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भारत का चाय उद्योग

  • 25 Sep 2025
  • 45 min read

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

अंतर्राष्ट्रीय चाय समिति के कार्यकारी निदेशक के अनुसार, भारत में अपनी मज़बूत उत्पादन क्षमता, बड़े उपभोग आधार और बढ़ते निर्यात अवसरों के कारण वैश्विक चाय महाशक्ति बनने की क्षमता है।

भारत के चाय बाज़ार की वर्तमान स्थिति

  • मुख्य उत्पादक: भारत चाय का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता तथा तीसरा सबसे बड़ा निर्यातक है। केन्या, शीर्ष निर्यातक, अपनी उत्पादन की लगभग पूरी चाय निर्यात करता है, जबकि चीन दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है।
  • चाय उत्पादक क्षेत्र: भारत में प्रमुख चाय उत्पादन वाले राज्य असम (असम घाटी और कछार), पश्चिम बंगाल (दुआर, तराई और दार्जिलिंग), तमिलनाडु और केरल हैं, जो कुल चाय उत्पादन का लगभग 96% उत्पादन करते हैं।
  • उपभोग: भारत चाय उपभोग में अग्रणी देश है, जो अपने उत्पादन का 80% घरेलू स्तर पर उपयोग करता है, और प्रति व्यक्ति उपभोग 840 ग्राम प्रति वर्ष (सबसे अधिक: तुर्की, 3 किलोग्राम/वर्ष) है।
  • निर्यात: भारत चाय का निर्यात 25 से अधिक देशों में करता है, जिसमें प्रमुख आयातक रूस, ईरान, UAE, अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और चीन हैं।
    • भारत के चाय निर्यात का लगभग 96% ब्लैक टी है, जबकि अन्य निर्यातित प्रकारों में रेगुलर टी, ग्रीन टी, हर्बल टी, मसाला टी और लेमन टी शामिल हैं।

चाय से संबंधित प्रमुख तथ्य क्या हैं?

  • परिचय: चाय कैमेलिया साइनेंसिस पौधे से बनने वाला एक पेय पदार्थ है और पानी के बाद दुनिया में सबसे ज़्यादा पिया जाने वाला पेय है।
  • भारतीय चाय बोर्ड: चाय अधिनियम, 1953 के तहत स्थापित, यह वाणिज्य मंत्रालय के अंतर्गत एक वैधानिक निकाय है, जिसका मुख्यालय कोलकाता में और विदेशों में लंदन, दुबई और मॉस्को में कार्यालय हैं।
    • यह चाय की खेती, उत्पादन और विपणन के लिये वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करता है।
  • विकास की परिस्थितियाँ:
    • जलवायु: चाय एक उष्णकटिबंधीय और उप-उष्णकटिबंधीय फसल है, जो गर्म और आर्द्र परिस्थितियों में अच्छी तरह उगती है।
    • तापमान: यह 20°–30°C के बीच सबसे अच्छी तरह उगती है, जबकि 35°C से अधिक या 10°C से कम तापमान पौधे को नुकसान पहुँचा सकता है।
    • वर्षा: प्रतिवर्ष 150–300 से.मी. समान रूप से वितरित वर्षा की आवश्यकता होती है।
    • मृदा: थोड़ी अम्लीय, कैल्शियम-मुक्त मृदा और जल की स्वतंत्र निकासी के लिये छिद्रपूर्ण उप-मृदा उपयुक्त है।
  • उद्योग में संकट में योगदान देने वाले कारक:
    • मौसम-संबंधित गिरावट: मई 2024 में अत्यधिक गर्मी और उसके बाद असम में बाढ़ ने भारत के चाय उत्पादन को 30% घटाकर 90.92 मिलियन किलोग्राम तक सीमित कर दिया, जो पिछले दशक में सबसे कम है।
    • आपूर्ति-मांग असंतुलन: चाय की मांग और आपूर्ति के बीच बढ़ता अंतर उद्योग पर और दबाव डाल रहा है।
    • स्थिर कीमतें: असम, जो भारत की चाय का 55% उत्पादन करता है, विशेष रूप से स्थिर कीमतों से प्रभावित हुआ है।
    • प्रतिस्पर्द्धा: भारत अन्य प्रमुख चाय उत्पादक देशों जैसे केन्या से तीव्र प्रतिस्पर्द्धा का सामना कर रहा है।
    • बढ़ती इनपुट लागत: पिछले दशक में आवश्यक इनपुट की लागत 9-15% बढ़ी है, जबकि चाय की कीमत केवल 4% बढ़ी है।
      • 20 कीटनाशकों पर प्रतिबंध: प्रतिबंधित कीटनाशकों की वजह से महँगे विकल्प अपनाने पड़े, जिससे चाय की कीमतें बढ़ीं और इस क्षेत्र की लाभप्रदता पर और दबाव पड़ा।

भारत अपने चाय उद्योग की स्थिरता कैसे सुनिश्चित कर सकता है?

