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भारतीय अर्थव्यवस्था

गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ

  • 18 May 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ, भारतीय रिज़र्व बैंक, भारतीय लेखा मानक 

मेन्स के लिये:

NBFCs के समक्ष संकट एवं निवारण 

चर्चा में क्यों? 

गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (Non-banking financial companies- NBFCs) ने 15 मई, 2020 को भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) से अनुरोध किया कि वह COVID-19 महामारी के कारण अपेक्षित नुकसान हेतु अतिरिक्त प्रावधान करने के लिये अपने रिज़र्व से निकासी की अनुमति दें।

प्रमुख बिंदु:

  • संपत्ति एवं ऋण-वित्तपोषण NBFC का एक प्रतिनिधि निकाय ‘वित्त उद्योग विकास परिषद’ (Finance Industry Development Council- FIDC) ने बताया है कि सामान्य तौर पर ‘चूक की संभावना’ (Probability of Default-PD) और ‘चूक से हुए नुकसान’ (Loss Given Default-LGD) के अनुसार गणना किये गए प्रावधान अधिक होने से NBFC को अपने रिज़र्व से निकासी करने और अतिरिक्त ‘अपेक्षित क्रेडिट घाटे’ (Expected Credit Losses- ECL) की आवश्यकता को समायोजित करने की अनुमति देने के लिये निवेदन किया है।

अपेक्षित क्रेडिट घाटा (Expected Credit Losses- ECL): 

  • यह एक वित्तीय साधन के अपेक्षित समय पर क्रेडिट घाटे की संभावना-भारित अनुमान को दर्शाता है।

चूक की संभावना (Probability of Default-PD):

  • ‘चूक की संभावना’ एक वित्तीय शब्द है जो किसी विशेष समय में क्षितिज पर चूक की संभावना का वर्णन करता है। यह संभावना का अनुमान लगता है कि एक उधारकर्त्ता अपने ऋण दायित्त्वों को पूरा करने में असमर्थ होगा।

चूक से हुए नुकसान (Loss Given Default-LGD):

  • LGD वह राशि है जो एक बैंक या अन्य वित्तीय संस्थान खो देता है इसे जब कोई उधारकर्त्ता ऋण पर चूक करता है तो डिफ़ॉल्ट के समय कुल जोखिम के प्रतिशत के रूप में दर्शाया जाता है।
  • गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) को ‘भारतीय लेखा मानकों’ (Indian Accounting Standards- IndAS) का अनुपालन करना आवश्यक है। 
  • ‘इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टेड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया’ (ICAI) ने NBFCs को सलाह दी है कि COVID-19 के कारण उधारकर्त्ताओं या देनदारों के व्यवसाय पर प्रतिकूल प्रभाव के साथ PD और LGD के रूप में पोर्टफोलियो गुणवत्ता पर COVID-19 के प्रभाव को मापने के लिये और अर्थव्यवस्था को मज़बूत बनाए रखने के लिये विवेकपूर्ण नियामक कार्रवाई आवश्यक है।
  • ECL माप और वित्तीय विवरणों में प्रकटीकरण के संबंध में लागू IndAs मानदंडों के अनुसार, NBFC को ICAI के सलाहकार के संदर्भ में अतिरिक्त प्रावधान करने की आवश्यकता है जो निश्चित रूप से संबंधित NBFC की लाभप्रदता एवं कुल मूल्य को गंभीर नुकसान पहुँचाएगा।
  • इस क्षेत्र (NBFCs) ने RBI से मानक संपत्ति के संबंध में ECL के अनुसार किए गए किसी भी प्रावधान की अनुमति देने पर विचार करने के लिये कहा है।
  • गौरतलब है कि NBFC बैंकिंग प्रणाली से बाहर उपभोक्ताओं की विविध वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति करते हुए देश के समावेशी विकास में तथा सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSMEs) को उनकी व्यावसायिक आवश्यकताओं के लिये सबसे उपयुक्त नवोन्मेषी वित्तीय सेवाएँ प्रदान करने में प्रायः NBFC अग्रणी भूमिका निभाते हैं।
    • म्यूचुअल फंड और NBFC क्षेत्र दृढ़ता से एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं क्योंकि म्यूचुअल फंड ही वाणिज्यिक पत्र (Commercial paper) और ऋण-पत्र (Debentures) के माध्यम से NBFC का सबसे बड़ा वित्त प्रदाता है।

स्रोत: द हिंदू

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