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रेल मंत्रालय की कौशल भारत पहल अप्रेंटिसों का प्रशिक्षण

  • 14 Feb 2018
  • 13 min read

चर्चा में क्यों?
कौशल भारत पहल में बड़ा योगदान करते हुए रेल मंत्रालय द्वारा फिटर, टर्नर, मशीन वेल्‍डर, पेंटर, बढ़ई, इलेक्ट्रिशियन, रेफ्रिजरेटर और एसी मेकैनिक और मोटर वाहन मेकैनिक के तौर पर अप्रेंटिसों को विभिन्‍न कार्यों में प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। मंत्रालय द्वारा अपनी 16 जोनल इकाइयों और सात उत्‍पादन इकाइयों में 30 हज़ार अप्रेंटिसों को प्रिशिक्षित करने का लक्ष्‍य निर्धारित किया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • वर्ष 2017-18 की अवधि में 26,000 अप्रेंटिसों को प्रशिक्षण देने की योजना बनाई गई है। ये उन 4000 अप्रेंटिसों के अतिरिक्‍त हैं जो रेलवे की विभिन्‍न इकाइयों में पहले से ही प्रशिक्षण ले रहे हैं।
  • इसके अतिरिक्त 62,907 कर्मियों को लेवल वन वेतनमान पर भर्ती करने के लिये एक अधिसूचना भी जारी की गई।
  • इनमें से रेलवे प्रतिष्‍ठानों में प्रशिक्षित अप्रेंटिसों को 12 हज़ार रिक्‍त पदों पर नियुक्ति में प्राथमिकता दी जाएगी। यह व्‍यवस्‍था अप्रेंटिस अधिनियम, 1961 में हाल में किये गए संशोधनों के तहत की गई है।
  • रेलवे के अंतर्गत मानव संसाधन विकास में श्रम बल के कौशल विकास को सबसे महत्त्वपूर्ण माना जाता है। इसके लिये ज़रुरी नहीं है कि श्रम बल को आवश्‍यकताओं के अनुरूप प्रशिक्षित करने के लिये बाहर से प्रशिक्षण दिलाया जाए, बल्कि इसके लिये सबसे महत्त्वपूर्ण यह है कि उन्‍हें उस स्थान पर प्रशिक्षण दिया जाना चाहिये, जहाँ पर वह काम कर रहे हैं।
  • अप्रेंटिस प्रशिक्षण में प्राथमिक प्रशिक्षण और नौकरी में रहते हुए प्रशिक्षण तथा व्‍यावहारिक प्रशिक्षण शामिल है। प्राथमिक प्रशिक्षण के तहत ऐसे अप्रेंटिसों को प्रशिक्षित किया जाता है, जिन्‍होंने कभी किसी संस्‍था से कोई प्रशिक्षण नहीं लिया है।
  • ऐसा प्रशिक्षण कुल प्रशिक्षण अवधि का 20 से 30 प्रतिशत होता है। नौकरी में रहते हुए दिया जाने वाला प्रशिक्षण उस प्रतिष्‍ठान में दिया जाता है, जहाँ अप्रेंटिस कार्यरत होता है।

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना

  • प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) युवाओं के कौशल प्रशिक्षण के लिये शुरू की गई एक प्रमुख योजना है। इसके तहत पाठ्यक्रमों में सुधार, बेहतर शिक्षण और प्रशिक्षित शिक्षकों पर विशेष ज़ोर दिया गया है। प्रशिक्षण में अन्य पहलुओं के साथ ही व्यवहार कुशलता और व्यवहार में परिवर्तन भी शामिल है।

प्रमुख बिंदु

  • इस योजना को राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) के माध्यम से क्रियान्वित किया जा रहा है। इसके तहत 24 लाख युवाओं को प्रशिक्षण के दायरे में लाया जाएगा।
  • कौशल प्रशिक्षण नेशनल स्किल क्वालिफिकेशन फ्रेमवर्क (एनएसक्यूएफ) और उद्योग द्वारा तय मानदंडों पर आधारित होगा।
  • कार्यक्रम के तहत तृतीय पक्ष आकलन संस्थाओं द्वारा मूल्यांकन और प्रमाणपत्र के आधार पर प्रशिक्षुओं को औसतन 8,000 रुपए प्रति प्रशिक्षु नकद पारितोषिक दिया जाएगा। 
  • प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत मुख्य रूप से श्रम बाज़ार में पहली बार प्रवेश कर रहे लोगों पर ज़ोर होगा और विशेषकर कक्षा 10 व 12 के दौरान स्कूल छोड़ चुके छात्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
  • योजना का क्रियान्वयन एनएसडीसी के प्रशिक्षण साझेदारों द्वारा किया जाएगा। 
  • केंद्र व राज्य सरकारों से संबंधित प्रशिक्षण प्रदाता संस्थाओं को भी इस योजना के तहत प्रशिक्षण लेने के लिये जोड़ा जाएगा। सभी प्रशिक्षण प्रदाताओं को इस योजना के लिये योग्य होने हेतुएक जाँच प्रक्रिया से गुज़रना होगा। 
  • इस योजना के तहत सेक्टर कौशल परिषद व राज्य सरकारें भी कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों की निगरानी करेंगी।

