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शासन व्यवस्था

ग्राम पंचायतों में डिजिटल परिवर्तन को प्रोत्साहन

  • 27 Sep 2025
  • 70 min read

प्रिलिम्स के लिये: डिजिटल इंडिया, ग्राम पंचायत, भाषिनी, स्वामित्व, भारतनेट, ग्रामसभा, ई-ग्राम स्वराज। 

मेन्स के लिये: पंचायतों के लिये डिजिटल पहलों को समझने के लिये उनकी आवश्यकता, सामाजिक-आर्थिक प्रभाव, लाभ, कार्यान्वयन चुनौतियों और आवश्यक सुधारात्मक उपायों की समग्र जाँच की आवश्यकता होती है।

स्रोत: पी.आई.बी.

चर्चा में क्यों?

पंचायती राज मंत्रालय (MoPR) ने ग्राम पंचायतों के लिये डिजिटल सुधारों की शुरुआत की है, जो डिजिटल इंडिया और आत्मनिर्भर भारत से संबंधित पहल है। इसका उद्देश्य पारदर्शी, कुशल एवं समावेशी ग्रामीण शासन को बढ़ावा देना है।

ग्राम पंचायतों से संबंधित प्रमुख डिजिटल पहल क्या हैं? 

  • सभासार: अगस्त 2025 में प्रारंभ किया गया, सभासार एक AI उपकरण है जो ग्रामसभा और अन्य पंचायत बैठकों की संरचित कार्यवृत्त तैयार करता है। यह भाषिणी से एकीकृत है तथा 14 भारतीय भाषाओं का समर्थन करता है, जिससे वास्तविक समय में सटीक और निष्पक्ष अभिलेख उपलब्ध होते हैं। 
  • स्वामित्व योजना (SVAMITVA): ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर प्रौद्योगिकी से सर्वेक्षण और मानचित्र योजना ग्रामीण परिवारों को उनके घरों और भूमि के कानूनी स्वामित्व पत्र प्रदान करती है। इससे बैंक ऋण प्राप्ति, विवाद निपटान और संपत्ति के उपयोग में सुविधा मिलती है।  
    • अगस्त 2025 तक, स्वामित्व योजना के अंतर्गत 1.73 लाख गाँवों में 2.63 करोड़ संपत्ति कार्ड जारी किये जा चुके हैं। 
  • भारतनेट: भारतनेट का उद्देश्य Wi-Fi हॉटस्पॉट, फाइबर टू द होम (FTTH) कनेक्शन और अन्य सेवाओं के माध्यम से ब्रॉडबैंड सुविधा उपलब्ध कराना है। अब तक 13 लाख से अधिक FTTH कनेक्शन स्थापित किये जा चुके हैं। 
  • ई-ग्रामस्वराज: यह एक व्यापक अनुप्रयोग है जो पंचायत की मूलभूत कार्यप्रणालियों, जैसे- योजना निर्माण, बजट, लेखांकन, निगरानी, रिपोर्टिंग, परिसंपत्ति प्रबंधन और ऑनलाइन भुगतान को एकीकृत करता है। यह 28 राज्यों और 6 केंद्रशासित प्रदेशों में 2.7 लाख से अधिक पंचायती राज संस्थाओं को सेवा प्रदान कर रहा है। 

Digital_Initiatives_in PRIs

  • मेरी पंचायत ऐप: मेरी पंचायत ऐप एक एकीकृत मोबाइल गवर्नेंस प्लेटफॉर्म के रूप में कार्य करता है, जो पंचायत कार्यों में पारदर्शिता, जवाबदेही और नागरिक भागीदारी को बढ़ावा देता है। यह 2.65 लाख ग्राम पंचायतों में 25 लाख से अधिक निर्वाचित प्रतिनिधियों और लगभग 95 करोड़ ग्रामीण नागरिकों को सेवाएँ प्रदान करता है।
  • पंचायत निर्णय: यह पोर्टल मीटिंग्स का समय निर्धारण करता है, नागरिकों को एजेंडा की सूचना देता है, ग्रामसभा के निर्णयों का अभिलेख रखता है और कागज़ आधारित प्रक्रियाओं को स्वचालित कार्यप्रवाह से प्रतिस्थापित करता है।
  • ग्राम मानचित्र: ग्राम मानचित्र एकीकृत डिजिटल मानचित्र उपलब्ध कराता है, जिसके माध्यम से विकास कार्यों का दृश्यांकन किया जा सकता है। यह ग्राम पंचायत विकास योजना (GPDP) के साथ कार्यों का संरेखण करता है, परियोजना स्थलों की पहचान, परिसंपत्तियों की निगरानी, लागत का आकलन और प्रभाव का मूल्यांकन करने में सहायता करता है।

डिजिटल पहल पंचायतों की कार्यप्रणाली को कैसे बढ़ाती है? 

