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प्रोडक्शन गैप रिपोर्ट, 2025

  • 25 Sep 2025
  • 57 min read

स्रोत: HT  

चर्चा में क्यों?

प्रोडक्शन गैप 2025 रिपोर्ट से पता चलता है कि देशों की योजनाएँ वर्ष 2030 तक उतनी जीवाश्म ईंधन (फॉसिल फ्यूल) का उत्पादन करने की हैं, जो ग्लोबल वार्मिंग को 1.5°C (पेरिस समझौते के लक्ष्य) तक सीमित करने के लिये आवश्यक से अधिक हैं। रिपोर्ट यह भी उजागर करती है कि वर्ष 2023 के बाद से उत्पादन योजनाएँ बढ़ गई हैं, जिससे वर्तमान नीतियों और जलवायु लक्ष्यों को हासिल करने के लिये आवश्यक कदमों के बीच अंतर और व्यापक हो गया है।

प्रोडक्शन गैप रिपोर्ट, 2025

  • यह रिपोर्ट स्टॉकहोम एन्वायरनमेंट इंस्टीट्यूट (SEI), क्लाइमेट एनालिटिक्स, और इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट (IISD) द्वारा प्रकाशित की गई है और इसे संयुक्त राष्ट्र का समर्थन प्राप्त है।
  • यह सरकारों द्वारा योजना अनुसार जीवाश्म ईंधन उत्पादन और ग्लोबल वार्मिंग को 1.5°C या 2°C तक सीमित करने के लिये आवश्यक वैश्विक उत्पादन के बीच अंतर को ट्रैक करती है।
  • 2025 का संस्करण इस रिपोर्ट का पाँचवाँ संस्करण है, जिसकी शुरुआत वर्ष 2019 में हुई थी और यह वर्ष 2023 की रिपोर्ट में किये गए विश्लेषण को अपडेट करता है।

प्रोडक्शन गैप रिपोर्ट, 2025 के प्रमुख निष्कर्ष क्या हैं?

  • कोयले की बढ़ती माँग: कोयला अब भी सबसे अधिक असंगत ऊर्जा स्रोत बना हुआ है, क्योंकि वर्ष 2030 में वैश्विक उत्पादन, 1.5°C मार्गदर्शिका के अनुसार अनुमानित स्तर से लगभग 500% अधिक होने का अनुमान है।
    • भारत ने वर्ष 2020 में कोयला गैसीकरण मिशन की शुरूआत की, जिसका लक्ष्य वर्ष 2030 तक 100 मिलियन टन कोयले को गैसीकृत करना है।
      • कोयला गैसीकरण एक ताप-रासायनिक प्रक्रिया है जो कोयले को संश्लेषण गैस या "सिनगैस" में परिवर्तित करती है, जो मुख्य रूप से कार्बन मोनोऑक्साइड और हाइड्रोजन से बनी होती है।
  • जीवाश्म ईंधन उत्पादन में वृद्धि: वर्ष 2030 में योजनाबद्ध जीवाश्म ईंधन उत्पादन, 1.5°C सीमा को बनाए रखने के लिये आवश्यक स्तर से 120% और 2°C सीमा से 77% अधिक होने की उम्मीद है।
    • सरकारें वर्ष 2035 तक कोयले और वर्ष 2050 तक गैस का उत्पादन बढ़ाने की योजना बना रही हैं, जबकि तेल का उत्पादन भी 2050 तक बढ़ने का अनुमान है।
      • वर्ष 2023 में, सरकार ने तेल और गैस सब्सिडी के रूप में 726 बिलियन रुपये प्रदान किये बल्कि वर्ष 2030 तक ऊर्जा मिश्रण में गैस की हिस्सेदारी 6.2% से बढ़ाकर 15% करने का लक्ष्य रखा है।
  • मुख्य योगदानकर्त्ता: वर्ष 2022 में वैश्विक जीवाश्म ईंधन आधारित उत्सर्जन में चीन, अमेरिका और रूस का योगदान आधे से अधिक था, जबकि 20 प्रमुख उत्पादक देशों ने लगभग 80% वैश्विक उत्पादन में योगदान दिया।
  • जलवायु लक्ष्यों के साथ सीमित संगति: 20 प्रमुख उत्पादक देशों में से 17 ने वर्ष 2030 तक कम-से-कम एक प्रकार के जीवाश्म ईंधन के उत्पादन में वृद्धि की योजना बनाई है।
    • 11 देश (जिनमें चीन, भारत, अमेरिका, जर्मनी शामिल हैं) वर्ष 2023 की तुलना में अधिक उत्पादन करने की योजना बना रहे हैं।
      • केवल 6 देश अपने जीवाश्म ईंधन उत्पादन को नेट-ज़ीरो लक्ष्यों के अनुरूप बना रहे हैं (जो वर्ष 2023 में 4 थे)

भारत जीवाश्म ईंधन उत्पादन और नवीकरणीय ऊर्जा के बीच संतुलन किस प्रकार स्थापित कर सकता है?

