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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

SCO शिखर सम्मेलन 2019

  • 15 Jun 2019
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में किर्गिज़स्तान की राजधानी बिश्केक में शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation-SCO) का 19वाँ शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया जिसमें भारत सहित तमाम सदस्य देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। भारत की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सम्मेलन में भाग लिया और एशियाई क्षेत्र में लगातार बढ़ रहे आतंकवाद पर अपनी चिंता भी ज़ाहिर की।

मुख्य बिंदु :

  • 19वें शिखर सम्मेलन में आतंकवाद प्रमुख मुद्दा रहा जिस पर सभी सदस्य देशों के प्रतिनिधियों ने गहरी चिंता व्यक्त की और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई हेतु एक साथ आने पर भी ज़ोर दिया गया।
  • जुलाई 2015 के बाद यह पहला मौका था जब भारत और पाकिस्तान के प्रतिनिधि द्विपक्षीय वार्ता के लिये एक साथ एक ही मंच पर मौजूद थे।
  • सम्मेलन में सदस्य देशों के मध्य क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ाने पर भी ध्यान दिया गया जो कि SCO का एक प्रमुख उद्देश्य है।
  • भारत और चीन के प्रतिनिधियों ने भविष्य में अपने बहुपक्षीय संबंधों को और मज़बूती प्रदान करने के तरीकों पर भी चर्चा की। ज्ञातव्य है कि चीन की आतंकवाद समर्थित नीति, बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (Belt and Road Initiative) तथा चीन-पाकिस्तान इकॉनमिक कॉरिडोर (China–Pakistan Economic Corridor - CPEC) के कारण दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव पैदा हुआ है।
  • साथ ही चीन ने अमेरिका की व्यापार संरक्षणवाद नीति (Trade Protectionism Policy) तथा प्रशुल्क (Tariff) को एक हथियार के रूप में प्रयोग करने पर चिंता ज़ाहिर की और इसके विरुद्ध एकजुट होने की आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया।
  • चीन और अमेरिका के बीच व्यापार युद्ध लगातार बढ़ता जा रहा है जिसका प्रमुख उदाहरण हाल ही में अमेरिका द्वारा चीनी कंपनी हुवाई (Huawei) पर कड़े व्यापार प्रतिबंध लगाना है।

शंघाई सहयोग संगठन

  • शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation-SCO) एक यूरेशियन राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा संगठन है जिसकी स्थापना चीन, कज़ाख़िस्तान, किर्गिज़स्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान द्वारा 15 जून, 2001 को शंघाई (चीन) में की गई थी।
  • उज़्बेकिस्तान को छोड़कर बाकी देश 26 अप्रैल, 1996 में गठित ‘शंघाई पाँच’ समूह के सदस्य हैं।
  • वर्ष 2005 में भारत और पाकिस्तान इस संगठन में पर्यवेक्षक के रूप में शामिल हुए थे।
  • भारत और पाकिस्तान को वर्ष 2017 में इस संगठन के पूर्ण सदस्य का दर्जा प्रदान किया गया।

बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI)

  • इस परियोजना की परिकल्पना वर्ष 2013 में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने की थी। हालाँकि चीन इस बात से इनकार करता है, लेकिन इसका प्रमुख उद्देश्य चीन द्वारा वैश्विक स्तर पर अपना भू-राजनीतिक प्रभुत्व कायम करना है।
  • यह एशिया, यूरोप तथा अफ्रीका के बीच भूमि और समुद्री क्षेत्र में कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिये परियोजनाओं का एक सेट है।
  • BRI को 'सिल्क रोड इकॉनमिक बेल्ट’ और 21वीं सदी की सामुद्रिक सिल्क रोड के रूप में भी जाना जाता है।
  • विश्व की 70% जनसंख्या तथा 75% ज्ञात ऊर्जा भंडारों को समेटने वाली यह परियोजना चीन के उत्पादन केंद्रों को वैश्विक बाज़ारों एवं प्राकृतिक संसाधन केंद्रों से जोड़ेगी।
  • इस योजना का प्रमुख उद्देश्य चीन को सड़क मार्ग के ज़रिये पड़ोसी देशों के साथ-साथ यूरोप से जोड़ना है, ताकि वैश्विक कारोबार को बढ़ाया जा सके।

चीन-पाकिस्तान इकॉनमिक कॉरिडोर (CPEC)

  • CPEC पाकिस्तान के ग्वादर से लेकर चीन के शिनजियांग प्रांत के काशगर तक लगभग 2442 किलोमीटर लंबी एक वाणिज्यिक परियोजना है।
  • इस परियोजना की कुल लागत लगभग 50 अरब डॉलर आँकी जा रही है।
  • चीन का यह निवेश दशकों से खराब हालात में चल रही पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था के लिये वरदान साबित हुआ है।
  • इस परियोजना का प्रमुख उद्देश्य रेलवे और हाइवे के माध्यम से तेल और गैस का कम समय में वितरण सुनिश्चित करना है।
  • एक अनुमान के मुताबिक, वर्ष 2030 तक करीब 7 लाख लोगों को इस परियोजना से प्रत्यक्ष लाभ प्राप्त होगा।

स्रोत- द हिंदू

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