  • शासन में स्पष्टता: नागरिक मोबाइल फोन पर पंचायत के वित्त और परियोजनाओं की स्थिति तुरंत देख सकते हैं, जबकि AI-जनित बैठक सारांश निष्पक्ष रिकॉर्ड प्रदान करते हैं, जिससे जनता का विश्वास बढ़ता है। 
  • प्रशासनिक दक्षता: मिनट-टेकिंग और रिपोर्ट जनरेशन का स्वचालन अधिकारियों को परियोजनाओं के कार्यान्वयन तथा समस्या समाधान पर ध्यान केंद्रित करने की अनुमति देता है, जबकि एकीकृत सिस्टम योजना, वित्त आवंटन व व्यय ट्रैकिंग को सुगम बनाते हैं। 
  • समावेशिता: भाषिणी जैसे प्लेटफॉर्म अनेक भारतीय भाषाओं का समर्थन करते हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि विभिन्न क्षेत्रों के ग्रामीण समुदायों को डिजिटल शासन ढाँचे में शामिल किया जा सके। 
  • डिजिटल समावेशन: भारतनेट उच्च गति इंटरनेट प्रदान करता है, गाँवों में ई-गवर्नेंस, ई-स्वास्थ्य, ई-शिक्षा और ई-कॉमर्स सेवाओं को सक्षम बनाता है, डिजिटल विभाजन को कम करता है तथा ग्रामीण भारत को शहरी कनेक्टिविटी मानकों के पास लाता है। 
  • डेटा-आधारित विकास: भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) प्रौद्योगिकी डिजिटल मानचित्र पर गाँव की परिसंपत्तियों और भूभाग को दर्शाती है, जिससे संसाधनों का डेटा-आधारित आवंटन संभव होता है तथा सड़कें या जल स्रोत जैसी नई अवसंरचना को अधिकतम प्रभाव के लिये स्थित करने में सूचित निर्णय लेने में सहायता मिलती है।

पंचायती राज संस्थाओं में डिजिटल सुधारों की प्रभावशीलता को कौन-से कारक सीमित करते हैं? 

  • अवसंरचना की कमी: भारतनेट के बावजूद, दूरस्थ पंचायतों में इंटरनेट धीमा है, बार-बार बिजली कटती है, हार्डवेयर (कंप्यूटर, प्रिंटर) अपर्याप्त हैं और ब्रॉडबैंड अवसंरचना सीमित है, जिससे ई-ग्रामस्वराज जैसी ऑनलाइन सेवाओं का उपयोग सीमित रहता है। 
  • डिजिटल साक्षरता का अभाव: ग्रामीण निवासियों और निर्वाचित प्रतिनिधियों के एक बड़े हिस्से में बुनियादी डिजिटल कौशल का अभाव है, जिससे मेरी पंचायत जैसे ऐप्स का प्रभावी उपयोग सीमित हो जाता है। पंचायत सचिवों और अधिकारियों को जटिल प्लेटफॉर्म पर अपर्याप्त प्रशिक्षण के कारण त्रुटियाँ होती हैं या उनका उपयोग नहीं हो पाता है। 
  • भाषाई और सांस्कृतिक बाधाएँ: भाषाई विविधता और स्थानीय बोलियों के लिये समर्थन की कमी, बहुभाषी उपकरणों के बावजूद, पहुँच को सीमित कर सकती है। पारंपरिक तरीकों पर निर्भरता के कारण कम जागरूकता और बदलाव के प्रति प्रतिरोध, डिजिटल उपकरणों को अपनाने में बाधा डालते हैं। 
  • कार्यान्वयन में बाधाएँ: ग्राम मानचित्र की प्रभावशीलता सटीक आँकड़ों पर निर्भर करती है, पुराने या गलत इनपुट के कारण योजना में त्रुटि होती है। 
    • स्थानीय तकनीकी सहायता का अभाव रखरखाव एवं स्थायित्व के लिये खतरा उत्पन्न करता है, जबकि ओवरलैपिंग और अलग-अलग प्रणालियाँ कार्यभार बढ़ाती हैं तथा निराशा का कारण बनती हैं। 
  • लैंगिक डिजिटल विभाजन: ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को कम साक्षरता और सीमित फोन पहुँच का सामना करना पड़ता है, जिससे लैंगिक डिजिटल विभाजन उत्पन्न होता है।

पंचायत स्तर पर डिजिटल गवर्नेंस पहल को कैसे बेहतर बनाया जा सकता है? 

