भारतीय अर्थव्यवस्था
लचीली मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण ढाँचा
- 27 Aug 2025
- 75 min read
प्रिलिम्स के लिये: भारतीय रिज़र्व बैंक, लचीला मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण, मौद्रिक नीति समिति, खाद्य मुद्रास्फीति
मेन्स के लिये: भारत के लचीले मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण ढाँचे का महत्त्व, आपूर्ति आघातों के प्रबंधन में मौद्रिक-राजकोषीय समन्वय
चर्चा में क्यों?
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने मूल्य स्थिरता बनाए रखने में लचीली मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण (FIT) ढाँचे के सफल प्रदर्शन की पुष्टि की है। RBI के एक हालिया चर्चा पत्र में बताया गया है कि इसकी शुरुआत के बाद से, मुद्रास्फीति कम और स्थिर रही है, जो वर्ष 2019 के अंत तक औसतन लगभग 4% रही।
RBI की लचीली मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण (FIT) ढाँचा क्या है?
- संदर्भ: वैश्विक वित्तीय संकट के बाद, भारत ने लगातार उच्च मुद्रास्फीति और शिथिल विकास का अनुभव किया, जिससे मौद्रिक नीति की विश्वसनीयता में सुधार पर बहस शुरू हो गई।
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उर्जित पटेल समिति की रिपोर्ट (2014) में मौद्रिक नीति के लिये नाममात्र आधार के रूप में मुद्रास्फीति के साथ मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण को अपनाने की सिफारिश की गई थी।
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FIT को अपनाना: भारत ने RBI अधिनियम, 1934 में संशोधन के माध्यम से वर्ष 2016 में औपचारिक रूप से FIT को अपनाया।
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इसे वर्ष 2015 में भारत सरकार और RBI के बीच हस्ताक्षरित मौद्रिक नीति रूपरेखा समझौते के बाद अपनाया गया।
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- लचीलेपन की आवश्यकता: सख्त मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण के विपरीत, FIT आपूर्ति पक्ष के आघातों (जैसे, खाद्य मूल्य में वृद्धि, ईंधन अस्थिरता) तथा आर्थिक संकटों (जैसे, महामारी, युद्ध) को समायोजित करने के लिये लक्ष्य से अल्पकालिक विचलन की अनुमति देता है।
- यह मंदी के दौरान विकास को प्राथमिकता देने के अवसर प्रदान करता है, जबकि मध्यम अवधि में मुद्रास्फीति लक्ष्य पथ पर वापस लौटता है।
- टारगेट एवं टॉलरेंस बैंड: ±2% की टॉलरेंस बैंड के साथ 4% मुद्रास्फीति लक्ष्य, मूल्य स्थिरता और विकास को संतुलित करता है, जो उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिये वैश्विक मानदंडों के अनुरूप है। वर्ष 2016 में FIT को अपनाने के बाद से, मुद्रास्फीति में अस्थिरता कम हुई है।
- वर्तमान बैंड खाद्य, ईंधन और वैश्विक अस्थिरता से होने वाले आघातों को अवशोषित करने के लिये लचीलापन प्रदान करता है, जिसमें 94% मुद्रास्फीति इसी सीमा के भीतर रहती है।
- भारत की उच्च खाद्य हिस्सेदारी और संभावित भावी अस्थिरता को देखते हुए, स्थिरता के लिये एक व्यापक बैंड आवश्यक है।
- वर्तमान बैंड खाद्य, ईंधन और वैश्विक अस्थिरता से होने वाले आघातों को अवशोषित करने के लिये लचीलापन प्रदान करता है, जिसमें 94% मुद्रास्फीति इसी सीमा के भीतर रहती है।
- FIT ढाँचे की मुख्य विशेषताएँ:
घटक |
विवरण |
लक्ष्य मीट्रिक |
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) (शीर्ष मुद्रास्फीति) आधारित मुद्रास्फीति। |
आदेशपत्र |
CPI आधारित मुद्रास्फीति लक्ष्य को ±2% (अर्थात 2%-6%) की टॉलरेंस बैंड के साथ 4% पर बनाए रखना। |
समीक्षा अवधि |
प्रति पाँच वर्ष |
जवाबदेही तंत्र |
लगातार 3 तिमाहियों तक टारगेट बैंड का उल्लंघन होने पर सरकार को औपचारिक रिपोर्ट भेजनी होगी। |
निर्णय लेने वाली संस्था |
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प्रथम समीक्षा परिणाम (2021) |
वर्ष 2021-2026 के लिये ±2% की टॉलरेंस बैंड (सहनशीलता सीमा) के साथ 4% का लक्ष्य रखा गया है। |
भारत में FIT ढाँचे का प्रदर्शन कैसा रहा है?
