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भारतीय इतिहास

गीत गोविन्द

  • 23 Feb 2019
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल हॉल म्यूज़ियम में जयदेव द्वारा रचित ‘गीत गोविन्द’ की अठारहवीं सदी की प्रति प्रदर्शित की गई।

प्रमुख बिंदु

  • 21 फरवरी, 2019 को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर बांग्ला भाषा में हस्तलिखित गीत गोविन्द की पाण्डुलिपि (Manuscript) का प्रदर्शन किया गया।
  • माना जाता है कि यह बांग्ला भाषा की सबसे पुरानी हस्तलिखित पाण्डुलिपियों में से एक है।
  • कवि जयदेव द्वारा रचित पांडुलिपियों को प्रिंस हॉल में ‘ऑब्जेक्ट ऑफ़ द मंथ’ के रूप में प्रदर्शित किया जा रहा है।
  • पाण्डुलिपि की प्रासंगिकता और सामयिकता की तरफ ध्यान दिलाते हुए म्यूज़ियम के सेक्रेटरी ने बताया कि रचना की भाषा संस्कृत है किंतु स्क्रिप्ट बांग्ला में है।
  • मध्य युगीन अन्य रचनाओं की तरह इस रचना का भी शताब्दियों तक कई भाषाओँ में अनुवाद किया गया।
  • ये पांडुलिपियाँ प्रिंटिंग प्रेस के अविष्कार से काफी पहले लिखी गई हैं।

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विक्टोरिया मेमोरियल हाल म्यूज़ियम में प्रदर्शित पांडुलिपियाँ

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस

  • ज्ञातव्य है कि हर वर्ष 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस (International Mother Language Day) का आयोजन किया जाता है।
  • इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य दुनिया भर में भाषायी और सांस्कृतिक विविधता तथा बहुभाषिता का प्रसार करना है।
  • 1952 में भाषा आंदोलन के दौरान अपनी मातृभाषा के लिये शहीद हुए युवाओं की स्मृति में यूनेस्को ने 1999 में 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी।
  • संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2000 में पहली बार अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस आयोजित किया था। इस वर्ष की थीम “Indigenous Languages as a Factor in Development, Peace and Reconciliation” रखी गई है।

स्रोत – द हिन्द

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