मुख्य परीक्षा
सतत् विकास के लिये बायोचार-आधारित कार्बन कटौती
- 12 Aug 2025
- 56 min read
चर्चा में क्यों?
भारतीय कार्बन बाज़ार वर्ष 2026 में शुरू होने वाला है, इसलिये बायोचार जैसी CO₂ निष्कासन प्रौद्योगिकियाँ उत्सर्जन को कम करने और सतत् विकास सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिये तैयार हैं।
भारत के CO₂ उत्सर्जन से संबंधित प्रमुख आँकड़े क्या हैं?
- कुल उत्सर्जन: भारत का वैश्विक संचयी ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन (1850–2019) में केवल 4% योगदान है और इसकी प्रति व्यक्ति उत्सर्जन दर विश्व औसत का लगभग एक-तिहाई है।
- भारत ने अपनी GDP उत्सर्जन तीव्रता में 36% (2005-2020) की कमी की।
- चीन और अमेरिका के बाद भारत ग्रीनहाउस गैसों का तीसरा सबसे बड़ा उत्सर्जक देश है।
- उत्सर्जन हॉटस्पॉट:
- भारत का विद्युत क्षेत्र, जिसमें कोयला आधारित तापीय संयंत्रों का प्रभुत्व है, CO₂ उत्सर्जन का सबसे बड़ा स्रोत है, जो देश के ईंधन-संबंधी उत्सर्जन में लगभग 50% का योगदान देता है।
- परिवहन क्षेत्र, विशेष रूप से सड़क परिवहन, भारत के ऊर्जा-संबंधित CO₂ उत्सर्जन का लगभग 12% हिस्सा है।
- ये क्षेत्रीय रुझान यह दर्शाते हैं कि बड़े पैमाने पर CO₂ निष्कासन मार्गों को तेज़ी से अपनाना अत्यंत आवश्यक है। बायोचार जैसी समाधान विधियाँ उत्सर्जन की भरपाई करने और भारत के निम्न-कार्बन संक्रमण को समर्थन देने की दिशा में महत्त्वपूर्ण संभावनाएँ प्रदान करती हैं।
बायोचार के संभावित अनुप्रयोग क्या हैं?
- परिचय: बायोचार एक कार्बन-समृद्ध चारकोल है जो कृषि अवशेषों और कार्बनिक नगरपालिका अपशिष्ट के पायरोलिसिस के माध्यम से उत्पादित किया जाता है।
- भारत प्रतिवर्ष 600 मिलियन टन से अधिक कृषि अवशेष और 60 मिलियन टन नगरपालिका अपशिष्ट उत्पन्न करता है। इनमें से अधिकांश को जला दिया जाता है या फेंक दिया जाता है, जिससे वायु प्रदूषण और ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन होता है।
- इस अपशिष्ट का 30-50% बायोचार के लिये उपयोग करने से प्रतिवर्ष लगभग 0.1 गीगाटन CO₂-समतुल्य उत्सर्जन कम किया जा सकता है।
- बायोचार के संभावित अनुप्रयोग:
- कार्बन कैप्चर: बायोचार की स्थिर संरचना उसे मिट्टी में 100 से 1,000 वर्षों तक कार्बन को संग्रहीत (सीक्वेस्टर) करने में सक्षम बनाती है, जिससे यह एक प्रभावी दीर्घकालिक कार्बन सिंक बन जाता है। साथ ही यह मिट्टी में जैविक कार्बन को बढ़ाता है और क्षरित मिट्टी की बहाली में भी सहायक होता है।
- संशोधित बायोचार औद्योगिक निकास गैसों से CO₂ को अवशोषित कर सकता है, लेकिन इसकी दक्षता वर्तमान में पारंपरिक कार्बन कैप्चर प्रौद्योगिकियों से कम है।
- विद्युत उत्पादन: भारत में पायरोलिसिस के माध्यम से बायोचार उत्पादन से लगभग 20-30 मिलियन टन सिंगैस और 24-40 मिलियन टन बायो-ऑयल जैसे मूल्यवान सह-उत्पाद प्राप्त हो सकते हैं।
- सिंगैस से प्रतिवर्ष 8-13 टेरावाट-घंटा (TWh) विद्युत उत्पन्न की जा सकती है।
- बायो-ऑयल 12-19 मिलियन टन डीज़ल या केरोसीन का स्थान ले सकता है, जिससे कच्चे तेल के आयात में कमी और जीवाश्म ईंधन उत्सर्जन में 2% से अधिक की कटौती संभव है।
- कृषि: बायोचार के प्रयोग से विशेष रूप से अर्द्ध-शुष्क और पोषक तत्त्वों से रहित मृदा में जल धारण क्षमता में सुधार होता है। इससे नाइट्रस ऑक्साइड उत्सर्जन में 30-50% की कमी आती है, जो एक शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस है और CO₂ की तुलना में 273 गुना अधिक तापीय क्षमता रखती है, इसलिये इसके उत्सर्जन में कमी लाना जलवायु कार्रवाई के लिये अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
- निर्माण क्षेत्र: कंक्रीट में 2-5% बायोचार मिलाने से यांत्रिक मज़बूती बढ़ती है, ताप प्रतिरोध में 20% की वृद्धि होती है और प्रति घन मीटर लगभग 115 किलोग्राम CO₂ को अवशोषित करता है।
- अपशिष्ट जल उपचार: बायोचार प्रदूषित जल को साफ करने का एक किफायती तरीका है। भारत प्रतिदिन 70 बिलियन लीटर से अधिक अपशिष्ट जल उत्पन्न करता है, लेकिन 72% जल अनुपचारित रहता है।
- कार्बन कैप्चर: बायोचार की स्थिर संरचना उसे मिट्टी में 100 से 1,000 वर्षों तक कार्बन को संग्रहीत (सीक्वेस्टर) करने में सक्षम बनाती है, जिससे यह एक प्रभावी दीर्घकालिक कार्बन सिंक बन जाता है। साथ ही यह मिट्टी में जैविक कार्बन को बढ़ाता है और क्षरित मिट्टी की बहाली में भी सहायक होता है।
अन्य प्रमुख CO₂ निष्कर्षण तकनीकें क्या हैं?