उपलब्धियाँ
- अवस्फीति प्राप्ति: FIT (2016-2025) के अंतर्गत औसत मुद्रास्फीति 4.9% रही, जो FIT-पूर्व अवधि के 6.8% से कम थी।
- अपेक्षाओं को स्थिर करना: FIT ने उपभोक्ताओं और निवेशकों के बीच दीर्घकालिक मुद्रास्फीति अपेक्षाओं को स्थिर करने में मदद की, जिससे अनिश्चितता कम हुई।
- संस्थागत पारदर्शिता: MPC मतदान और संचार ने RBI की नीतिगत विश्वसनीयता में सुधार किया।
- नीतिगत लचीलापन: कोविड-19 और रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान, RBI ने व्यापक आर्थिक आवश्यकताओं के आधार पर मुद्रास्फीति और विकास के बीच अपना ध्यान केंद्रित किया।
- सार्वजनिक जवाबदेही: वर्ष 2022 में, RBI ने लगातार 5 तिमाहियों तक ऊपरी सीमा को पार करने के बाद औपचारिक रूप से सरकार को रिपोर्ट दी।
चुनौतियाँ
- बाह्य आघात: महामारी और वैश्विक संघर्षों के कारण घरेलू नीतिगत विवेक के बावजूद ऊपरी सीमा का उल्लंघन हुआ।
- पुराना CPI आधार: वर्तमान आधार वर्ष (2012) हाल के उपभोग पैटर्न को प्रतिबिंबित नहीं करता है; खाद्य भार का अनुमान अधिक हो सकता है।
- MPC में आवधिक असहमति: MPC सदस्यों के भीतर, महत्त्वपूर्ण मतदान मतभेद और कभी-कभी सरकारी हस्तक्षेप आम सहमति तक पहुँचने में चुनौतियों को उजागर करते हैं, जो FIT ढाँचे की प्रभावशीलता को प्रभावित करते हैं।
RBI के FIT ढाँचे के संबंध में प्रमुख विवाद क्या हैं?
लक्ष्य के रूप में हेडलाइन मुद्रास्फीति बनाम कोर मुद्रास्फीति
- विवाद: क्या RBI को हेडलाइन मुद्रास्फीति (खाद्य एवं ईंधन सहित) को लक्ष्य करना जारी रखना चाहिये या कोर मुद्रास्फीति (खाद्य एवं ईंधन को छोड़कर) पर ध्यान देना चाहिये।
- हेडलाइन मुद्रास्फीति के पक्ष में तर्क: खाद्य एवं ईंधन का CPI में 50% से अधिक हिस्सा है; इन्हें बाहर करने से लक्ष्य अप्रातिनिधिक हो जाएगा।
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सतत् खाद्य मुद्रास्फीति, वेतन और मार्कअप के माध्यम से हेडलाइन कीमतों तक विस्तृत हो सकती है। यह वैश्विक व्यवहार के अनुरूप है, समय के साथ हेडलाइन मुद्रास्फीति के साथ अभिसरित होती है, तथा परिवारों और व्यवसायों के लिये स्पष्ट संचार प्रदान करती है, जिससे यह मौद्रिक नीति के लिये एक अधिक प्रतिनिधि और प्रभावी मार्गदर्शक बन जाती है।
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कोर मुद्रास्फीति के पक्ष में तर्क: यह अधिक स्थिर और कम अस्थिर होती है क्योंकि यह मांग-पक्ष के दबावों को दर्शाती है। खाद्य एवं ऊर्जा की कीमतें मुख्यतः आपूर्ति के आघातों से प्रभावित होती हैं तथा ब्याज दरों में बदलाव का बेहतर प्रभाव नहीं दिखाती हैं।
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कोर मुद्रास्फीति को लक्षित करने से अस्थायी उछाल पर अति प्रतिक्रिया से बचने में मदद मिलती है और नीतिगत विकृतियों को कम करके बेहतर संसाधन आवंटन सुनिश्चित होता है।
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पॉइंट टारगेट बनाम रेंज-ओनली सिस्टम
- विवाद: क्या RBI को एक बैंड के भीतर एक पॉइंट टारगेट (4%) जारी रखना चाहिये, या रेंज-ओनली सिस्टम लक्ष्य (जैसे, 3%-6%) अपनाना चाहिये?
