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क्ववासी स्टिडी स्टेट काॅस्मोलाॅजी थ्योरी
- 22 May 2025
- 11 min read
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
प्रसिद्ध खगोल भौतिकी वैज्ञानिक एवं भारत के सबसे प्रभावशाली वैज्ञानिकों में से एक, प्रोफेसर जयंत विष्णु नार्लीकर का हाल ही में पुणे में निधन हो गया। उन्हें ब्रह्मांड से संबंधित क्ववासी स्टिडी स्टेट काॅस्मोलाॅजी थ्योरी में अग्रणी कार्य के लिये विश्व स्तर पर जाना जाता है।
ब्रह्माण्ड से संबंधित क्ववासी स्टिडी स्टेट काॅस्मोलाॅजी थ्योरी क्या है?
- परिचय: क्ववासी स्टिडी स्टेट काॅस्मोलाॅजी (QSSC), ब्रह्मांड से संबंधित स्टिडी स्टेट थ्योरी का एक परिष्कृत संस्करण है। इसे 1990 के दशक की शुरुआत में फ्रेड हॉयल, जयंत नार्लीकर तथा जेफ्री बर्बिज द्वारा बिग बैंग सिद्धांत के बढ़ते प्रभुत्व की प्रतिक्रिया में विकसित किया गया था।
- QSSC की मुख्य विशेषताएँ:
- स्टिडी स्टेट/स्थिर अवस्था एवं चक्रीय अवधारणाओं का संयोजन: QSSC के अनुसार, ब्रह्मांड द्वारा विशाल समय-सीमा में आवधिक विस्तार तथा संकुचन के चक्रीय प्रतिरूप का अनुसरण किया जाता है, जबकि समग्र रूप से अभी भी एक स्थिर अवस्था बनी हुई है।
- एकाकी उत्पत्ति न होना (No Singular Origin): बिग बैंग सिद्धांत में ब्रह्मांड की एकाकी उत्पत्ति को मान्यता दी गई है जबकि QSSC के तहत एकाकी विस्फोटक से इसकी उत्पत्ति की शुरुआत के विचार को अस्वीकार किया गया है।
- इसके बजाय, इसके तहत यह माना गया है कि ब्रह्मांड अनंत काल से अस्तित्व में है और इसमें आवधिक स्तर पर पदार्थ निर्माण तथा विस्तार की घटनाएँ होती रहती हैं।
- पदार्थ का निर्माण स्थानीयकृत होने के साथ गैर-एकाकी घटनाओं के रूप में निरंतर होता रहता है जिन्हें 'मिनी-बैंग' या सृजन घटनाओं के रूप में संदर्भित किया जाता है। ब्रह्मांड में ऐसी घटनाएँ क्रमिक रूप से घटित होती रहती हैं।
- सामान्य सापेक्षता सिद्धांत में संशोधन: इस सिद्धांत के तहत निरंतर पदार्थ निर्माण से संबंधित आइंस्टीन के सामान्य सापेक्षता समीकरणों में संशोधन (जिसमें जयंत नार्लीकर का एक प्रमुख योगदान है) प्रस्तुत किया गया है।
- वैज्ञानिक स्वीकृति: QSSC को आंशिक रूप से बिग बैंग का एक विकल्प माना जाता है जिसमें कुछ गणितीय नवाचार हैं, लेकिन मुख्यधारा के ब्रह्माण्ड विज्ञान में इसे व्यापक रूप से स्वीकार नहीं किया गया है।
नोट: हर्मन बॉन्डी, थॉमस गोल्ड और फ्रेड हॉयल द्वारा वर्ष 1948 में प्रस्तावित स्थिर अवस्था सिद्धांत/स्टिडी स्टेट थ्योरी के अनुसार ब्रह्मांड निरंतर विस्तारित हो रहा है जबकि इसका औसत घनत्व स्थिर बना हुआ है।
बिग बैंग थ्योरी क्या है?