कौशल विकास प्रबंधन प्रणाली

  • कौशल विकास प्रबंधन प्रणाली के अंतर्गत सभी प्रशिक्षण केंद्रों के विवरणों और प्रशिक्षण व पाठ्यक्रम की गुणवत्ता की जाँच की जाती है। जहाँ तक संभव हो सके है इसके तहत प्रशिक्षण प्रक्रिया में बायोमेट्रिक सिस्टम व वीडियो रिकॉर्डिंग को भी शामिल करने की दिशा में प्रयास किये जा रहे हैं।
  • इसमें शिकायतों के निपटान के लिये एक प्रभावी शिकायत निवारण तंत्र भी शुरू किया जाएगा।
  • कार्यक्रम के प्रचार-प्रसार के लिये एक ऑनलाइन नागरिक पोर्टल भी शुरू किया जाएगा।
  • कुल 1120 करोड़ रुपए के परिव्यय से 14 लाख युवाओं को प्रशिक्षित किया जाएगा और इसमें पूर्व शिक्षा-प्रशिक्षण को चिन्हित करने पर विशेष ज़ोर दिया जाएगा।
  • युवाओं को कौशल मेलों के ज़रिये आकर्षित जाएगा और इसके लिये स्थानीय स्तर पर राज्य सरकारों, स्थानीय निकायों, पंचायती राज संस्थाओं और समुदाय आधारित संस्थाओं का सहयोग लिया जाएगा।
  • इस दिशा में किये गए सभी उपायों को शामिल करने के लिये एक नई राष्ट्रीय कौशल व उद्यम विकास नीति भी तैयार की गई है।
  • इस नीति के ज़रिये उच्च गुणवत्ता वाले कार्यबल के साथ विकास को बढ़ावा देने की रूपरेखा तैयार की जा रही है। इस प्रकार वर्ष 2022 तक 50 करोड़ लोगों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य रखा गया है।

राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन

  • राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन को देश में कौशल गतिविधियों के कार्यान्वयन के लिये केंद्र और राज्य स्तर पर सुदृढ़ संस्थागत ढाँचा प्रदान करने हेतु शुरू किया गया।
  • इस मिशन में त्रि-चरणीय, उच्चाधिकार प्राप्त निर्णय लेने संबंधी ढाँचा होगा। शीर्ष पर, प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाले मिशन की गवर्निंग काउंसिल होगी, जो समग्र मार्गदर्शन एवं नीतिगत दिशा प्रदान करेगी।
  • कौशल विकास के प्रभार वाले मंत्री की अध्यक्षता वाली संचालन समिति गवर्निंग काउंसिल के निर्देशन पर मिशन की गतिविधियों की समीक्षा करेगी।
  • यह मिशन केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों और राज्य सरकारों में निदेशालय, सचिव कौशल विकास, मिशन निदेशक के रूप में कौशल संबंधी कार्यकलापों का कार्यान्वयन, समन्वयन एवं अभिसरण सुनिश्चित करेंगे।
  • मिशन सर्वोच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में चुनिंदा उप-मिशन भी संचालित करेगा। इतना ही नहीं, राष्ट्रीय कौशल विकास एजेंसी (एनएसडीए), राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) और प्रशिक्षण निदेशालय मिशन के समग्र मार्गदर्शन में कार्य करेंगे।
  • कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय मौलिक रूप से निर्णय लेने वाले सभी स्तरों को जोड़ते हुए तथा समस्त केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों और राज्य सरकारों में संबंध को सुगम बनाते हुए मिशन के लिये स्वाभाविक आश्रय उपलब्ध कराएगा।