- पॉइंट टारगेट के पक्ष में तर्क: मुद्रास्फीति की अपेक्षाओं के लिये एक स्पष्ट आधार के रूप में कार्य करता है। नीतिगत स्पष्टता और जवाबदेही को बढ़ावा देता है। वैश्विक रुझान टॉलरेंस बैंड के साथ पॉइंट टारगेट का समर्थन करता है।
- किसी रेंज(सीमा) में बदलाव को मूल्य स्थिरता के प्रति प्रतिबद्धता में कमी के रूप में देखा जा सकता है। वैश्विक निवेशक और बाज़ार इसे RBI के नियंत्रण खोने या राजनीतिक हस्तक्षेप के संकेत के रूप में देख सकते हैं।
- रेंज-ओनली सिस्टम के पक्ष में तर्क: अनिश्चित परिस्थितियों में अधिक लचीलापन प्रदान करता है। स्पष्ट सीमाएँ पूर्वानुमान की सीमाओं और उच्च वैश्विक आर्थिक अस्थिरता को स्वीकार करती हैं।
- यह अल्पकालिक अतिरेक में अनावश्यक नीतिगत सख्ती से बचाता है। आर्थिक तनाव के समय में रोज़गार या उत्पादन वृद्धि जैसे लक्ष्यों को बेहतर ढंग से एकीकृत कर सकता है।
बेहतर FIT ढाँचे के लिये आगे की राह क्या होना चाहिये?
- CPI आधार वर्ष में संशोधन: उपभोग में संरचनात्मक परिवर्तनों को प्रतिबिंबित करने और माप सटीकता में सुधार करने के लिये CPI आधार वर्ष को अद्यतन करना।
- मूल सिद्धांतों को बनाए रखना: आधार को कमज़ोर किये बिना आघातों के प्रतिउत्तर में FIT की अंतर्निहित अनुकूलनशीलता का उपयोग करना।.
- नीतिगत विश्वसनीयता को मज़बूत करना: जनता और बाज़ार का विश्वास बनाए रखने के लिये निरंतरता सुनिश्चित करना और बार-बार होने वाले बदलावों से बचना।
- खाद्य-ऊर्जा आघातों का समाधान: बेहतर आपूर्ति-पक्ष प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करना क्योंकि भारत के CPI बास्केट में खाद्य और ईंधन प्रमुख हैं।
- सरकार की आपूर्ति पक्ष की कार्रवाइयों को स्पिलओवर प्रभावों को नियंत्रित करने के लिये RBI की सख्ती के पूरक के रूप में कार्य करना चाहिये।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: भारत के लचीले मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण ढाँचे से मौद्रिक नीति की विश्वसनीयता में सुधार हुआ है, फिर भी अस्थिर वैश्विक अर्थव्यवस्था के बीच उभरती चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। चर्चा कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न
प्रिलिम्स
प्रश्न 1. भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक दर को कम करना _______की ओर जाता है: (2011)
(a) बाज़ार में अधिक तरलता
(b) बाज़ार में कम तरलता
(c) बाज़ार में तरलता में कोई बदलाव नहीं
(d) वाणिज्यिक बैंकों द्वारा अधिक जमा जुटाना
उत्तर: (a)
प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)
- खाद्य वस्तुओं का ‘उपभोक्ता मूल्य सूचकांक’ (CPI) भार (Wegitage) उनके ‘थोक मूल्य सूचकांक’ (WPI) में दिये गए भार से अधिक है।
- WPI, सेवाओं के मूल्यों में होने वाले परिवर्तनों को नहीं पकड़ता, जैसा कि CPI करता है।
- भारतीय रिज़र्व बैंक ने अब मुद्रास्फीति के मुख्य मान तथा प्रमुख नीतिगत दरों के निर्धारण हेतु WPI को अपना लिया है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (a)
प्रश्न. यदि आर.बी.आई. प्रसारवादी मौद्रिक नीति का अनुसरण करने का निर्णय लेता है, तो वह निम्नलिखित में से क्या नहीं करेगा? (2020)
- वैधानिक तरलता को घटाकर उसे अनुकूलित करना
- सीमांत स्थायी सुविधा दर को बढ़ाना
- बैंक दर को घटाना तथा रेपो दर को भी घटाना
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (b)
Q. भारत में, निम्नलिखित में कौन मुद्रास्फीति को नियंत्रित कर कीमत स्थिरता बनाए रखने के लिए उत्तरदायी है? (2022)
(a) उपभोक्ता मामले विभाग
(b) व्यय प्रबंधन आयोग
(c) वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद्
(d) भारतीय रिज़र्व बैंक
उत्तर: (d)
Q. मौद्रिक नीति समिति (मोनेटरी पॉलिसी कमिटी /MPC) के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
- यह RBI की मानक (बेंचमार्क) ब्याज दरों का निर्धारण करती है।
- यह एक 12-सदस्यीय निकाय है जिसमें RBI का गवर्नर शामिल है तथा प्रत्येक वर्ष इसका पुनर्गठन किया जाता है।
- यह केंद्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता में कार्य करती है।
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:
(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 3
(d) केवल 2 और 3
उत्तर: (a)
मेन्स
Q. क्या आप इस मत से सहमत हैं कि सकल घरेलू उत्पाद (जी० डी० पी०) की स्थायी संवृद्धि तथा निम्न मुद्रास्फीति के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था अच्छी स्थिति में है? अपने तर्कों के समर्थन में कारण दीजिये। (2019)