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भारतीय अर्थव्यवस्था

एयर इंडिया के लिये 470 एयरबस-बोइंग विमान

  • 16 Feb 2023
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नीति 2016, UDAN, UDAN 2.0, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया।

मेन्स के लिये:

भारत के विमानन क्षेत्र की स्थिति, विमानन क्षेत्र से संबंधित हालिया सरकारी पहल।

चर्चा में क्यों?

एयर इंडिया ने शीर्ष विमान निर्माता एयरबस (फ्राँस) और बोइंग (संयुक्त राज्य अमेरिका) से 470 यात्री विमान खरीदने हेतु लगभग 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर के दो बड़े सौदों की घोषणा की है।

भारत के लिये इस विमान सौदे का महत्त्व:  

  • यह सौदा विमानन क्षेत्र में विश्व नेता बनने की भारत की आकांक्षाओं को दर्शाता है, जिसे अगले 15 वर्षों में 2,000 से अधिक विमानों की आवश्यकता होने का अनुमान है।
  • यह 17 वर्षों में एयर इंडिया का पहला विमान ऑर्डर है और पहला A350 विमान वर्ष 2023 के अंत तक एयर इंडिया को दिया जाएगा।  
  • भारत की "मेक इन इंडिया-मेक फॉर द वर्ल्ड" दृष्टिकोण के तहत इस समझौते से भारत को विमानन उद्योग में तीसरे सबसे बड़े अभिकर्त्ता के रूप में स्थापित होने और एयरोस्पेस निर्माण क्षेत्र में नए अवसर प्राप्त होने की उम्मीद है।

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भारत के विमानन क्षेत्र की स्थिति:

  • परिचय:  
    • भारत का नागर उड्डयन विश्व स्तर पर सबसे तेज़ी से बढ़ते विमानन बाज़ारों में से एक है और वर्ष 2024 तक भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में प्रमुख कारक होगा।
    • वर्ष 2038 तक देश के हवाई जहाज़ के बेड़े को चौगुना कर लगभग 2500 हवाई जहाज़ों की क्षमता वाला बनाने का अनुमान है।
  • विमानन क्षेत्र से संबंधित हालिया सरकारी पहलें:
    • राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नीति (NCAP) 2016:  
      • वहनीयता और कनेक्टिविटी को बढ़ाकर राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नीति, 2016 के माध्यम से सरकार आम लोगों के लिये उड़ान सुविधा को सुलभ बनाने की योजना पर काम कर रही है।
        • यह व्यापार में सुगमता, विनियमन, सरलीकृत प्रक्रियाओं और ई-गवर्नेंस को बढ़ावा देता है।
      • क्षेत्रीय संपर्क योजना अथवा उड़ान ('उड़े देश का आम नागरिक') राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नीति, 2016 का एक महत्त्वपूर्ण घटक है।
    • उड़ान 2.0:
      • इसका उद्देश्य कृषि उपज और हवाई परिवहन के बेहतर एकीकरण एवं अनुकूलन के माध्यम से उत्पादों का उचित मूल्य प्राप्त करने तथा विभिन्न व गतिशील परिस्थितियों में कृषि-मूल्य शृंखला में स्थिरता एवं लचीलापन लाने में योगदान देना है।
    • पीपीपी मोड के माध्यम से परिसंपत्तियों का मुद्रीकरण: 
  • चुनौतियाँ:  
    • उच्च परिचालन लागत: भारतीय विमानन क्षेत्र के लिये प्रमुख चुनौतियों में से एक उच्च परिचालन लागत है। इसके कई कारक हैं, जैसे- ईंधन की उच्च कीमतें, हवाई अड्डा शुल्क और कर।
    • बुनियादी ढाँचे की बाधाएँ: भारतीय विमानन क्षेत्र को भी सीमित हवाई अड्डा क्षमता, आधुनिक हवाई यातायात नियंत्रण प्रणाली की कमी और अपर्याप्त ग्राउंड हैंडलिंग जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी का सामना करना पड़ता है।
    • नियामकीय ढाँचा: भारतीय विमानन क्षेत्र को नियामक ढाँचे से संबंधित चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है।  
      • यह क्षेत्र अत्यधिक विनियमित है और एयरलाइनों को विभिन्न विंडो के माध्यम से कई नियमों एवं विनियमों का पालन करना पड़ता है, जो जटिल तथा समय लेने वाला हो सकता है।

आगे की राह

  • प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना: भारतीय विमानन क्षेत्र दक्षता और यात्री सुविधा को बढ़ाने के लिये आधुनिक प्रौद्योगिकी के उपयोग से लाभ उठा सकता है। 
    • इसमें संचालन में सुधार, लागत कम करने और सुरक्षा बढ़ाने के लिये आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स एवं बिग डेटा एनालिटिक्स का उपयोग शामिल है।
  • दीर्घकालिक प्रथाओं को प्रोत्साहित करना: भारतीय विमानन क्षेत्र को पर्यावरण पर विमानन के प्रभाव को कम करने के लिये वैकल्पिक ईंधन के उपयोग और कार्बन उत्सर्जन को कम करने सहित दीर्घकालिक प्रथाओं को अपनाने की आवश्यकता है। 
  • क्षेत्रीय संपर्क को बढ़ावा देना: भारत सरकार को देश के दूर-दराज़ के क्षेत्रों से संपर्क बढ़ाने के लिये क्षेत्रीय हवाई अड्डों के विकास को प्रोत्साहन देने की आवश्यकता है।
    • इसके लिये एक क्षेत्रीय हवाई परिवहन नेटवर्क विकसित करने और इन क्षेत्रों में संचालन के लिये एयरलाइनों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता होगी।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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