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भारतीय अर्थव्यवस्था

प्रयोगशाला में निर्मित हीरे

  • 26 Feb 2024
  • 15 min read

प्रिलिम्स के लिये:

प्रयोगशाला में निर्मित हीरे, प्राकृतिक हीरे, उच्च दाब उच्च तापमान (HPHT) विधि, रासायनिक वाष्प निक्षेपण (CVD) विधि

मेन्स के लिये:

प्रयोगशाला में निर्मित हीरे, भारत में हीरा उद्योग, प्रयोगशाला में निर्मित हीरों के उत्पादन के तरीके।

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों?

प्रयोगशाला में निर्मित हीरे, जिन्हें सिंथेटिक हीरे के रूप में भी जाना जाता है, पारंपरिक हीरा बाज़ार के लिये एक बाध्यकारी शक्ति के रूप में उभरे हैं।

  • ये रत्न उन्नत तकनीकों का प्रयोग करके प्रयोगशालाओं में बनाए जाते हैं, जिनमें गहन पृथ्वी में हीरे बनाने वाली प्राकृतिक प्रक्रियाओं की नकल किया जाता है।

प्रयोगशाला में निर्मित हीरे क्या हैं?

  • परिचय:
    • प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले हीरों के विपरीत, LGD का निर्माण प्रयोगशालाओं में किया जाता है। हालाँकि दोनों की रासायनिक संरचना और अन्य भौतिक व प्रकाशिक/ऑप्टिकल गुण समान होते हैं।
    • प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले हीरे को बनने में लाखों वर्ष लगते हैं; इनका निर्माण तब होता है जब पृथ्वी के भीतर दबे कार्बन भंडार अत्यधिक उष्मा/ताप और दाब के संपर्क में आते हैं।
  • उत्पादन:
    • इनका निर्माण अधिकतर दो प्रक्रियाओं के माध्यम से किया जाता है: उच्च दाब उच्च तापमान विधि और रासायनिक वाष्प निक्षेपण विधि
    • हीरे को कृत्रिम रूप से विकसित करने की HPHT और CVD दोनों प्रक्रियाएँ एक ‘सीड/बीज’ अर्थात् किसी हीरे के टुकड़े से शुरू होती हैं।
      • HPHT विधि में, सीड को शुद्ध ग्रेफाइट कार्बन के साथ, लगभग 1,500 डिग्री सेल्सियस तापमान और अत्यधिक उच्च दाब में प्रसंस्कृत किया जाता है।
      • CVD विधि में, सीड को कार्बन युक्त गैस से भरे एक सीलबंद कक्ष के अंदर लगभग 800 डिग्री सेल्सियस तक गर्म किया जाता है। गैस का सीड के साथ संघटन हो जाता है, जिससे धीरे-धीरे हीरा का निर्माण होता है।
  • अनुप्रयोग:
    • इनका प्रयोग मशीनों और औजारों में औद्योगिक उद्देश्यों के लिये किया जाता है क्योंकि इनकी कठोरता व अतिरिक्त मज़बूती इन्हें कटर के रूप में प्रयोग के लिये आदर्श बनाती है।
    • शुद्ध सिंथेटिक हीरे का प्रयोग इलेक्ट्रॉनिक्स में उच्च-शक्ति वाले लेज़र डायोड, लेज़र सरणियों और उच्च-शक्ति ट्रांजिस्टर के लिये हीट स्प्रेडर के रूप में किया जाता है।
    • इनका प्रयोग विलासितापूर्ण सौंदर्य प्रयोजनों के लिये भी किया जाता है।
  • महत्त्व:
    • प्रयोगशाला में निर्मित किये गए हीरे का पर्यावरणीय फुटप्रिंट प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले हीरे की तुलना में बहुत कम होता है।
    • पर्यावरण के प्रति जागरूक LGD निर्माता डायमंड फाउंड्री की एक रिपोर्ट के अनुसार, भू-गर्भ से एक प्राकृतिक हीरा निष्कर्षण/खनन में पृथ्वी के ऊपर अर्थात् प्रयोगशाला में हीरा निर्माण की तुलना में दस गुना अधिक ऊर्जा लगती है।
    • विवृत खनन (Open-pit mining), प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले हीरों के खनन की सबसे सामान्य विधि है जिसमें इन कीमती पत्थरों के निष्कर्षण हेतु मृदा और चट्टान में खनन शामिल है।

भारत में प्रयोगशाला में निर्मित हीरों का परिदृश्य क्या है?

