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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

सऊदी-पाकिस्तान रक्षा समझौता

  • 22 Sep 2025
  • 52 min read

प्रिलिम्स के लिये: खाड़ी क्षेत्र, गाज़ा, लाल सागर, I2U2, वेस्ट कोस्ट रिफाइनरी परियोजना

मेन्स के लिये: भारत के लिये सऊदी-पाकिस्तान रक्षा समझौते के निहितार्थ तथा इसकी चुनौतियों से निपटने हेतु सुझाए गए उपाय।

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों? 

सऊदी अरब और पाकिस्तान ने सामरिक पारस्परिक रक्षा समझौते (SMDA) पर हस्ताक्षर करके दशकों के अनौपचारिक सैन्य सहयोग को औपचारिक रूप दिया है, यह एक ऐसा समझौता है जो दक्षिण एशिया और खाड़ी क्षेत्र में भारत के राष्ट्रीय हितों को विशेष रूप से प्रभावित कर सकता है। 

  • इस समझौते में सामूहिक रक्षा खंड, संयुक्त सैन्य तंत्र और खुफिया जानकारी साझा करना शामिल है। 
  • पाकिस्तान के लिये यह वित्तीय जीवनरेखा और रणनीतिक प्रासंगिकता प्रदान करता है, जबकि सऊदी अरब हेतु यह ईरान, हौथिस और इज़रायल की आक्रामकता जैसे क्षेत्रीय खतरों के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है। 

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सऊदी-पाकिस्तान समझौते के भारत पर क्या प्रभाव होंगे? 

  • मध्य पूर्व में रणनीतिक चुनौतियाँ: सऊदी-पाकिस्तान रक्षा समझौते ने दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक संबंधों को पुनर्जीवित किया है, जो भारत की खाड़ी कूटनीति के लिये भू-राजनीतिक चुनौती पेश करता है। 
    • पाकिस्तान, रियाध (Riyadh) के साथ अपने सुदृढ़ होते संबंधों का उपयोग करते हुए, इस्लामी सहयोग संगठन (OIC) में कश्मीर को लेकर भारत-विरोधी विमर्श को प्रोत्साहित कर सकता है, जिससे इस्लामी देशों में भारत की स्थिति और प्रभाव को चुनौती मिल सकती है। 
  • ऊर्जा सुरक्षा और प्रवासी भारतीयों पर प्रभाव: सऊदी-पाकिस्तान के बीच गहरे रणनीतिक गठबंधन के कारण भारत की ऊर्जा सुरक्षा तथा सऊदी कच्चे तेल पर निर्भरता को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, जिससे वाणिज्यिक एवं भू-राजनीतिक संबंध जटिल हो सकते हैं। 
    • इसके अतिरिक्त सऊदी अरब में भारत के 2.6 मिलियन प्रवासी, जो धन प्रेषण का एक प्रमुख स्रोत हैं, क्षेत्रीय राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव से प्रभावित हो सकते हैं। 
  • आतंकवाद-रोधी प्रयासों पर दबाव: अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर अलग-थलग करने के भारत के प्रयासों पर असर पड़ सकता है, क्योंकि सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच गहराती रणनीतिक साझेदारी सऊदी अरब के साथ भारत के बढ़ते आतंकवाद-रोधी सहयोग को प्रभावित कर सकती है। इससे भारत की कूटनीतिक पहलों के लिये रियाध का समर्थन सीमित हो सकता है। 
  • उन्नत तकनीकों में अस्थिरता बढ़ाने वाली हथियारों की दौड़ को बढ़ावा: सऊदी अरब का वित्तीय समर्थन पाकिस्तान को अपनी सैन्य क्षमता को तेज़ी से आधुनिक बनाने में सक्षम बना सकता है, जिससे वह लड़ाकू ड्रोन, हाइपरसोनिक मिसाइलें और साइबर युद्ध तकनीकों में निवेश कर सकेगा। इसके लिये वह तुर्की और चीन जैसे साझेदारों का सहारा ले सकता है, जिन पर भारत का प्रभाव सीमित है। 
    • इससे नई दिल्ली पर अपनी पश्चिमी सीमा पर तकनीकी रूप से उन्नत प्रतिद्वंद्वी का मुकाबला करने के लिये कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), अंतरिक्ष और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध जैसे क्षेत्रों में तेज़, और महंगी हथियारों की दौड़ में शामिल होने का दबाव बढ़ गया है। 