  • म्नेमोनिक: GRIDS
  • G - Grid Infrastructure Modernization (ग्रिड अवसंरचना का आधुनिकीकरण): सौर और पवन ऊर्जा को संग्रहित और स्थानांतरित करने के लिये ऊर्जा भंडारण (बैटरियाँ, पंप्ड हाइड्रो) और ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर्स में निवेश करना, ताकि जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता कम हो।
  • R - Reskill Workers (कर्मचारियों को नए कौशल देना): झारखंड, छत्तीसगढ़ और ओड़िशा जैसे राज्यों में कोयला क्षेत्र के कर्मचारियों को नए कौशल में प्रशिक्षित करना और पूर्व खनन क्षेत्रों को सोलर पार्क या औद्योगिक उपयोग के लिये पुनः उपयोग करना, ताकि सामाजिक रूप से स्वीकार्य ऊर्जा संक्रमण संभव हो।
  • I - Increase Energy Efficiency (ऊर्जा दक्षता बढ़ाना): सख्त ऊर्जा दक्षता मानक लागू करना और डिमांड रिस्पॉन्स प्रोग्राम्स को बढ़ावा देना ताकि कुल ऊर्जा की मांग कम हो सके और सौर ऊर्जा के प्रचुर उपयोग से ग्रिड संतुलित रहे।
    उदाहरण: परफॉर्म, अचीव एंड ट्रेड (PAT) स्कीम 
  • D - Develop Natural Gas as a Bridge Fuel (प्राकृतिक गैस का विकास): वर्ष 2030 तक प्राकृतिक गैस का हिस्सा 6.2% से बढ़ाकर 15% करना। तरल गैस संयंत्रों का उपयोग करना, जो कोयले की तुलना में 50% कम CO₂ उत्सर्जित करते हैं, ताकि नवीकरणीय ऊर्जा का समर्थन सुनिश्चित हो और उत्सर्जन कम किया जा सके।
  • S - Sustainability through Policy Integration (नीतियों के माध्यम से स्थिरता): कार्बन प्राइसिंग, नवीकरणीय सब्सिडी और अप्रभावी जीवाश्म ईंधन सब्सिडी को समाप्त करके जीवाश्म ईंधन घटाने के लक्ष्यों को नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों के साथ संरेखित करना।

निष्कर्ष: 

प्रोडक्शन गैप रिपोर्ट 2025 एक गंभीर विरोधाभास को सामने लाती है: जलवायु प्रतिबद्धताओं के बावजूद, देश जीवाश्म ईंधन का उत्पादन बढ़ा रहे हैं और अल्पकालिक ऊर्जा सुरक्षा तथा आर्थिक विकास को प्राथमिकता दे रहे हैं। यह दिशा पेरिस समझौते को कमज़ोर करती है, विनाशकारी गर्मी के खतरे को बढ़ाती है और साफ ऊर्जा की ओर एक त्वरित तथा न्यायसंगत वैश्विक संक्रमण की तत्काल आवश्यकता को दर्शाती है।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: पेरिस समझौते की प्रतिबद्धताओं के बावजूद जीवाश्म ईंधन उत्पादन के निरंतर विस्तार के पीछे के कारणों पर चर्चा कीजिये।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न: 

प्रिलिम्स:

प्रश्न. "अभीष्ट राष्ट्रीय निर्धारित अंशदान (Intended Nationally Determined Contributions)" पद को कभी-कभी समाचारों में किस संदर्भ में देखा जाता है? (2016)

 (a) युद्ध-प्रभावित मध्य-पूर्व के शरणार्थियों के पुनर्वास के लिये यूरोपीय देशों द्वारा दिया गया वचन

 (b) जलवायु परिवर्तन का सामना करने के लिये विश्व के देशों द्वारा बनाई गई कार्ययोजना

 (c) एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक (एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक) की स्थापना करने में सदस्य राष्ट्रों द्वारा किया गया पूंजी योगदान

 (d) धारणीय विकास लक्ष्यों के बारे में विश्व के देशों द्वारा बनाई गई कार्ययोजना

उत्तर : (b)

प्रश्न. वर्ष 2015 में पेरिस में UNFCCC की बैठक में हुए समझौते के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2016)

  1. समझौते पर संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों ने हस्ताक्षर किये थे और यह 2017 में प्रभावी होगा।
  2.  समझौते का उद्देश्य ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को सीमित करना है ताकि इस सदी के अंत तक औसत वैश्विक तापमान में वृद्धि पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 2 डिग्री सेल्सियस या 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक न हो।
  3.  विकसित देशों ने ग्लोबल वार्मिंग में अपनी ऐतिहासिक ज़िम्मेदारी को स्वीकार किया और विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद करने के लिये वर्ष 2020 से प्रतिवर्ष $1000 बिलियन दान करने के लिये प्रतिबद्ध हैं।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a)केवल 1 और 3

(b) केवल 2

(c) केवल 2 और 3

(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)


मेन्स:

प्रश्न. ग्लोबल वार्मिंग (वैश्विक तापन) की चर्चा कीजिये और वैश्विक जलवायु पर इसके प्रभावों का उल्लेख कीजिये। क्योटो प्रोटोकॉल, 1997 के आलोक में ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनने वाली ग्रीनहाउस गैसों के स्तर को कम करने के लिये नियंत्रण उपायों को समझाइये। (2022)

प्रश्न. संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मलेन (यू.एन.एफ.सी.सी.सी.) के सी.ओ.पी. के 26वें सत्र के प्रमुख परिणामों का वर्णन कीजिये। इस सम्मेलन में भारत द्वारा की गई वचनबद्धताएँ क्या हैं? (2021)

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