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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

भारत में कोयला बिजली संयंत्रों की स्थिति

  • 23 Feb 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में स्विट्ज़रलैंड में उपस्थित ईटीएच ज़यूरिख (ETH Zurich in Switzerland) के पर्यावरण इंजीनियरिंग संस्थान द्वारा किये गए वैश्विक उत्सर्जन हॉटस्पॉट्स (Global Emission Hotspots) के अध्ययन में यह बात सामने आई है कि भारत में कोयले से चलने वाले विजली संयंत्रों (Coal-Fired Power Plants) पर दुनिया भर में सबसे ज़्यादा टोल (Toll) लिया जाता है जबकि बिजली उत्पादन के क्षेत्र में सबसे बड़े दो देश चीन और अमेरिका हैं।

  • शोधकर्त्ताओं ने बताया कि कोयला संयंत्र आधारित बिजली उत्पादन वैश्विक स्तर पर ग्रीनहाउस गैस (GHG) और विषैले गैस उत्सर्जन का एक प्रमुख कारण है।

कोयला जलाने के दुष्प्रभाव

  • कोयला के जलने से कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) का उसर्जन होता है, जो ग्लोबल वार्मिंग में योगदान देता है। साथ ही कोयले के जलने से पार्टिकुलेट मैटर (Particulate Matter), सल्फर डाइऑक्साइड (SO2), नाइट्रोजन ऑक्साइड (NO) और पारा (Hg) का भी उत्सर्जन होता है, जिसका दुष्प्रभाव लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ता है।
  • इस क्षेत्र में तत्काल कार्यवाही करने के लिये शोधकर्त्ताओं ने दुनिया के 7,861 बिजली संयंत्र इकाइयों में से प्रत्येक के लिये कोयला संयंत्र आधारित बिजली के अवांछित दुष्प्रभावों की गणना की।
  • नेचर सस्टेनेबिलिटी (Nature Sustainability) नामक पत्रिका में प्रकाशित लेख दर्शाते हैं कि चीन और अमेरिका कोयला ऊर्जा के दो सबसे बड़े उत्पादक देश हैं, लेकिन सबसे ज़्यादा भारत के बिजली संयंत्र स्वास्थ्य पर बुरा असर डालते हैं।
  • ETH ज़यूरिख के पर्यावरण इंजीनियरिंग संस्थान द्वारा किये गए अध्ययन में यह बात सामने आई है कि मध्य यूरोप, उत्तरी अमेरिका और चीन सभी में आधुनिक बिजली संयंत्र हैं, लेकिन पूर्वी यूरोप, रूस और भारत में अभी भी कई पुराने संयंत्र हैं जिनसे असुरक्षित रूप से बिजली का उत्पादन किया जा रहा है।
  • फलस्वरूप पुराने बिजली संयंत्र प्रदूषकों के केवल कुछ अंश को हटाते हैं, क्योंकि यहाँ पर ज़्यादातर निम्न गुणवत्ता वाले कोयले का उपयोग किया जाता है।
  • शोधकर्त्ताओं द्वारा ऐसे बिजली संयंत्रों को जल्द-से-जल्द बंद किये करने तथा कोयला संयंत्र आधारित बिजली उत्पादन के नकारात्मक स्वास्थ्य प्रभावों को कम करने को इसे वैश्विक प्राथमिकता में रखने की बात कही गई है।
  • वर्तमान में बढ़ते औद्योगिकीकरण के दौर में विशेष रूप से चीन और भारत में इन संयंत्रों के बंद करने की बजाय इनका उपयोग बढ़ने का खतरा है।
  • कोयला बिजली संयंत्र के निर्माण के लिये प्रारंभिक निवेश लागत अधिक होती है, लेकिन बाद में परिचालन लागत कम होती है। विजली संयंत्र संचालकों का अपने संयंत्रों को लंबे समय तक चलाने पर ही आर्थिक लाभ प्राप्त होता है।

स्रोत – द हिंदू (बिज़नेस लाइन)

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