  • विश्वसनीय पहुँच सुनिश्चित करना: भारतनेट को अंतिम चरण वाई-फाई हॉटस्पॉट्स या स्थानीय उद्यमियों द्वारा स्थापित ब्रॉडबैंड कियोस्क से सुदृढ़ करना। पंचायत कार्यालयों में सौर बैकअप प्रदान करना। कार्यशील कंप्यूटर, प्रिंटर, स्कैनर और समर्पित इंटरनेट के साथ हार्डवेयर को मानकीकृत करना। 
  • क्षमता निर्माण को विकसित करना: प्रशिक्षित स्थानीय युवा जो ऑन‑ग्राउंड सहायता प्रदान करें डिजिटल साथी स्थापित करना। ई-ग्राम स्वराज और मेरी पंचायत जैसे ऐप्स के लिये स्थानीय भाषा में वीडियो आधारित प्रशिक्षण विकसित करना। 
    • समय पर प्लेटफॉर्म के उपयोग को प्रदर्शन-आधारित पुरस्कारों या फंड वितरण से जोड़कर प्रोत्साहित करना। 
  • उपयोगकर्ता अनुभव में सुधार: ई-ग्राम स्वराज (eGramSwaraj), ग्राम मानचित्र (Gram Manchitra) आदि जैसे ऐप्स के लिये एक एकल, एकीकृत लॉगिन पोर्टल (उदाहरण के लिये, डिजिटल पंचायत डैशबोर्ड) का विकास करना, जिसमें सहज, आइकन-आधारित डिज़ाइनों की विशेषता वाले सरलीकृत इंटरफेस हों। 
  • भागीदारीपूर्ण शासन को बढ़ावा: महिला संचालित डिजिटल साक्षरता केंद्रों और स्वयं सहायता समूहों की स्थापना करना, ताकि मेरी पंचायत जैसे ऐप्स का उपयोग हो सके। 
    • इंटरनेट या साक्षरता की बाधाओं के बावजूद डेटा तक पहुँच और शिकायत दर्ज करने की सुविधा देने के लिये ऑफलाइन और वॉइस-आधारित विकल्प (जैसे IVR – इंटरैक्टिव वॉइस रिस्पॉन्स) शामिल करना। 
  • सहयोग और निगरानी तंत्र: वास्तविक समय में तकनीकी सहायता उपलब्ध कराने हेतु टोल-फ्री हेल्पलाइन के साथ एक पंचायत आईटी हेल्पडेस्क स्थापित करना। केवल अपनाने पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय उपयोग की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिये डैशबोर्ड एनालिटिक्स को प्राथमिकता देना। 

निष्कर्ष:

डिजिटल पहल पारदर्शिता और दक्षता में सुधार लाकर ग्रामीण शासन में बदलाव ला रही हैं। मज़बूत बुनियादी ढाँचे, निरंतर क्षमता निर्माण और समावेशी डिज़ाइन पर ध्यान केंद्रित करके डिजिटल अंतराल को कम और पंचायती राज संस्थाओं को सशक्त बनाया जा सकता है।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: "पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) के लिए डिजिटल उपकरण शासन में परिवर्तन की संभावना रखते हैं, लेकिन इनके कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण चुनौतियाँ भी हैं।" — भारत के संदर्भ में इस कथन की आलोचनात्मक परीक्षा कीजिये।

 

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न

प्रिलिम्स:

प्रश्न1. स्थानीय स्वशासन की सर्वोत्तम व्याख्या यह की जा सकती है कि यह एक प्रयोग है (2017)

(a) संघवाद का 

(b) लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण का 

(c) प्रशासकीय प्रत्यायोजन का 

(d) प्रत्यक्ष लोकतंत्र का

उत्तर: (b)

प्रश्न 2. पंचायती राज व्यवस्था का मूल उद्देश्य क्या सुनिश्चित करना है? (2015)

विकास में जन-भागीदारी  राजनीतिक जवाबदेही  लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण  वित्तीय संग्रहण (फ़ाइनेंशियल मोबिलाइज़ेशन) 

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2 और 3 

(b) केवल 2 और 4 

(c) केवल 1 और 3 

(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (c) 


मेन्स:

प्रश्न 1. भारत में स्थानीय शासन के एक भाग के रूप में पंचायत प्रणाली के महत्त्व का आकलन कीजिये। विकास परियोजनाओं के वित्तीयन के लिये पंचायतें सरकारी अनुदानों के अलावा और किन स्रोतों को खोज सकती हैं? (2018)

प्रश्न 2. आपकी राय में भारत में शक्ति के विकेंद्रीकरण ने ज़मीनी-स्तर पर शासन परिदृश्य को किस सीमा तक परिवर्तित किया है? (2022) 

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