भारत के लिये सऊदी अरब का महत्त्व 

  • ऊर्जा सुरक्षा: सऊदी अरब एक रणनीतिक ऊर्जा साझेदार है जो भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं के लिये महत्त्वपूर्ण कच्चे तेल के सबसे बड़े आपूर्तिकर्त्ताओं में से एक है। 
  • आर्थिक साझेदारी: भारत सऊदी अरब का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, जबकि भारत के लिये सऊदी अरब पाँचवें स्थान पर है। 
    • सऊदी अरब में 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर के भारतीय निवेश (अगस्त 2023 तक) के साथ, यह संबंध भारत के आर्थिक विकास और विविधीकरण का एक प्रमुख स्तंभ है। 
  • सामरिक एवं रक्षा सहयोग: भारत और सऊदी अरब संयुक्त सैन्य अभ्यास जैसे कि EX-SADA TANSEEQ (भूमि) और अल मोहेद अल हिंदी (नौसेना) के माध्यम से रक्षा संबंधों को मज़बूत कर रहे हैं, जिससे अंतर-संचालन, विश्वास तथा क्षेत्रीय सुरक्षा सहयोग में वृद्धि होगी। 
  • भू-राजनीतिक लाभ और संपर्क: भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (IMEC) के लिये सऊदी समर्थन महत्त्वपूर्ण है, जो चीनी प्रभाव का मुकाबला करने और क्षेत्रीय संपर्क बढ़ाने हेतु एक प्रमुख पहल है। 
  • प्रवासी और सॉफ्ट पावर: 2.6 मिलियन की संख्या वाला भारतीय समुदाय महत्त्वपूर्ण सॉफ्ट पावर और विप्रेषण प्रदान करता है, जबकि योग जैसे सांस्कृतिक आदान-प्रदान लोगों के बीच संबंधों को मज़बूत करते हैं। 
  • भविष्योन्मुखी सहयोग: हरित ऊर्जा (सौर, हाइड्रोजन) और प्रौद्योगिकी (AI, फिनटेक) में भारत की पहल सऊदी विज़न 2030 के अनुरूप है, जो हाइड्रोकार्बन से आगे दीर्घकालिक एवं सतत् सहयोग की नींव रखती है। 

भारत सऊदी-पाकिस्तान समझौते के प्रभाव को कैसे संभाल सकता है? 

  • कूटनीति पर ज़ोर: भारत को सुनिश्चित करना चाहिये कि सऊदी अरब के साथ उसके संबंध पाकिस्तान की दृष्टि से नहीं, बल्कि आर्थिक हितों से परिभाषित हों। इसमें ऊर्जा सुरक्षा, निवेश संबंध (जैसे वेस्ट कोस्ट रिफाइनरी परियोजना) और नवीकरणीय ऊर्जा, प्रौद्योगिकी तथा वित्त से जुड़े भविष्य उन्मुख परियोजनाओं में उसकी भूमिका पर बल दिया जाना चाहिये। 
  • व्यावहारिक पुनः-संलग्नता को क्रियान्वित करना: सऊदी-पाकिस्तान समझौता ईरान को भारत के लिये एक सामरिक साझेदार के रूप में स्थापित करता है, जिससे नई दिल्ली को चाबहार बंदरगाह का पूर्ण उपयोग करने और अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC) को तीव्र करने की आवश्यकता है। इससे अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक सीधा एवं सुरक्षित मार्ग सुनिश्चित होगा तथा पाकिस्तान के पश्चिमी मोर्चे का संतुलन किया जा सकेगा। 
  • लुक वेस्ट नीति को सुदृढ़ करना: भारत को अपनी खाड़ी रणनीति में विविधता लानी चाहिये, जिसके लिये उसे व्यापार समझौतों, LNG आपूर्ति तथा रक्षा सहयोग के माध्यम से संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और कतर के साथ संबंध गहरे करने होंगे, साथ ही क्षेत्रीय संतुलन सुनिश्चित करने के लिये ईरान के साथ व्यावहारिक संबंध बनाए रखने होंगे। 
    • इसके अतिरिक्त, I2U2 जैसे लघुपक्षीय ढाँचे का लाभ उठाने से भारत की भूमिका एक स्थिर और गैर-खतरनाक साझेदार के रूप में मज़बूत होती है। 

निष्कर्ष 

सऊदी-पाकिस्तान समझौता पश्चिम एशिया में बहुध्रुवीयता की ओर एक महत्त्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक है, जो अविश्वसनीय अमेरिकी गारंटियों से बचाव के लिये प्रेरित है। भारत के लिये, अपने महत्त्वपूर्ण हितों की रक्षा और नए रणनीतिक परिदृश्य में आगे बढ़ने के लिये कुटिल कूटनीति, रियाद के साथ आर्थिक जुड़ाव तथा एक विविध क्षेत्रीय रणनीति की आवश्यकता है। 

दृष्टि मेन्स प्रश्न: 

प्रश्न. सऊदी-पाकिस्तान समझौता खाड़ी में भारत के हितों और प्रभाव को किस प्रकार प्रभावित करता है?

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ) 

प्रिलिम्स

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन 'खाड़ी सहयोग परिषद' का सदस्य नहीं है? (2016) 

(a) ईरान 
(b) ओमान 
(c) सऊदी अरब 
(d) कुवैत 

उत्तर: (a) 


मेन्स 

प्रश्न. भारत की ऊर्जा सुरक्षा का प्रश्न भारत की आर्थिक प्रगति का सबसे महत्त्वपूर्ण भाग है। पश्चिम एशियाई देशों के साथ भारत के ऊर्जा नीति सहयोग का विश्लेषण कीजिये। (2017) 

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