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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
- 28 Jul 2025
- 45 min read
स्रोत: फाइनेंसियल एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) का दायरा भले ही व्यापक रूप से बढ़ा है, लेकिन वित्त वर्ष 2020 से अब तक राज्यों द्वारा लगभग 6,450 करोड़ रुपये के दावों का निपटारा नहीं किया गया है, जिससे भुगतान में देरी हुई है और किसानों को समय पर सहायता न मिलने को लेकर गंभीर चिंताएँ उत्पन्न हुई हैं।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) क्या है?
- PMFBY के बारे में: PMFBY कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा शुरू की गई एक सरकार प्रायोजित फसल बीमा योजना है।
- इसका उद्देश्य प्राकृतिक आपदाओं, कीटों या बीमारियों के कारण फसल के नुकसान की स्थिति में किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करना तथा उनकी आय को स्थिर बनाना है।
- प्रीमियम: किसान 2% (खरीफ), 1.5% (रबी) और 5% (वाणिज्यिक/बागवानी फसलों) का अधिकतम प्रीमियम भुगतान करते हैं।
- शेष प्रीमियम केंद्र और राज्यों के बीच 50:50 के अनुपात में साझा किया जाता है, जबकि उत्तर-पूर्वी राज्यों के लिये यह अनुपात खरीफ सीज़न 2020 से ही 90:10 निर्धारित किया गया है।
- प्रीमियम की दरें फसल जोखिम, बीमित क्षेत्र और अधिसूचित फसलों पर निर्भर करती हैं।
- PMFBY के प्रमुख लाभ:
- व्यापक कवरेज: यह योजना प्राकृतिक आपदाओं, कीट हमलों, रोगों और कटाई के बाद की स्थानीय घटनाओं के कारण होने वाली फसल हानि को कवर करती है।
- त्वरित मुआवजा: इसका उद्देश्य फसल कटाई के दो महीने के भीतर दावों का त्वरित निपटान सुनिश्चित करना है।
- प्रौद्योगिकी-आधारित मूल्यांकन: सटीक हानि के आकलन और दावों के शीघ्र निपटान के लिए उपग्रह, ड्रोन और मोबाइल तकनीक का उपयोग किया जाता है।
- किसान कवरेज: यह योजना स्वैच्छिक है और सभी राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों (UTs) तथा किसानों के लिए खुली है। किसानों द्वारा भुगतान किये गए प्रत्येक 100 रुपए के प्रीमियम पर, उन्हें लगभग 500 रुपए दावे के रूप में प्राप्त हुए हैं।
- वर्ष 2016 से अब तक किसानों को 1.78 लाख करोड़ रुपए से अधिक की राशि दावों के रूप में प्रदान की जा चुकी है, जो उनके द्वारा जमा किये गए कुल प्रीमियम का लगभग पाँच गुना है।
- फसल बीमा सप्ताह और मेरी पॉलिसी मेरे हाथ जैसे जागरूकता अभियानों के साथ-साथ फसल बीमा पाठशाला जैसे ग्राम-स्तरीय कार्यक्रमों ने भागीदारी को बढ़ावा देने तथा सूचना के अंतर को कम करने में मदद की है।
PMFBY के कार्यान्वयन को प्रभावित करने वाली चुनौतियाँ क्या हैं?
