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शासन व्यवस्था

NEET के दायरे में अल्पसंख्यक मेडिकल संस्थान

  • 30 Apr 2020
  • 4 min read

प्रीलिम्स के लिये

राष्ट्रीय पात्रता सह-प्रवेश परीक्षा (NEET)

मेन्स के लिये

भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली से संबंधित चुनौतियाँ

चर्चा में क्यों?

सर्वोच्च न्यायालय ने घोषणा की है कि मेडिकल पाठ्यक्रमों में दाखिला लेने के इच्छुक छात्रों को अब निजी, गैर-मान्यता प्राप्त और अल्पसंख्यक व्यावसायिक कॉलेजों (Minority Vocational Colleges) में प्रवेश पाने के लिये राष्ट्रीय पात्रता सह-प्रवेश परीक्षा (National Eligibility-cum-Entrance Test-NEET) उत्तीर्ण करनी होगी।

प्रमुख बिंदु

  • जस्टिस अरुण मिश्रा की अगुवाई वाली तीन जजों की न्यायपीठ ने कहा कि स्नातक और स्नातकोत्तर मेडिकल डेंटल पाठ्यक्रमों में NEET के माध्यम से भर्ती करना किसी भी प्रकार से अल्पसंख्यकों के मौलिक और धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं करता है।
  • यह नियम अल्पसंख्यकों द्वारा प्रशासित किये जाने वाले सहायता प्राप्त तथा गैर-सहायता प्राप्त मेडिकल कॉलेजों दोनों के लिये लागू होगा।
  • न्यायालय ने कहा कि अल्पसंख्यकों के व्यापार तथा व्यवसाय अथवा धार्मिक स्वतंत्रता संबंधी अधिकार, संस्थान में प्रवेश के मामले में पारदर्शिता लाने के मध्य एक बाधा के रूप में नहीं देखे जा सकते हैं।
  • न्यायालय ने स्पष्ट किया कि अल्पसंख्यक संस्थान भी कानून के तहत लागू शर्तों का पालन करने के लिये समान रूप से बाध्य हैं।

पृष्ठभूमि

ध्यातव्य है कि देश भर के विभिन्न कॉलेजों ने एक समान प्रवेश परीक्षा को लेकर भारतीय चिकित्सा परिषद (Medical Council of India-MCI) और भारतीय दंत परिषद (Dental Council of India-DCI) द्वारा भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम 1956 की धारा 10D और दंत चिकित्सक अधिनियम, 1948 के तहत जारी की गई अधिसूचनाओं को चुनौती दी थी। MCI और DCI द्वारा जारी इन अधिसूचनाओं में NEET को सभी मेडिकल कॉलेजों पर लागू करने की बात की गई थी।

अल्पसंख्यक मेडिकल संस्थानों का तर्क

  • ध्यातव्य है कि इस संबंध में अल्पसंख्यकों द्वारा संचालित विभिन्न मेडिकल संस्थानों के प्रबंधन ने यह तर्क दिया कि था यदि अल्पसंख्यक मेडिकल संस्थानों को NEET के दायरे में लाया जाता है तो इससे अल्पसंख्यकों के ‘व्यवसाय या व्यापार’ के मौलिक अधिकार का उल्लंघन होगा।
  • ऐसे संस्थानों का मत था कि NEET के दायरे में लाने से धार्मिक स्वतंत्रता के उनके मौलिक अधिकार, धार्मिक मामलों के प्रबंधन के अधिकार और संस्थान के प्रशासन के अधिकार का उल्लंघन होगा। 
  • अल्पसंख्यक मेडिकल संस्थानों के प्रबंधन का मानना है कि यदि इस निर्णय को लागू किया जाता है तो इससे राज्य अल्पसंख्यकों के हित में कार्य करने के अपने दायित्त्व के निर्वाह में विफल होंगे।

महत्त्व

  • न्यायालय के इस निर्णय से मेडिकल संस्थानों में भर्ती को लेकर हो रहे भ्रष्टाचार को रोकने में मदद मिलेगी।
  • समान प्रवेश परीक्षा अर्थात् सभी पर NEET के नियम को लागू करना चिकित्सीय योग्यता को प्रोत्साहन देकर भविष्य के सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार सुनिश्चित करेगी। 
  • NEET के नियम को लागू करने का उद्देश्य अल्पसंख्यक मेडिकल संस्थानों में शिक्षा के शोषण, मुनाफाखोरी और व्यवसायीकरण को रोकना है।

स्रोत: द हिंदू

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