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हरियाणा में कन्या भ्रूण हत्या रोकने के प्रयास

  • 16 May 2025
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हरियाणा सरकार द्वारा कन्या भ्रूण हत्या पर अंकुश लगाने तथा 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' अभियान के तहत उपायों को मज़बूत करने लिये एक बैठक आयोजित की गई। 

मुख्य बिंदु 

  • ज़िला स्तरीय समितियों का गठन:
    • ज़िला स्तरीय स्थायी समितियों का गठन किया गया है, जिनके अध्यक्ष उपायुक्त (DC) हैं तथा मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) सदस्य सचिव के रूप में कार्य करते हैं।
    • ये समितियाँ राज्य के लिंगानुपात में सुधार लाने के उद्देश्य से कड़ी निगरानी और बेहतर समन्वय के लिये ज़िम्मेदार हैं।
  • नियमित निगरानी और निरीक्षण:
    • समितियाँ साप्ताहिक बैठकें आयोजित करेंगी ताकि 
      • चिकित्सीय गर्भपात (MTP) किटों की बिक्री पर रिपोर्ट की समीक्षा की जा सके।
      • अवैध लिंग निर्धारण को रोकने के लिये अल्ट्रासाउंड केंद्रों का निरीक्षण किया जा सके।
      • कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिये रणनीति तैयार की जा सके।
  • कानूनी कार्रवाई और अनुशासनात्मक उपाय:
    • लिंग-चयनात्मक गर्भपात में संलिप्त पाए जाने वाले डॉक्टरों पर हरियाणा मेडिकल काउंसिल द्वारा मेडिकल लाइसेंस रद्द करने सहित कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
    • 12 सप्ताह से अधिक के सभी गर्भपातों की, विशेषकर जब दंपति की पहले से ही बेटियाँ हों, सिविल सर्जनों द्वारा गहन जाँच की जाएगी।
  • प्रारंभिक गर्भावस्था पंजीकरण: स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिया गया है कि वह शीघ्र ट्रैकिंग और सहायता के लिये 10 सप्ताह से पहले प्रत्येक गर्भावस्था का प्रसवपूर्व देखभाल (ANC) पंजीकरण सुनिश्चित करे।
  • 'सहेलियों' के माध्यम से व्यक्तिगत सहायता: एक या एक से अधिक लड़कियों वाली गर्भवती महिलाओं को परामर्श और निगरानी के लिये आशा या आंगनवाड़ी कार्यकर्त्ताओं को 'सहेली' के रूप में नियुक्त किया जाता है।
    • यदि कोई आशा या आंगनवाड़ी कार्यकर्त्ता अवैध गर्भपात में संलिप्त पाई गई तो उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
  • जागरूकता और सामुदायिक सहभागिता:
    • ज़िला प्रशासन सूचना, शिक्षा और संचार (IEC) अभियान का विस्तार करेंगे।
    • लैंगिक समानता और बालिकाओं के महत्त्व को बढ़ावा देने के लिये धार्मिक और सामुदायिक नेताओं को शामिल किया जाएगा।

बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ (BBBP) योजना

  • इसे लिंग-चयनात्मक गर्भपात से निपटने और घटते बाल लिंग अनुपात (2011 में प्रति 1,000 लड़कों पर 918 लड़कियाँ) में सुधार लाने के लिये जनवरी 2015 में शुरू किया गया था।
  • यह योजना महिला एवं बाल विकास, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा मानव संसाधन विकास मंत्रालयों की संयुक्त पहल है।
  • 405 ज़िलों में क्रियान्वित इस योजना का मुख्य उद्देश्य लिंग-पक्षपाती लिंग चयन को रोकना, लड़कियों का अस्तित्व और संरक्षण सुनिश्चित करना, उनकी शिक्षा और भागीदारी को बढ़ावा देना तथा उनके अधिकारों की रक्षा करना है।

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