर्ट 2021 के अनुसार, उत्तराखंड वर्ष 2016 से 2021 की अवधि के दौरान जन्म दर में वृद्धि दर्ज करने वाला एकमात्र राज्य था।
- यह प्रवृत्ति शहरीकरण, बेहतर स्वास्थ्य सेवा और महिला शिक्षा जैसे कारकों से प्रेरित उन्नत जनसांख्यिकीय परिवर्तन को इंगित करती है।
मुख्य बिंदु
रिपोर्ट के बारे में:
- SRS भारत का सबसे बड़ा जनसांख्यिकीय सर्वेक्षण है, जिसे जन्म और मृत्यु दर जैसे प्रजनन और मृत्यु दर संकेतकों का वार्षिक अनुमान प्रदान करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- 2021 SRS, दशकीय जनगणना से प्राप्त महत्त्वपूर्ण जनसंख्या प्रवृत्ति अंतर्दृष्टि प्रदान करता है, जो 2021 के लिये अभी तक आयोजित नहीं की गई है।
अशोधित जन्म दर:
- अशोधित जन्म दर वर्ष के दौरान होने वाले जीवित जन्मों की संख्या को दर्शाती है, जिसका अनुमान मध्य वर्ष में प्रति 1,000 जनसंख्या पर लगाया जाता है।
- भारत की अशोधित जन्म दर 2021 में 19.3 थी, जो 2016 से 2021 तक सालाना 1.12% की दर से घट रही है।
- इसी अवधि के दौरान तमिलनाडु, दिल्ली और केरल में क्रमशः 2.35%, 2.23% और 2.05% प्रति वर्ष की दर से तीव्र गिरावट देखी गई।
- जन्म दर में सबसे कम गिरावट राजस्थान (0.48%), बिहार (0.86%), छत्तीसगढ़ (0.98%), झारखंड (0.98%), असम (1.05%), मध्य प्रदेश (1.05%), पश्चिम बंगाल (1.08%) और उत्तर प्रदेश (1.09%) में हुई।
- आंध्र प्रदेश (1.26%), तेलंगाना (1.67%) और कर्नाटक (1.68%) सहित अन्य दक्षिणी राज्यों में भी औसत से अधिक तीव्र गिरावट दर्ज की गई।
- संपूर्ण दक्षिणी क्षेत्र में परिवार का आकार छोटा होता जा रहा है तथा जनसंख्या वृद्धि स्थिर हो रही है।
कुल प्रजनन दर (TFR) :
- कुल प्रजनन दर (TFR) एक महिला द्वारा अपने प्रजनन वर्षों के दौरान अपेक्षित बच्चों की औसत संख्या को दर्शाती है।
- वर्ष 2021 में, भारत की TFR 2.0 थी, जिसमें बिहार में 3.0 की उच्च TFR, उत्तर प्रदेश में 2.7, मध्य प्रदेश में 2.6 और राजस्थान में 2.4 थी।
सकल प्रजनन दर (GRR):
- भारत के लिये GRR 1 है, जिसका अर्थ है कि औसतन भारत में प्रत्येक महिला की एक बेटी होती है, जो प्रजनन आयु तक जीवित रहती है और उसके अपने बच्चे होते हैं।
- इसके विपरीत, बिहार (1.4), उत्तर प्रदेश (1.3), राजस्थान (1.2) और मध्य प्रदेश (1.2) में उच्च GRR दर्ज की गई।
जन्म पंजीकरण प्रवृत्ति और डाटा अंतर्दृष्टि: नागरिक पंजीकरण प्रणाली (CRS) 2021 के आंकड़ों से पता चलता है कि जन्म दर में सबसे कम गिरावट वाले राज्यों में पंजीकृत जन्मों में भी वृद्धि दर्ज की गई है, जिनमें शामिल हैं:
- बिहार, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, जम्मू-कश्मीर, आदि।
- तेलंगाना में 2019 के बाद पंजीकृत जन्मों में तीव्र वृद्धि देखी गई, जिसके बाद 2020 के बाद इसमें गिरावट आई।
उत्तराखंड में महिला कल्याण से संबंधित योजनाएँ
- मुख्यमंत्री महालक्ष्मी किट योजना: यह योजना महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग द्वारा प्रथम बार बनी माताओं और उनकी बेटियों को सामाजिक सुरक्षा सहायता प्रदान करने के लिये शुरू की गई थी।
- नंदा गौरा योजना: लड़कियों को जन्म से लेकर शादी तक उनकी शिक्षा और सशक्तीकरण के लिये वित्तीय सहायता प्रदान करती है, जिसका उद्देश्य उत्तराखंड के पात्र निवासियों के बीच कन्या भ्रूण हत्या, बाल विवाह और सामाजिक असमानता को रोकना है।
- मातृत्व लाभ योजना (UKBOCWWB): यह पंजीकृत महिला श्रमिकों को उनकी मातृत्व अवधि के दौरान 10,000 रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
- मुख्यमंत्री महिला पोषण योजना: यह कुपोषण से निपटने और मातृ स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिये गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को पौष्टिक खाद्य पूरक प्रदान करती है।
भारत के महापंजीयक
- गृह मंत्रालय के अधीन वर्ष 1949 में स्थापित RGI, भारत की दशकीय जनगणना और भारतीय भाषाई सर्वेक्षण सहित जनसंख्या डाटा संग्रह की देखरेख के लिये ज़िम्मेदार है।
- RGI RBD अधिनियम, 1969 के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करता है और निरंतर जन्म और मृत्यु पंजीकरण के लिये CRS का प्रबंधन करता है।
- यह सभी सामान्य निवासियों के जनसांख्यिकीय विवरण दर्ज करने के लिये राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) का भी रखरखाव करता है।
- RGI का नेतृत्व एक वरिष्ठ सिविल सेवक करता है, जो आमतौर पर संयुक्त सचिव स्तर का होता है, RGI जनसांख्यिकीय योजना और नीति निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।