  • गुणवत्ता और मूल्य संवर्द्धन की ओर बदलाव: GI-टैग वाली, विशेष और ब्रांडेड चाय को बढ़ावा देना ताकि निर्यात में बेहतर कीमत मिल सके।
  • निर्यात बाज़ारों में विविधता: दक्षिण अमेरिका, मध्य पूर्व और अफ्रीका जैसे बाज़ारों को लक्षित करना ताकि अस्थिर बाज़ारों पर निर्भरता कम हो।
  • घरेलू खपत बढ़ाना: प्रति व्यक्ति खपत बढ़ाने के लिये मार्केटिंग, रेडी-टू-ड्रिंक (RTD), फ्लेवर्ड और वेलनेस टी को बढ़ावा देना।
  • फार्म-गेट मूल्य में सुधार: यह सुनिश्चित करना कि छोटे उत्पादक सीधे बाज़ारों, फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइज़ेशन (FPOs) और पारदर्शी नीलामी के माध्यम से न्यायसंगत और उचित हिस्सा प्राप्त करना।
  • अन्य देशों से सीख: किसानों को उच्च गुणवत्ता और सतत चाय उत्पादन के लिए प्रशिक्षित किया जाए; केन्या के Farmer Field Schools (FFSs) पौधरोपण, सूक्ष्म-प्लकिंग और सर्टिफिकेशन की तैयारी में व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करते हैं।
  • फार्म-गेट मूल्य में सुधार: सुनिश्चित करना कि छोटे उत्पादकों को प्रत्यक्ष बाज़ारों, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) और पारदर्शी नीलामी के माध्यम से उचित हिस्सा मिले।
  • अन्य देशों से सीखना: किसानों को उच्च-गुणवत्ता वाली, सतत् चाय का उत्पादन करने के लिये तैयार करना, केन्या के किसान फील्ड स्कूल (एफएफएस) रोपण, कटाई और प्रमाणन तैयारी में व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करते हैं।

निष्कर्ष: 

भारतीय चाय उद्योग एक महत्त्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है, जहाँ इसे अपनी वैश्विक संभावनाओं और जलवायु संवेदनशीलता तथा निम्न मूल्य प्राप्ति जैसी गंभीर चुनौतियों के बीच संतुलन स्थापित करना है। सतत् लाभप्रदता हासिल करने के लिये आवश्यक है कि उद्योग मात्रा से गुणवत्ता की ओर रणनीतिक बदलाव करना, छोटे उत्पादकों को सशक्त बनाना तथा निर्यात एवं घरेलू बाज़ारों दोनों के लिये नवाचार करना।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: भारत के चाय उद्योग की वर्तमान स्थिति और चुनौतियों का परीक्षण कीजिये तथा इसकी स्थिरता के लिये उपाय सुझाइये।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स

प्रश्न: भारत में ‘‘चाय बोर्ड’’ के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:

  1. चाय बोर्ड सांविधिक निकाय है।  
  2. यह कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय से संलग्न नियामक निकाय है।  
  3. चाय बोर्ड का प्रधान कार्यालय बंगलूरू में स्थित है।  
  4. इस बोर्ड के दुबई और मॉस्को में विदेश स्थित कार्यालय हैं।

उपर्युक्त कथनों में कौन-से सही हैं?

(a) केवल 1 और 3

(b) केवल 2 और 4

(c) केवल 3 और 4         

(d) केवल 1 और 4

उत्तर: (d)


मेन्स

प्रश्न. ब्रिटिश बागान मालिकों ने असम से हिमाचल प्रदेश तक शिवालिक और लघु हिमालय के चारों ओर चाय बागान विकसित किये थे, जबकि वास्तव में वे दार्जिलिंग क्षेत्र से आगे सफल नहीं हुए। चर्चा कीजिये। (2014)

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