- जैव-आधारित उपाय:
- वनरोपण और पुनर्वनीकरण: वायुमंडलीय CO₂ को अवशोषित करने के लिये बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण।
- कृषिवानिकी: कार्बन पृथक्करण और आजीविका लाभ के लिये फसलों/पशुपालन के साथ वृक्षों का समेकन।
- मृदा में कार्बन पृथक्करण: मृदा के जैविक कार्बन को बढ़ाने के लिये संरक्षित जुताई और कवर क्रॉपिंग जैसी प्रथाएँ।
- महासागर आधारित उपाय:
- कृत्रिम उपवाह/अववाह: पोषक तत्त्वों से भरपूर जल को सतह पर लाना या CO₂-युक्त सतही जल को गहराईयों में ले जाना।
- समुद्री शैवाल की कृषि और सिंकिंग: तेज़ी से बढ़ने वाले समुद्री शैवाल की कृषि करना, जिन्हें काटकर या सिंकिंग द्वारा कार्बन भंडारण के लिये उपयोग किया जाता है।
- कार्बन कैप्चर और स्टोरेज के साथ बायोएनर्जी (BECCS): यह बायोमास ऊर्जा को CO₂ कैप्चर और भूवैज्ञानिक संग्रहण के साथ जोड़ता है, जिससे नकारात्मक शुद्ध उत्सर्जन के साथ नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन संभव होता है।
- डायरेक्ट एयर कैप्चर (DAC): इसमें रासायनिक प्रक्रियाओं के माध्यम से सीधे वायु से CO₂ को निकाला जाता है, जिसे भूमिगत संग्रहण या उत्पादों के लिये उपयोग किया जाता है।
- उदाहरण: क्लाइमवर्क्स (स्विट्ज़रलैंड), कार्बन इंजीनियरिंग (कनाडा)।
- कार्बन कैप्चर, उपयोग और भंडारण (CCUS): CCUS औद्योगिक उत्सर्जन से CO₂ को कैप्चर करता है ताकि इसे पुन: उपयोग (सिंथेटिक ईंधन, निर्माण सामग्री) या भंडारण के लिये लिया जा सके।
मुख्य परीक्षा के लिये की-वर्ड
- हरित भविष्य के लिये काला सोना: कार्बन पृथक्करण और बेहतर मृदा स्वास्थ्य
- प्रकृति में कार्बन भंडार: पर्यावरणीय सह-लाभों के साथ दीर्घकालिक, स्थिर कार्बन भंडारण
- जैव ऊर्जा त्रिगुण: पायरोलिसिस द्वारा उत्पादित बायोचार, सिंथेटिक गैस और बायो-ऑयल
- चक्रीय कार्बन अर्थव्यवस्था: ऊर्जा और सामग्री उपयोग में चक्र को बंद करना
- खेत से ईंधन: स्थानीय ऊर्जा और आजीविका उत्पन्न करने वाली विकेंद्रीकृत ग्रामीण बायोचार इकाइयाँ
निष्कर्ष:
बायोचार और अन्य CO₂ निष्कासन तकनीकों को बढ़ावा देना, जलवायु चुनौती को सतत् विकास के अवसरों में बदल सकता है, जिससे भारत अपने पेरिस समझौते के लक्ष्यों को प्राप्त करने और एक निम्न-कार्बन, जलवायु-लचीला समुत्थानशील बनाने में सक्षम होगा।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न. भारत में बायोचार उत्पादन की ओर हाल ही में हो रहे प्रयासों के आलोक में, जलवायु परिवर्तन को कम करने में CO₂ निष्कासन तकनीकों की भूमिका पर चर्चा कीजिये। इनके बड़े पैमाने पर उपयोग से जुड़ी चुनौतियाँ और अवसर क्या हैं? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)
प्रिलिम्स:
प्रश्न. खेती में बायोचार का क्या उपयोग है? (2020)
- बायोचार ऊर्ध्वाधर खेती (Vertical Farming) में वृद्धिकर माध्यम के अंश के रूप में प्रयुक्त किया जा सकता है।
- जब बायोचार वृद्धिकर माध्यम के अंश के रूप में प्रयुक्त किया जाता है, तो वह नाइट्रोजन-यौगिकीकारी सूक्ष्मजीवाें की वृद्धि को बढ़ावा देता है।
- जब बायोचार वृद्धिकर माध्यम के अंश के रूप में प्रयुक्त किया जाता है, तब वह उस वृद्धिकर माध्यम की जलधारण क्षमता को अधिक लंबे समय तक बनाए रखने में सहायक होता है।
उपर्युक्त कथनाें में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर:(d)
प्रश्न. शर्करा उद्योग के उपोत्पाद की उपयोगिता के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (2013)
- खोई को, ऊर्जा उत्पादन के लिये जैव मात्रा ईंधन के रूप में प्रयुक्त किया जा सकता है।
- शीरे को, कृत्रिम रासायनिक उर्वरकों के उत्पादन के लिये एक भरण-स्टॉक की तरह प्रयुक्त किया जा सकता है।
- शीरे को, एथनॉल उत्पादन के लिये प्रयुक्त किया जा सकता है।
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये।
(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (c)