  • सूरत: हीरे की कटिंग और पॉलिशिंग का केंद्र
    • वैश्विक हीरा व्यापार में सूरत एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विश्व के लगभग 90% हीरों की कटिंग और पॉलिशिंग सूरत में की जाती है।
  • भारत से प्रयोगशाला में निर्मित हीरे के निर्यात में वृद्धि
    • वर्ष 2019 और वर्ष 2022 के दौरान भारत के प्रयोगशाला में निर्मित हीरे के निर्यात मूल्य में तीन गुना वृद्धि हुई।
    • अप्रैल और अक्तूबर 2023 के बीच निर्यात मात्रा में 25% की वृद्धि हुई जो एक वर्ष पूर्व के समान अवधि में 15% थी।
    • प्रयोगशाला में निर्मित हीरों की उचित कीमत और नैतिक अपील के कारण विश्व स्तर पर इसकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही है।
      • प्रयोगशाला में निर्मित हीरों "रक्त-मुक्त हीरे" (Blood-Free Diamonds) कहा जाता है क्योंकि वे हिंसा और मानवाधिकारों के दुरुपयोग से मुक्त होते हैं।
  • बाज़ार हिस्सेदारी और उद्योग प्रभाव:
    • वैश्विक बाज़ार में प्रयोगशाला में निर्मित हीरों की हिस्सेदारी वर्ष 2018 में 3.5% थी जो वर्ष 2023 में बढ़कर 18.5% हो गई।
      • उद्योग विश्लेषकों के अनुसार वर्ष 2024-25 में इसकी हिस्सेदारी 20% से अधिक होने की संभावना है।
    • इस वृद्धि से भूराजनीतिक चुनौतियों तथा प्राकृतिक हीरों की घटती मांग से जूझ रहे उद्योग को और प्रभावित किया है।

नोट: प्रमुख हीरा उत्पादक देशों में रूस, बोत्सवाना, कनाडा, दक्षिण अफ्रीका और कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य शामिल हैं।

  • रूस विश्व में कच्चे हीरों का सबसे बड़ा उत्पादक है जिसने वर्ष 2022 में लगभग 42 मिलियन कैरेट का खनन किया।

प्राकृतिक हीरे से संबंधित नैतिक चिंताएँ क्या हैं?

  • ब्लड डायमंड (कनफ्लिक्ट डायमंड):
    • कुछ प्राकृतिक हीरों का खनन संघर्ष क्षेत्रों में किया जाता है। ऐसे हीरों को ब्लड डायमंड अथवा कॉन्फ्लिक्ट डायमंड कहा जाता है।
    • इन हीरों के विक्रय से होने वाले लाभ का उपयोग अनैतिक कार्यों में किया जाता है। इनका उपयोग सशस्त्र संघर्षों को वित्तपोषित करने के लिये किया जाता है। इन हीरों का खनन मानवाधिकार हनन से भी संबंधित है। इससे प्रभावित क्षेत्रों में निवासियों को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
  • शोषण और श्रम की स्थिति:
    • कुछ मामलों में प्राकृतिक हीरे की खदानों में श्रमिकों को खराब कामकाजी परिस्थितियों, निम्न वेतन और रोज़गार की सुरक्षा के अभाव का सामना करना पड़ता है।
    • यह शोषण एक सामाजिक मुद्दा है जो चर्चा का विषय बन चुका है।
    • कुछ क्षेत्रों में जहाँ हीरों का खनन किया जाता है बाल श्रम एक चिंता का विषय है।
  • पर्यावरणीय प्रभाव:
    • प्राकृतिक हीरा खनन अपने पर्यावरणीय परिणामों के लिये कुख्यात (Notorious) है।
    • बड़े पैमाने पर खुली खदानों के परिणामस्वरूप वनोन्मूलन, मृदा अपरदन हो सकता है।
    • इन अभ्यासों के परिणामस्वरूप स्थानीय पारिस्थितिक तंत्र में हानिकारक रसायन भी निकलते हैं। इससे न केवल पर्यावरण बल्कि आस-पास के समुदायों की आजीविका भी प्रभावित होती है।
      • मानव निर्मित हीरे अधिक पर्यावरण के अनुकूल माने जाते हैं क्योंकि वे विनाशकारी खनन प्रथाओं की आवश्यकता को काफी कम कर देते हैं।
  • मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार:
    • हीरे के व्यापार को मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार से जोड़ा गया है, जो हीरा उत्पादक देशों में सामाजिक तथा आर्थिक विकास को कमज़ोर करता है। इन मुद्दों से निपटने के लिये अधिक पारदर्शिता, जवाबदेही और भ्रष्टाचार विरोधी उपायों की आवश्यकता है।

किम्बर्ली प्रोसेस सर्टिफिकेशन स्कीम (KPCS) क्या है?

