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शासन व्यवस्था

तमिलनाडु द्वारा सूक्ष्म सिंचाई के साथ ‘प्रति बूंद अधिक फसल’ की अवधारणा को प्रोत्साहन

  • 25 Jun 2018
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

तमिलनाडु सरकार 2018-19 में 3.57 लाख एकड़ कृषि भूमि की ड्रिप सिंचाई हेतु 2982.18 करोड़ रुपए के वित्तीय व्यय की योजना बना रही है। 2017-18 के आधिकारिक आँकड़ों के अनुसार 692.26 करोड़ रुपए के कुल वित्तीय परिव्यय के साथ 3.01 लाख एकड़ कृषि क्षेत्र को कवर किया गया है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु 

  • 2011-12 और 2016-17 के बीच राज्य द्वारा 1,170.88 करोड़ रुपए के वित्तीय व्यय पर माइक्रो सिंचाई के तहत 4.72 लाख एकड़ कृषि भूमि को कवर किया गया जिससे 1.52 लाख छोटे और सीमांत किसानों सहित 2.05 लाख किसान लाभान्वित हुए।
  • छोटे और सीमांत किसानों को सूक्ष्म सिंचाई के लिये 100 प्रतिशत सब्सिडी तथा अन्य किसानों को 75 प्रतिशत सब्सिडी दी गई है। केंद्र और राज्य सरकार के बीच सब्सिडी का अनुपात 60:40 है।
  • सब्सिडी योजना में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिये सरकार ने पिछले साल से माइक्रो सिंचाई प्रबंधन सूचना प्रणाली शुरू की है।
  • किसानों हेतु बागवानी और वृक्षारोपण विभाग द्वारा बनाई गई सुविधा के माध्यम से खुद को ऑनलाइन पंजीकृत कर सकते हैं और इसकी निगरानी सब्सिडी रिलीज़ होने तक की जा सकती है।
  • ड्रिप सिंचाई प्रणाली निर्माताओं और किसानों ने सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली पर ध्यान केंद्रित किया है क्योंकि यह जल उपयोग दक्षता और उत्पादकता को बढ़ा कर स्पष्ट लाभ प्रदान करने में सक्षम है। हालाँकि, वे उम्मीद कर रहे हैं कि क्षेत्र कवरेज में तेज़ी लाने के लिये कुछ और उपाय लागू किये जाएंगे।
  • राज्य में जीएसटी छोटे और सीमांत किसानों के लिये सब्सिडी में शामिल है। लेकिन अन्य किसानों को 12 प्रतिशत कर देना होगा।
  • राज्य सरकार को आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में योजनाबद्ध तरीकों के साथ बड़ी एकीकृत माइक्रो सिंचाई परियोजनाओं की स्थापना पर विचार करना होगा। सिंचाई के बुनियादी ढाँचे के हिस्से के रूप में यहाँ कई सौ एकड़ माइक्रो सिंचाई हेतु सफल प्रयास किये गए हैं।
  • आंध्र प्रदेश सरकार ने 1000 एकड़ के लिये परियोजना शुरू की है जिसमें दो प्रमुख ड्रिप सिंचाई निर्माताओं के साथ 500 एकड़ का संचालन किया गया है।
  • उद्योग सूत्रों के मुताबिक, कर्नाटक में भी इसी तरह की परियोजना शुरू की गई है जिसे कार्यान्वित किया जा रहा है।
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