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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

हॉन्गकॉन्ग के विशेष दर्जे की समाप्ति

  • 16 Jul 2020
  • 8 min read

प्रीलिम्स के लिये

हॉन्गकॉन्ग संकट, हॉन्गकॉन्ग की अवस्थिति

मेन्स के लिये 

अमेरिका का हालिया निर्णय और हॉन्गकॉन्ग पर उसका प्रभाव, अमेरिका-चीन संबंध और भारत 

चर्चा में क्यों?
हॉन्गकॉन्ग के मुद्दे पर अमेरिका और चीन के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है, इसी परिप्रेक्ष्य में हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हॉन्गकॉन्ग के विशेष दर्जे को समाप्त कर दिया है।

प्रमुख बिंदु

  • इसके साथ ही राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हॉन्गकॉन्ग स्वायत्तता अधिनियम (Hong Kong Autonomy Act) पर भी हस्ताक्षर किये हैं, जो कि उन चीनी अधिकारियों और हॉन्गकॉन्ग पुलिस के अधिकारियों को भी प्रतिबंधित किया जाएगा, जो हॉन्गकॉन्ग की स्वायत्तता को नष्ट करने और मानवाधिकारों के उल्लंघन में शामिल हैं।।
    • इसके अलावा उन बैंकों पर भी प्रतिबंध लगाए जाएंगे जो प्रतिबंधित लोगों के साथ आर्थिक लेन-देन में शामिल होंगे।
  • इस संबंध में घोषणा करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि अब हॉन्गकॉन्ग को मुख्य चीन का एक हिस्सा माना जाएगा और उसे किसी भी प्रकार का विशेषाधिकार नहीं दिया जाएगा और न ही उसे संवेदनशील प्रौद्योगिकियों का निर्यात किया जाएगा।
  • अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि ‘चीन द्वारा इस कानून के माध्यम से हॉन्गकॉन्गवासियों की स्वतंत्रता छीनी जा रही है और उनके मानवाधिकारों का हनन किया जा रहा है।

हॉन्गकॉन्ग के विशेषाधिकार 

  • वर्ष 1842 में चीन राजवंश के प्रथम अफीम युद्ध में पराजित होने के बाद चीन ने ब्रिटिश साम्राज्य को हॉन्गकॉन्ग द्वीप सौंप दिया था, उसके बाद हॉन्गकॉन्ग का (एक अलग भू-भाग) अस्तित्त्व सामने आया।
  • लगभग एक शताब्दी तक ब्रिटेन का उपनिवेश रहने के पश्चात् वर्ष 1997 में यह क्षेत्र चीन को वापस सौंप दिया गया और इसी के साथ ही एक देश दो व्यवस्था (One Nation Two System) की अवधारणा भी सामने आई।
    • इस व्यवस्था के अनुसार हॉन्गकॉन्ग को विशेष दर्जा दिया गया अर्थात् हॉन्गकॉन्ग की शासन व्यवस्था चीन के मुख्य क्षेत्र से अलग होनी थी। 
  • अमेरिका ने आधिकारिक तौर पर अपनी कूटनीति में हॉन्गकॉन्ग और चीन के बीच अंतर को मान्यता दी, जिसे अमेरिका-हॉन्गकॉन्ग नीति अधिनियम, 1992 के तहत शामिल किया गया।
  • तदनुसार, हॉन्गकॉन्ग को अमेरिका के साथ लेन-देन में उन सभी तरजीहों का फायदा मिलता है जो या तो चीन को नहीं मिलता या चीन के लिये प्रतिबंधित है।
    • इसमें न्यून व्यापार शुल्क और एक अलग आव्रजन नीति जैसे विषय शामिल हैं।