- बड़े पैमाने पर राज्यों की चूक: आंध्र प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों ने अपनी प्रीमियम हिस्सेदारी समय पर जमा नहीं की है।
- इससे किसानों के दावों के समय पर निपटान पर असर पड़ा है और योजना में विश्वास भी कमज़ोर हुआ है।
- देर से भुगतान: किसानों को प्राय: बीमा दावों के भुगतान में देरी का सामना करना पड़ा है, जिससे समय पर जोखिम प्रबंधन के इस योजना के मूल उद्देश्य को ठेस पहुँची है।
- मूल्यांकन संबंधी अड़चनें: फसल क्षति के मूल्यांकन के लिये मैनुअल और पुराने तरीकों का उपयोग किया जाता है, जिससे प्राय: असंगतियाँ व अक्षमताएँ उत्पन्न होती हैं।
- निजी क्षेत्र का सीमित भरोसा: भुगतान में बार-बार देरी और उच्च दावा अनुपात के कारण कई बीमा कंपनियाँ सक्रिय भागीदारी से पीछे हट गई हैं।
- नामांकन में असमानता: वर्ष 2024–25 में भले ही 4.19 करोड़ किसानों का नामांकन हुआ हो, लेकिन किरायेदार (6.5%) और सीमांत किसान (17.6%) जैसे वर्ग अभी भी ऋणी किसानों (48%) की तुलना में काफी कम प्रतिनिधित्व रखते हैं।
PMFBY में सुधार हेतु क्या उपाय किये गए हैं?
- डिजिटल सुधार: राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल (NCIP) को किसान नामांकन, दावा ट्रैकिंग और प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के लिये एकल मंच के रूप में विकसित किया गया है।
- खरीफ 2022 से चालू होने वाला डिजीक्लेम मॉड्यूल समय पर, पारदर्शी दावा प्रसंस्करण सुनिश्चित करने के लिये NCIP को PFMS और बीमा कंपनियों की प्रणालियों के साथ एकीकृत करता है।
- खरीफ 2024 से दावे में देरी के लिये बीमा कंपनियों पर 12% जुर्माना स्वतः लगाया जाएगा।
- फसल कटाई प्रयोग (CCEs)- एग्री ऐप फसल कटाई प्रयोग डेटा को एकत्रित करता है, जिसे सीधे NCIP पर अपलोड किया जाता है।
- YES-TECH (प्रौद्योगिकी पर आधारित उपज अनुमान प्रणाली) जो फसल की पैदावार का अधिक सटीक अनुमान लगाने के लिये रिमोट सेंसिंग का उपयोग करती है।
- खरीफ 2023 से धान और गेहूँ के लिये अनिवार्य किया गया, खरीफ 2024 में सोयाबीन को भी जोड़ा गया।
- WINDS (वेदर इन्फॉर्मेशन नेटवर्क एंड डेटा सिस्टम): ग्राम पंचायत और ब्लॉक स्तर पर मौसम केंद्रों तथा वर्षा मापी यंत्रों के नेटवर्क का विस्तार किया गया, जिससे उपज अनुमान, सूखा प्रबंधन व बीमा उत्पादों को बेहतर बनाया जा सके।
- खरीफ 2022 से चालू होने वाला डिजीक्लेम मॉड्यूल समय पर, पारदर्शी दावा प्रसंस्करण सुनिश्चित करने के लिये NCIP को PFMS और बीमा कंपनियों की प्रणालियों के साथ एकीकृत करता है।
- एस्क्रो-आधारित अग्रिम प्रीमियम प्रणाली: खरीफ 2025–26 से राज्यों को अपनी प्रीमियम हिस्सेदारी एस्क्रो खातों में जमा करनी होगी ताकि समय पर निधियों की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके।
- अनुपातिक दावा वितरण प्रणाली: केंद्र की प्रीमियम सब्सिडी को अब राज्य की हिस्सेदारी से अलग किया गया है। यदि राज्य भुगतान करने में असमर्थ हो, तब भी किसानों को कम से कम केंद्र की हिस्सेदारी के अनुसार दावा राशि प्राप्त होगी।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना ने कमज़ोर किसानों के बीच वित्तीय लचीलेपन में सुधार किया है? चर्चा कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्सप्रश्न. 'प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें: (2016)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b) मेन्सप्रश्न. भारतीय कृषि की प्रकृति की अनिश्चितताओं पर निर्भरता के मद्देनज़र, फसल बीमा की आवश्यकता की विवेचना कीजिये और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पी० एम० एफ० बी० वाइ०) की मुख्य विशेषताओं का उल्लेख कीजिये। (2016) |