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मसौदा भू-विरासत स्थल और भू-अवशेष विधेयक, 2022

  • 16 Feb 2023
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

GSI, UNESCO, उचित मुआवजे का अधिकार, RFCTLARR अधिनियम।

मेन्स के लिये:

ड्राफ्ट भू-विरासत स्थल और भू-अवशेष विधेयक।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में खान मंत्रालय ने मसौदा भू-विरासत स्थल और भू-अवशेष (संरक्षण एवं रखरखाव) विधेयक, 2022 अधिसूचित किया है।

  • इस विधेयक का उद्देश्य भूवैज्ञानिक अध्ययन, शिक्षा, अनुसंधान और जागरूकता बढ़ाने के लिये भू-विरासत स्थलों एवं राष्ट्रीय महत्त्व के भू-अवशेषों की घोषणा, सुरक्षा, संरक्षण तथा रखरखाव करना है।
  • भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने शिवालिक जीवाश्म उद्यान, हिमाचल प्रदेश; स्ट्रोमेटोलाइट फॉसिल उद्यान, झारमार्कोट्रा रॉक फॉस्फेट डिपॉज़िट, उदयपुर ज़िला; आकल जीवाश्म उद्यान, जैसलमेर सहित 32 भू-विरासत स्थलों की घोषणा की है। कई भू-विरासत स्थल जीर्णावस्था में हैं।

विधेयक के प्रमुख बिंदु: 

  • भू-विरासत स्थलों की परिभाषा: 
    • यह मसौदा विधेयक भू-विरासत स्थलों को "भू-अवशेषों और घटनाओं, स्ट्रैटिग्राफिक प्रकार के वर्गों, भूवैज्ञानिक संरचनाओं एवं गुफाओं सहित भू-आकृतियों, राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय हित की प्राकृतिक रॉक-मूर्तियों वाली स्थलों" के रूप में परिभाषित करता है। इसमें इन स्थलों से सटे भूमि का ऐसा हिस्सा शामिल भी है, जो उनके संरक्षण अथवा ऐसे स्थलों तक पहुँचने के लिये आवश्यक हो सकता है।
  • भू-अवशेष: 
    • भू-अवशेष को "तलछट, चट्टानों, खनिजों, उल्कापिंड या जीवाश्मों जैसे भूवैज्ञानिक महत्त्व या रुचि के किसी भी अवशेष या सामग्री" के रूप में परिभाषित किया गया है।  
  • केंद्र सरकार का अधिकार: 
    • यह केंद्र सरकार को भू-विरासत स्थल को राष्ट्रीय महत्त्व का घोषित करने के लिये अधिकृत करेगा। 
    • यह भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन में उचित मुआवज़ा और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम, 2013 (RFCTLARR Act) के प्रावधानों के अंतर्गत होगा। 
  • भूमि धारक को मुआवज़ा:
    • इस अधिनियम के तहत किसी भी अधिकार के प्रयोग के कारण भूमि के मालिक या धारक को हुए नुकसान या क्षति के लिये मुआवज़े का प्रावधान किया गया है।
    • किसी भी संपत्ति का बाज़ार मूल्य RFCTLARR अधिनियम में निर्धारित सिद्धांतों के अनुसार निर्धारित किया जाएगा।
  • निर्माण पर प्रतिबंध: 
    • विधेयक भू-विरासत स्थल क्षेत्र के भीतर किसी भी इमारत के निर्माण, पुनर्निर्माण, मरम्मत या नवीकरण या किसी अन्य तरीके से ऐसे क्षेत्र के उपयोग पर प्रतिबंध लगाता है, सिवाय भू-विरासत स्थल के संरक्षण एवं रखरखाव के लिये निर्माण या जनता के लिये आवश्यक किसी भी सार्वजनिक कार्य को छोड़कर।
  • दंड: 
    • भू-विरासत स्थल में GSI के महानिदेशक द्वारा जारी किये गए किसी भी निर्देश के खंडन, परिवर्तन, विरूपता या उल्लंघन के लिये दंड का उल्लेख किया गया है।
    • इसमें छह माह तक की कैद या 5 लाख रुपए तक का ज़ुर्माना या दोनों लगाया जा सकता है। निरंतर उल्लंघन के मामले में प्रत्येक दिन के लिये 50,000 रुपए तक का अतिरिक्त ज़ुर्माना भी लगाया जा सकता है। 

चिंताएँ:

  • विधेयक में उल्लिखित अधिकारों के वितरण को लेकर चिंताएँ व्यक्त की गई हैं।
  • यह बताता है कि GSI के पास तलछट, चट्टानों, खनिजों, उल्कापिंडों और जीवाश्मों के साथ-साथ भूवैज्ञानिक महत्त्व के स्थलों सहित भूवैज्ञानिक महत्त्व की किसी भी सामग्री को प्राप्त करने का अधिकार है।  
  • इन स्थलों की सुरक्षा के उद्देश्य से किया जाने वाला भूमि अधिग्रहण स्थानीय समुदायों के साथ मतभेदों को जन्म दे सकता है। 

भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण:

  • इसकी स्थापना वर्ष 1851 में मुख्य रूप से रेलवे के लिये कोयला भंडार की खोज हेतु की गई थी।
  • पिछले कुछ वर्षों में यह न केवल देश में विभिन्न क्षेत्रों में आवश्यक भू-विज्ञान सूचनाओं के भंडार के रूप में विकसित हुआ है, अपितु इसने अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के रूप में भू-वैज्ञानिक संगठन का दर्जा  भी प्राप्त किया है।
  • GSI के मुख्य कार्य राष्ट्रीय भू-वैज्ञानिक सूचना और खनिज संसाधन मूल्यांकन एवं अद्यतन से संबंधित हैं।
  • इसका मुख्यालय कोलकाता में है और इसके छह क्षेत्रीय कार्यालय लखनऊ, जयपुर, नागपुर, हैदराबाद, शिलांग तथा कोलकाता में स्थित हैं। प्रत्येक राज्य की एक राज्य इकाई होती है।
  • वर्तमान में GSI खान मंत्रालय से संबद्ध कार्यालय है।

आगे की राह 

  • भूगर्भीय रूप से महत्त्वपूर्ण स्थलों की सुरक्षा के अलावा एक ऐसे कानून की आवश्यकता है जो विशेष रूप से भू-विरासत मूल्य के स्थलों की रक्षा करे क्योंकि भारत वर्ष 1972 से विश्व सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत के संरक्षण से संबंधित यूनेस्को कन्वेंशन का हस्ताक्षरकर्त्ता है।

स्रोत: द हिंदू

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