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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

ग्लोबल वार्मिंग से बच सकते हैं कोरल रीफ

  • 14 Aug 2018
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

करेंट बायोलॉजी नामक जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, प्रवाल और पारस्परिक सूक्ष्म शैवाल के बीच संबंध जो कि उन्हें चट्टान के निर्माण में सक्षम बनाता है, पूर्व के अनुमानों की तुलना में काफी पुराना और अधिक विविधतापूर्ण है।

प्रमुख बिंदु

  • वैज्ञानिकों का कहना है कि समुद्री चट्टानों के आधुनिक समय के ग्लोबल वार्मिंग से बचने की उम्मीद की जा सकती है। वैज्ञानिकों ने पाया है कि प्रवाल-शैवाल साझेदारी ने डायनासोर के युग से लेकर कई जलवायु परिवर्तन की घटनाओं का सामना किया है।
  • पिछले अनुमानों के अनुसार, 50 से 65 मिलियन वर्ष पहले इन सहजीवी रिश्तों की शुरुआत हुई थी। यह शोध इंगित करता है कि आधुनिक प्रवाल और उनके शैवाल भागीदार एक-दूसरे के साथ लंबे समय (लगभग 160 मिलियन वर्ष पहले डायनासोर के समय से) से जुड़े हुए हैं।
  • सूक्ष्म शैवाल, जिसे आमतौर पर ज़ूज़ैंथेले कहा जाता है, प्रवाल की कोशिकाओं के अंदर रहता है, जिससे उन्हें सूरज की रोशनी से ऊर्जा प्राप्त करने और बड़े पैमाने पर आर्थिक रूप से मूल्यवान मूंगे की चट्टानी संरचनाओं का निर्माण करने की इजाज़त मिलती है, जिन पर अनगिनत समुद्री जीव आवास के लिये निर्भर रहते हैं।

आनुवंशिक साक्ष्य

  • सूक्ष्म शैवाल की उत्पत्ति की अनुमानित आयु की गणना करने के लिये वैज्ञानिक दल ने आनुवंशिक साक्ष्य का उपयोग किया, जिसमें डीएनए अनुक्रम, फाईलोजेनेटिक विश्लेषण और जीनोम तुलना शामिल है।
  • यह पता लगाने के लिये कि पुराना होने के अलावा, शैवाल परिवार पहले से कहीं अधिक विविधतापूर्ण है, वैज्ञानिकों ने पारंपरिक मॉर्फोलॉजिकल तकनीकों का भी उपयोग किया, जिसमें उन्होंने कंप्यूटर मॉडलिंग और अन्य तरीकों के साथ प्रकाश और इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी का उपयोग करके इन सहजीवियों की दृश्यमान विशेषताओं की तुलना की। 
  • यह एक महत्त्वपूर्ण तथ्य है क्योंकि कुछ सूक्ष्म शैवाल सहजीवियों में ऐसी विशेषताएँ होती हैं जो उन्हें पर्यावरण परिवर्तनों के प्रति अधिक लचीला बनाती हैं।
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