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भारतीय अर्थव्यवस्था

भारत ने अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण ईरान से आयातित तेल में कटौती की

  • 12 Jul 2018
  • 3 min read

संदर्भ 

उद्योग और जहाज़रानी स्रोतों के आँकड़ों के मुताबिक अमेरिका की ओर से ईरान पर फिर से प्रतिबंध लगाने की बात कहे जाने के एक महीने बाद जून में ईरान से भारत के कच्चे तेल आयात में 16 फीसदी की कमी आई है।

प्रमुख बिंदु 

  • हाल ही में भारत ने तेल रिफाइनरीज़ से कहा है कि ईरान पर लगने वाले अमेरिकी प्रतिबंध के मद्देनजर उसे ईरान से कच्चे तेल के आयात में भारी कटौती करनी होगी, इसलिये वे वैकल्पिक तेल आपूर्ति पर विचार करें।
  • मई में अमेरिका ने कहा था कि वह 2015 में ईरान, रूस, चीन, फ्राँस, जर्मनी और ब्रिटेन के साथ किये गए समझौते से बाहर आने के बाद दोबारा से प्रतिबंध लगाएगा, जबकि ईरान पहले लगे प्रतिबंधों को हटाने के एवज में अपनी परमाणु गतिविधियों में कमी लाने पर राजी हुआ था।
  • उल्लेखनीय है कि भारत, चीन के बाद ईरान का दूसरा सबसे बड़ा तेल ग्राहक है।

खरीदारों से जुड़ी चिंताएँ

  • निजी रिफाइनरीज़ द्वारा कम खरीद की वजह से जून में ईरान से भारत के आयात में कमी आई, जबकि सरकारी रिफाइनरीज़ ने कच्चे तेल की खरीद को बढ़ाया था।
  • जून में भारत ने ईरान से प्रतिदिन 5,92,800 बैरल कच्चे तेल का ही आयात किया था, जबकि इसकी तुलना में मई में प्रतिदिन 7,05,200  बैरल कच्चे तेल का आयात किया गया था।
  • भारत की लगभग प्रतिदिन 50 लाख बैरल तेलशोधन क्षमता में सरकारी रिफाइनरीज़ की हिस्सेदारी करीब 60 फीसदी है।
  • आँकड़ों के मुताबिक सरकारी रिफाइनरीज़ द्वारा ईरान से आयातित तेल की खरीद मई की तुलना में जून में करीब 10 फीसदी बढ़कर 4,54,000 बैरल प्रतिदिन रही। 
  • ईरान में एक प्राकृतिक गैस फील्ड को विकसित करने के अधिकार को लेकर उपजे विवाद के चलते वित्त वर्ष 2017-18 में भारत के सरकारी रिफाइनरीज़ ने तेल आयात में कटौती की थी।
  • हालाँकि, ईरान की तरफ से मुफ्त नौवहन और 60 दिनों की बढ़ी हुई उधारी अवधि की पेशकश के बाद सरकारी रिफाइनरीज़ ने मौजूदा वित्त वर्ष में अप्रैल से आयात में वृद्घि की योजना बनाई थी।
  • इस दौरान सरकारी रिफाइनरीज़ द्वारा आयात करीब दोगुने से अधिक बढ़कर 1,91,700 बैरल प्रतिदिन से 4,13,400 बैरल प्रतिदिन हो गया।
  • लेकिन जिस गति से ज़ीरो टोलरेंस नीति आगे बढ़ रही है, इसमें कोई संदेह नहीं है कि ईरान के मौजूदा कच्चे तेल केखरीदारों की चिंताएँ भी बढ़ सकती हैं। 
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