  • परिचय:
    • किम्बर्ली प्रोसेस सर्टिफिकेशन स्कीम (KPCS) वर्ष 2003 में स्थापित एक महत्त्वपूर्ण वैश्विक पहल है, जिसका उद्देश्य मुख्यधारा के कच्चे हीरे के बाज़ार में विवादित हीरों के व्यापार को घुसपैठ करने से रोकना है।
    • KPCS यह सुनिश्चित करता है कि वैध आपूर्ति शृंखला में कच्चे हीरे किम्बर्ली प्रोसेस (KP) के अनुरूप हैं।
    • इसे KP भागीदार देशों द्वारा व्यक्तिगत रूप से लागू किया जाता है।
    • KPCS के माध्यम से, राज्य कच्चे हीरों के शिपमेंट पर सुरक्षा उपाय लागू करते हैं और उन्हें "संघर्ष-मुक्त" के रूप में प्रामाणित करते हैं।
    • KPCS की स्थापना फाउलर रिपोर्ट की सिफारिशों के बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा संकल्प 55/56 द्वारा की गई थी।
  • KPCS के बारे में मुख्य तथ्य:
    • KP में दुनिया भर के 85 देशों का प्रतिनिधित्व करने वाले 59 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं।
    • KP पर्यवेक्षकों में हीरा उद्योग का प्रतिनिधित्व करने वाली वर्ल्ड डायमंड काउंसिल भी शामिल है।
    • वर्ष 2003 से भारत KPCS प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग ले रहा है और KP के लगभग सभी कार्य समूहों (कारीगर और जलोढ़ उत्पादन (WGAAP) पर कार्य समूह को छोड़कर) का सदस्य है।
      • वाणिज्य विभाग नोडल विभाग है, और
      • रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्द्धन परिषद (Gem & Jewellery Export Promotion Council- GJEPC) को भारत में KPCS आयात और निर्यात प्राधिकरण के रूप में नामित किया गया है।
        • GJEPC, किम्बर्ली प्रोसेस सर्टिफिकेट जारी करने के लिये ज़िम्मेदार है और देश में प्राप्त KP सर्टिफिकेशन का संरक्षक भी है।

प्रयोगशाला में निर्मित हीरे को बढ़ावा देने के लिये सरकारी पहल क्या हैं?

  • पाँच वर्षीय अनुसंधान अनुदान: 
    • केंद्रीय बजट 2023-24 में, सरकार ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (IIT) में से एक के लिये पाँच वर्षीय अनुसंधान अनुदान की घोषणा की। अनुदान का उद्देश्य एलजीडी मशीनरी, बीज और व्यंजनों के स्वदेशी उत्पादन को प्रोत्साहित करना है।
    • यह परियोजना IIT मद्रास को सौंपी गई है और साथ ही वहाँ एक इंडिया सेंटर फॉर लैब-ग्रोन डायमंड (InCent-LGD) स्थापित करने का प्रस्ताव है।
      • इसका लक्ष्य उद्योगों तथा उद्यमियों को तकनीकी सहायता प्रदान करना, रासायनिक वाष्प जमाव (CVD) और उच्च दबाव एवं उच्च तापमान (HPHT) प्रणालियों दोनों के स्वदेशी विनिर्माण को बढ़ावा देना व LGD व्यवसाय का विस्तार करना है।
  • सीमा शुल्क में कटौती: 
    • सरकार ने उत्पादन लागत कम करने एवं प्रयोगशाला में निर्मित हीरों के विकास को प्रोत्साहित करने के लिये प्रयोगशाला में निर्मित हीरे पर सीमा शुल्क कम कर दिया है। इस कटौती का उद्देश्य आयात निर्भरता को कम करने साथ-साथ घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना है।
      • रफ LGDs के लिये हीरों पर शुल्क 5% से घटाकर शून्य कर दिया गया है।
  • सिंथेटिक हीरे के लिये नया टैरिफ:
    • सरकार ने नई टैरिफ लाइनें बनाने का प्रस्ताव देकर एक महत्त्वपूर्ण कदम उठाया है। ये लाइनें सिंथेटिक हीरे समेत विभिन्न उत्पादों की बेहतर पहचान में सहायता करेंगी।
    • इस कदम का प्राथमिक उद्देश्य व्यापार को सुविधाजनक बनाना एवं रियायती आयात शुल्क की पात्रता के संबंध में स्पष्टता प्रदान करना है। विशिष्ट टैरिफ लाइनें बनाकर, सरकार का लक्ष्य प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने साथ-साथ व्यापार से संबंधित मामलों में पारदर्शिता बढ़ाना भी है।

निष्कर्ष

  • प्रयोगशाला में निर्मित हीरे केवल एक चलन नहीं हैं; वे हीरा उद्योग में एक बुनियादी बदलाव का प्रतिनिधित्व भी करते हैं।
  • जैसे-जैसे प्रौद्योगिकी आगे बढ़ती है एवं उपभोक्ता जागरूकता बढ़ती है, ये चमचमाते रत्न हमारे, हीरों को देखने एवं खरीदने के तरीके को फिर से परिभाषित करते रहते हैं।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित में से किस विदेशी यात्री ने भारत के हीरों और हीरे की खदानों के बारे में विस्तार से चर्चा की? (2018) 

(a) फ़्रैंकोइस बर्नियर
(b) जीन बैपटिस्ट टेवर्नियर
(c) जीन डी थेवेनॉट
(d) अब्बे बार्थेलेमी कैरे

उत्तर: (b)


मेन्स: 

प्रश्न. विश्व में खनिज तेल के असमान वितरण के बहुआयामी प्रभावों की विवेचना कीजिये।(2021)

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