- बिग बैंग थ्योरी: बेल्जियम के ब्रह्माण्ड विज्ञानी जॉर्जेस लेमेत्रे द्वारा वर्ष 1927 में प्रस्तावित बिग बैंग थ्योरी, ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति और विकास की व्याख्या करते हुए यह प्रस्तावित करता है कि इसकी शुरुआत लगभग 13.7 अरब वर्ष पहले एक अत्यंत उष्म, सघन बिंदु से हुई थी, जिसे सिंगुलैरिटी के रूप में जाना जाता है।
- ब्रह्माण्ड का विकास कॉस्मिक इन्फ्लेशन (एक अविश्वसनीय रूप से तीव्र विस्तार जो बिग बैंग के बाद एक सेकंड के अंश के भीतर हुआ) के एक चरण से शुरू हुआ।
- जैसे-जैसे ब्रह्मांड का विस्तार हुआ और वह ठंडा होता गया, ऊर्जा मूलभूत कणों में परिवर्तित हो गई, जिससे पदार्थ एवं विकिरण की उत्पत्ति हुई। इससे परमाणु, तारे, आकाशगंगाएँ और ग्रह बने तथा चार मूलभूत बल — गुरुत्वाकर्षण, विद्युतचुंबकत्व, प्रबल नाभिकीय बल और दुर्बल नाभिकीय बल अस्तित्व में आए।
- प्लैंक युग: प्लैंक युग बिग बैंग के बाद का पहला 10⁻⁴³ सेकंड है, जब ब्रह्मांड अत्यधिक गर्म और सघन था। वर्तमान भौतिकी (सामान्य सापेक्षता और क्वांटम यांत्रिकी) इस अवधि का वर्णन नहीं कर सकती है और इसे समझने के लिये क्वांटम गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत की आवश्यकता है।
- बिग बैंग का समर्थन करने वाले साक्ष्य:
- एडविन हब्बल के अवलोकन, जिन्हें हब्बल के नियम के नाम से जाना जाता है, ने दर्शाया कि आकाशगंगाएँ एक-दूसरे से दूर जा रही हैं तथा दूर स्थित आकाशगंगाएँ तेज़ी से दूर जा रही हैं, जो यह दर्शाता है कि ब्रह्मांड का विस्तार हो रहा है।
- कॉस्मिक माइक्रोवेव बैकग्राउंड (CMB) विकिरण, जिसे पेंज़ियास और विल्सन ने खोजा था, बिग बैंग के तुरंत बाद ब्रह्मांड में स्वतंत्र रूप से यात्रा करने वाले प्रारंभिक प्रकाश का ठंडा हो चुका अवशिष्ट विकिरण है।
- इसे बिग बैंग का जीवाश्म या प्रतिध्वनि माना जाता है; यह प्राचीन प्रकाश तब से ठंडा एवं क्षीण हो चुका है और अब सूक्ष्मतरंगों (माइक्रोवेव्स) के रूप में देखा जाता है।
- यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के प्लैंक मिशन ने इस सबसे प्राचीन ज्ञात विकिरण का अवलोकन किया, जिससे ब्रह्मांड की उत्पत्ति और विकास के संदर्भ में महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ प्राप्त हुईं।
डॉ. जयंत विष्णु नार्लीकर कौन थे?
- प्रारंभिक जीवन: 19 जुलाई 1938 को कोल्हापुर, महाराष्ट्र में जन्मे डॉ. जयंत विष्णु नार्लीकर ने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की।
- संस्थागत निर्माण: वर्ष 1988 में, उन्हें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा पुणे में इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स (IUCAA) की स्थापना के लिये इसके संस्थापक निदेशक के रूप में आमंत्रित किया गया था। उनके नेतृत्व ने IUCAA को वैश्विक विज्ञान केंद्र बना दिया।
- ग्रंथ सूची: डॉ. नार्लीकर एक प्रसिद्ध विज्ञान संप्रेषक और लोकप्रिय विज्ञान कथा कृतियों के लेखक भी थे, जिनमें एन इंट्रोडक्शन टू कॉस्मोलॉजी भी शामिल है।
- उनकी आत्मकथा, ए टेल ऑफ फोर सिटीज़ (चार नगराटले माझे विश्व) को मराठी में साहित्यिक योग्यता के लिये वर्ष 2014 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
- पुरस्कार: पद्म भूषण (1965) और पद्म विभूषण (2004) प्राप्त किया। वर्ष 1996 में, नार्लीकर को विज्ञान को लोकप्रिय बनाने में उनके असाधारण कार्य के लिये UNESCO कलिंग पुरस्कार मिला।
- इसके अतिरिक्त, वर्ष 2011 में उन्हें महाराष्ट्र सरकार द्वारा दिया जाने वाला सर्वोच्च नागरिक सम्मान महाराष्ट्र भूषण से सम्मानित किया गया।
और पढ़ें: बिग बैंग सिद्धांत को चुनौती
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न: ब्रह्मांड की उत्पत्ति और विकास की व्याख्या करने में बिग बैंग सिद्धांत तथा क्वासी-स्टीडी स्टेट कॉस्मोलॉजी के बीच अंतर स्पष्ट कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्स: प्रश्न: कभी-कभी समाचारों में 'इवेंट होराइजन', 'सिंगुलैरिटी', 'स्ट्रिंग थ्योरी' और 'स्टैंडर्ड मॉडल' जैसे शब्द किस संदर्भ में आते हैं? (2017) (a) ब्रह्मांड का प्रेक्षण और बोध उत्तर: (a) प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन-सा/से वैज्ञानिकों द्वारा ब्रह्मांड के निरंतर विस्तार के साक्ष्य/सबूत के रूप में उद्धृत किया गया है? (वर्ष 2012)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) 1 और 2 उत्तर: (a) प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा/से युग्म सही सुमेलित है/हैं? (2008)
नीचे दिये गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 2 और 3 उत्तर: (b) |