राष्ट्रीय कौशल विकास नीति

  • राष्ट्रीय कौशल विकास नीति का लक्ष्य, सभी व्यक्तियों को अच्छे रोज़गार सुलभ कराने तथा विश्व बाज़ार में भारत की प्रतिस्पर्द्धा सुनिश्चित करने के लिये उन्हें उन्नत कौशल, ज्ञान तथा योग्यताओं के माध्यम से सक्षम बनाना है।
  • यह नीति सभी को, विशेष रूप से युवाओं, महिलाओं तथा वंचित वर्गों को कौशल प्रदान/प्राप्त करने के लिये अवसरों का सृजन करने, सभी स्टेकधारियों द्वारा अपनी कौशल विकास पहल की वचनबद्धता को बढ़ावा देने और सबसे महत्त्वपूर्ण रूप में बाज़ार की वर्तमान तथा बढ़ रही रोज़गार संबंधी आवश्यकताओं से संबद्ध उच्च स्तर के कुशल कार्य-बल/उद्यमियों के विकास पर ज़ोर देती है।
  • राष्ट्रीय कौशल विकास नीति में आई.टी.आई. (औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान)/आई.टी.सी. (औद्योगिक प्रशिक्षण केंद्र)/व्यावसायिक स्कूल/तकनीकी स्कूल/पोलिटेक्निक/व्यावसायिक कॉलेज आदि तथा विभिन्न मंत्रालयों/विभागों द्वारा आयोजित प्रांतीय कौशल विकास के अध्ययन प्रवर्तन; उद्यमों द्वारा औपचारिक तथा अनौपचारिक प्रशिक्षुता एवं अन्य प्रकार के प्रशिक्षण; स्व-रोज़गार/उद्यम विकास के लिये प्रशिक्षण; अनौपचारिक प्रशिक्षण; ई-लर्निंग; वेब आधारित अध्ययन तथा दूरस्थ अध्ययन सहित संस्था आधारित कौशल विकास शामिल है।

भारत के लिये कौशल विकास सेवा की आवश्यकता

  • भारत विश्व में सबसे बड़ी युवा आबादी वाला राष्ट्र है लेकिन यहाँ कुशल श्रमिकों की संख्या काफी कम है। भारत में कुशल श्रमिक कुल श्रमिकों के लगभग 3% हैं, जबकि जापान, दक्षिण कोरिया जैसे देशों में यह आँकड़ा 90% के आस-पास है। अतः भारत को जनांकिकीय लाभांश (demographic dividend) का दोहन करने के लिये कौशल विकास की आवश्यकता है।
  • भारत ने ‘स्किल इंडिया मिशन’ के तहत 2022 तक 500 मिलियन कुशल कार्यबल की स्थापना का लक्ष्य रखा है। इस सेवा की स्थापना से इसके अंतर्गत कुशल प्रशासकों का दल इस लक्ष्य को पूरा करने में सहयोग प्रदान करेगा।
  • भारत में कौशल विकास का कार्य सामान्यतः निजी क्षेत्र द्वारा ही संचालित किया जा रहा है। ISDS की स्थापना से कौशल विकास के क्षेत्र में सरकारी भागीदारी को बढ़ावा मिलेगा। 

कौशल विकास सेवा का महत्त्व

  • यह सेवा युवा और प्रतिभावान प्रशासकों को कौशल विकास हेतु आकर्षित करने का प्रयास है।
  • इस सेवा द्वारा प्रशिक्षित प्रशासक कौशल विकास में योगदान कर ‘स्किल इंडिया मिशन’ को सफल बनाने में अपनी भूमिका निभा सकते हैं।
  • यह सेवा कौशल विकास योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन में सहायक होगी। कुशल प्रशासकों का समर्पित कैडर कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय की नौकरशाही को विशेषज्ञता प्रदान करेगा जिससे योजनाओं के बेहतर आयोजन एवं कार्यान्वयन को प्रोत्साहन मिलेगा।
  • यह सेवा अन्य देशों की तुलना में अधिक प्रतिस्पर्द्धी भारतीय मानव बल का निर्माण कर ‘डेमोग्राफिक डिविडेंड’ का उचित दोहन करने का प्रयास करेगी।
  • भारत की ‘मेक इन इंडिया’ पहल को सफल बनाने एवं भारत को विनिर्माण हब बनाने के लिये कौशल विकास को प्रोत्साहन देना अनिवार्य है एवं ऐसी सेवा का सृजन इस दिशा में एक सार्थक पहल है।
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