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भारत में कैंसर का प्रभाव

  • 04 Feb 2020
  • 8 min read

प्रीलिम्स के लिये:

WHO, विश्व कैंसर दिवस

मेन्स के लिये:

भारत में कैंसर से संबंधित मुद्दे, भारत में स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दे, स्वास्थ्य की दिशा में उठाए गए कदम

चर्चा में क्यों?

विश्व कैंसर दिवस के अवसर पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation- WHO) ने कैंसर पर दो वैश्विक रिपोर्ट् जारी की हैं। ध्यातव्य है कि 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • भारत में कैंसर के बोझ और पैटर्न पर WHO की रिपोर्ट्स (WHO Reports on Cancer Burdens and Patterns in India) का उद्देश्य कैंसर पर वैश्विक एजेंडा तैयार करना, हितधारकों को जुटाना और कैंसर नियंत्रण एवं सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज में निवेश के लिये देशों की प्राथमिकताएँ निर्धारित करना है।
  • WHO के अनुसार, कैंसर वैश्विक स्तर पर मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण है और वर्ष 2018 में हुई अनुमानित 9.6 मिलियन मौतों के लिये ज़िम्मेदार है। ध्यातव्य है कि वैश्विक स्तर पर 6 में से 1 मौत कैंसर के कारण होती है।

रिपोर्ट में निहित मुख्य बिंदु

  • WHO की रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रत्येक 10 में से 1 भारतीय अपने जीवनकाल में कैंसर के कारण प्रभावित होता है तथा भारत में प्रत्येक 15 कैंसर रोगियों में से 1 की मृत्यु हो जाती है।
  • वर्ष 2018 में भारत में कैंसर के बोझ और पैटर्न पर WHO की रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत की 1.35 बिलियन जनसंख्या में कैंसर के अनुमानतः 1.16 मिलियन तथा कैंसर से मृत्यु के 7,84,800 मामले सामने आए हैं।
  • रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत में कैंसर के 6 प्रमुख मामले स्तन का कैंसर (1,62,500 मामले), मुँह का कैंसर (1,20,000 मामले), सर्वाइकल कैंसर (97,000 मामले), फेफड़े का कैंसर (68,000 मामले), पेट का कैंसर (57,000 मामले) एवं कोलोरेक्टल कैंसर (57,000 मामले) के हैं। ध्यातव्य है कि यह कैंसर के कुल मामलों का 49% है।
  • रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत में पुरुषों में कैंसर के 5.70 लाख नए मामलों में मुँह का कैंसर (92,000 मामले), फेफड़े का कैंसर (49,000 मामले), पेट का कैंसर (39,000 मामले), कोलोरेक्टल कैंसर (37,000 मामले), और ग्रासनली का कैंसर (34,000 मामले) प्रमुख है जो पुरुषों में कैंसर के कुल नए मामलों का 45% है।
  • महिलाओं में कैंसर के 5.87 लाख नए मामलों में स्तन का कैंसर (1,62,500 मामले), सर्वाइकल कैंसर (97,000मामले), अंडाशयी कैंसर (36,000 मामले), मुँह का कैंसर (28,000 मामले) और कोलोरेक्टल कैंसर (20,000 मामले) प्रमुख है जो महिलाओं में कैंसर के कुल नए मामलों का 60% है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, तंबाकू से संबंधित कैंसर पुरुषों में कुल कैंसर मामलों का 34-69 प्रतिशत और महिलाओं में कुल कैंसर मामलों का 10-27 प्रतिशत है।
  • गौरतलब है कि पुरुषों के जीवन में 40 वर्ष से 70 वर्ष की आयु के दौरान मुँह के कैंसर की घटनाओं में वृद्धि देखी गई है जिसका मुख्य कारण सुपारी और पान मसाला युक्त पदार्थों को चबाना है।

विश्व कैंसर दिवस (World Cancer Day) से संबंधित तथ्य

  • विश्व कैंसर दिवस, अंतर्राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण के लिये संघ (Union for International Cancer Control- UICC) की एक पहल है।
  • विश्व कैंसर दिवस की शुरुआत 4 फरवरी, 2000 को पेरिस में न्यू मिलेनियम के लिये कैंसर के खिलाफ विश्व शिखर सम्मेलन (World Summit Against Cancer for the New Millennium) में हुई थी।
  • ध्यातव्य है कि पेरिस चार्टर का उद्देश्य अनुसंधान को बढ़ावा देना, कैंसर को रोकना, रोगी देखभाल सेवाओं में सुधार, जागरूकता बढ़ाना, वैश्विक समुदाय को कैंसर की रोकथाम के लिये संगठित करना और विश्व कैंसर दिवस को अपनाना है।
  • वर्ष 2020 में 20वाँ विश्व कैंसर दिवस मनाया जा रहा है और इस वर्ष इसका विषय (Theme) ‘I Am And I Will’ है।
  • विश्व कैंसर दिवस का उद्देश्य दुनिया भर में सरकारों और व्यक्तियों को इस बीमारी के खिलाफ कार्रवाई करने के लिये जागरूक बनाकर कैंसर से होने वाली मौतों को कम करना है|

cancer

कैंसर के कारण

  • कैंसर एक मल्टीस्टेज प्रक्रिया है जिसमें सामान्य कोशिकाएँ ट्यूमर कोशिकाओं में परिवर्तित हो जाती हैं।
  • कैंसर के प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं:
    • भौतिक कारक, जैसे- पराबैंगनी और आयनकारी विकिरण के संपर्क में आने से कैंसर होने का खतरा रहता है।
    • रासायनिक कारक, जैसे- एस्बेस्टस, तंबाकू के धुएँ के घटक, एफ्लाटॉक्सिन (एक खाद्य संदूषक) और आर्सेनिक युक्त जल का उपयोग कैंसर के प्रमुख कारणों में से एक है।
    • जैविक कारक, जैसे- वायरस, बैक्टीरिया या परजीवी से संक्रमण भी कैंसर का एक प्रमुख कारण है।

कैंसर से बचाव के उपाय

  • जीवनशैली में अनुकूल परिवर्तन।
  • वज़न को नियंत्रण में रखना।
  • सक्रिय बने रहना।
  • नियमित स्वास्थ्य जाँच एवं समय- समय पर कैंसर की जाँच कराना।
  • चेतावनी के संकेत एवं लक्षणों के बारे में जानना।
  • सुरक्षित यौन व्यवहार को अपनाना।
  • पर्यावरणीय कार्सिनोजेन तत्त्वों के जोखिम से बचाव।
  • धूम्रपान और शराब का सेवन न करना।
  • मसालेदार, तली हुई, संरक्षित और जंक फूड से परहेज करना।

आगे की राह

  • विभिन्न देशों की सरकारों को अपने देश के नागरिकों की कैंसर जैसी स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों को दूर करने हेतु जागरूकता अभियान, बेहतर उपचार एवं उपचार पश्चात् देखभाल की व्यवस्था करनी चाहिये।
  • चूँकि देश में तंबाकू के कारण होने वाले कैंसर के मामले ज़्यादा हैं, इसलिये धूम्रपान रहित तंबाकू पर अंकुश लगाने के लिये राज्यों द्वारा कड़े कदम उठाए जाने चाहिये।

स्रोत: द इंडियन एक्सप्रेस

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