चीन का पक्ष

  • अमेरिका के इस कदम का विरोध करते हुए चीन ने कहा कि अमेरिका का यह हॉन्गकॉन्ग स्वायत्तता अधिनियम स्पष्ट तौर पर हॉन्गकॉन्ग में चीन के कानून को दुर्भावनापूर्ण रूप से बदनाम करने का कार्य कर रहा है।
  • चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि ‘चीन अपने हितों की रक्षा के लिये आवश्यक प्रतिक्रिया देगा और इस संबंध में आवश्यक पड़ने पर अमेरिका के अधिकारियों और संस्थाओं पर प्रतिबंधों की घोषणा भी करेगा।’
  • कड़े शब्दों में अमेरिका का विरोध करते हुए चीन के विदेश मंत्रालय ने अमेरिका के इस कदम को चीन के घरेलू मामले में ‘अमेरिकी हस्तक्षेप’ के रूप में परिभाषित किया है।

इस कदम के निहितार्थ

  • हॉन्गकॉन्ग के संबंध में अमेरिका द्वारा चीन के अधिकारियों पर लगाए जाने वाले प्रतिबंध और अमेरिका के नए कानून को लेकर चीन की धमकी स्पष्ट तौर पर दोनों देशों के संबंधों में पहले से मौजूद तनाव को और अधिक बढ़ाएगी।
  • विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका के इस कदम के कारण सबसे अधिक नुकसान ‘हॉन्गकॉन्ग’ को झेलना पड़ेगा और इस कदम से चीन के हित काफी सूक्ष्म स्तर पर प्रभावित होंगे।
  • हॉन्गकॉन्ग में बीजिंग की कार्रवाई के अलावा डोनल्ड ट्रंप ने कोरोना वायरस महामारी से निपटने, दक्षिण चीन सागर में सैन्य निर्माण, उइगर मुस्लिम अल्पसंख्यकों के मानवाधिकार उल्लंघन और कई देशों के साथ बड़े पैमाने पर व्यापार अधिशेषों को लेकर भी चीन की आलोचना की।
  • हॉन्गकॉन्ग के विशेष दर्जे को रद्द करने के निर्णय से गैर-चीनी कंपनियां हॉन्गकॉन्ग में अपने कार्य को संचालित करने पर विचार करने के लिये बाध्य होंगी।
  • गौरतलब है कि अधिकांश पश्चिमी देशों की कंपनियों ने अपने क्षेत्रीय कार्यालयों के रूप में हॉन्गकॉन्ग को चुना है, क्योंकि इसके माध्यम से चीन के साथ-साथ जापान, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया और भारत जैसे देशों को भी कवर किया जा सकता है।
    • अनुमान के अनुसार, हॉन्गकॉन्ग में 1,500 से भी अधिक विदेशी व्यवसायों का एशियाई मुख्यालय स्थित है, जिसमें से 300 अमेरिकी कंपनियाँ हैं, यही कारण है कि यह स्थान काफी महत्त्वपूर्ण माना जाता है।
  • यदि कुछ कंपनियाँ भी अपने व्यवसाय को किसी अन्य क्षेत्र पर हस्तांतरित करती हैं, तो इससे हॉन्गकॉन्ग की स्थानीय अर्थव्यवस्था को काफी अधिक नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
  • हालाँकि विशेषज्ञों के मतानुसार, अमेरिका के इस निर्णय का चीन की अर्थव्यवस्था पर कुछ खासा प्रभाव नहीं पड़ेगा। गौरतलब है कि जब ब्रिटेन ने एक स्वायत्त क्षेत्र के रूप में हॉन्गकॉन्ग को चीन को दिया था, तब चीन की अर्थव्यवस्था में हॉन्गकॉन्ग की काफी महत्त्वपूर्ण भूमिका थी और हॉन्गकॉन्ग चीन के सकल घरेलू उत्पाद के लगभग 18 प्रतिशत हिस्से का उत्तरदायी था।
    • हालाँकि वर्तमान में यह आँकड़ा पूरी तरह से बदल चुका है, चीन ने बीते 25 वर्षों में काफी बड़े पैमाने पर विकास किया है और अब हॉन्गकॉन्ग चीन की अर्थव्यवस्था में केवल 2-3 प्रतिशत का ही योगदान देता है।

स्रोत: द हिंदू

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