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भारत के IT क्षेत्र को आकार देने हेतु AI का उपयोग

  • 13 Aug 2025
  • 66 min read

प्रिलिम्स के लिये: कृत्रिम बुद्धिमत्ता, बड़े मल्टीमॉडल मॉडल, गैर-व्यक्तिगत डेटासेट, जनरेटिव एआई, MSME

मेन्स के लिये: आईटी क्षेत्र में AI का प्रभाव, भारत के आर्थिक विकास हेतु AI के अवसर और चुनौतियाँ, भारत की पारंपरिक अर्थव्यवस्था के लिये AI  द्वारा प्रस्तुत प्रमुख चुनौतियाँ

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

280 अरब अमेरिकी डॉलर का भारतीय IT क्षेत्र, जिसमें 58 लाख लोग कार्यरत हैं, एक बड़े परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है क्योंकि कृत्रिम बुद्धिमत्ता सेवा वितरण और व्यावसायिक संचालन में व्यापक बदलाव ला रहा है। हालाँकि इस बदलाव के कारण TCS ने अनुभवी नियुक्तियों को रोक दिया है और 12,000 नौकरियों में कटौती की है , जिससे भविष्य के कार्यबल और IT रोज़गार की बदलती प्रकृति को लेकर चिंताएँ बढ़ गई हैं।

IT क्षेत्र में AI के प्रमुख अनुप्रयोग क्या हैं?

  • उत्पादकता, स्वचालन और कार्यबल परिवर्तन: AI ने कोडिंग सहायकों और स्वचालित कोड जनरेशन (माइक्रोसॉफ्ट द्वारा गिटहब कोपायलट) जैसे उपकरणों के माध्यम से सॉफ्टवेयर विकास उत्पादकता में वृद्धि की है
    • AI नियमित IT कार्यों को स्वचालित करता है, त्रुटियों को कम करता है और दक्षता बढ़ाता है। उदाहरण के लिये UiPath एक अग्रणी रोबोटिक प्रोसेस ऑटोमेशन (RPA) टूल है जो दोहराए जाने वाले, नियम-आधारित कार्यों को स्वचालित करने के लिये AI का उपयोग करता है।
    • डेवलपर्स रणनीति, नैतिकता, डोमेन-विशिष्ट तर्क और सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करते हुए AI पर्यवेक्षकों के रूप में विकसित हो रहे हैं।
      • मैकिन्से का अनुमान है कि वर्ष 2030-2060 तक जनरेटिव AI वैश्विक कार्य गतिविधियों का लगभग 50% स्वचालित कर सकता है
  • उन्नत साइबर सुरक्षा और खतरे का पता लगाना: AI एल्गोरिदम वास्तविक समय में असामान्य पैटर्न का पता लगाते हैं ताकि खतरे की शीघ्र पहचान और रोकथाम की जा सकेमशीन लर्निंग मॉडल हमलों का पूर्वानुमान हेतु बड़े डेटासेट का विश्लेषण करते हैं , जबकि AI-संचालित प्रणालियाँ मनुष्यों की तुलना में तेज़ी से प्रतिक्रिया देती हैं, जिससे IT सुरक्षा मज़बूत होती है।
    • डार्कट्रेस का "एंटरप्राइज इम्यून सिस्टम" सामान्य नेटवर्क व्यवहार को सीखने के लिये AI का उपयोग करता है और असामान्य गतिविधियों, जैसे अप्रत्याशित फाइल स्थानांतरण या नए स्थानों से लॉगिन, को संभावित खतरों के रूप में चिह्नित करता है।
  • बेहतर डेटा प्रबंधन: AI बड़े, असंरचित डेटासेट के डेटा संग्रह, भंडारण और विश्लेषण को स्वचालित करता है, जिससे ग्राहक संबंध प्रबंधन (CRM) जैसे क्षेत्रों को ग्राहक व्यवहार को बेहतर ढंग से समझने और व्यवसाय विकास को बढ़ावा देने में सक्षम बनाता है
  • भविष्यसूचक अनुरक्षण (Predictive Maintenance): AI ऐतिहासिक डेटा का विश्लेषण करके हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर में संभावित असामान्यताओं का पूर्वानुमान लगाता है, जिससे अग्रिम रूप से अनुरक्षण किया जा सकता है। यह न केवल डाउनटाइम को कम करता है बल्कि IT  अवसंरचना की कार्यकाल क्षमता भी बढ़ाता है।
    • उदाहरण के लिये, स्प्लंक (Splunk) कंपनी प्रदर्शन डेटा से सिस्टम में आने वाली असामान्यताओं का पूर्वानुमान लगाने के लिये AI का उपयोग करती है, जिससे समय रहते अनुरक्षण संभव हो पाता है।

भारतीय IT क्षेत्र में AI अपनाने की प्रक्रिया की प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?

  • कौशल अंतर और कार्यबल विस्थापन: AI के तेज़ी से अपनाए जाने से एक बड़ा कौशल अंतर उत्पन्न हो गया है, जिसके चलते कार्यबल को AI टूल्स, डेटा साइंस, साइबर सुरक्षा और नैतिक AI में पुनःप्रशिक्षित करने की तत्काल आवश्यकता है।
    • साधारण कोडिंग, अनुरक्षण और बैक-ऑफिस से जुड़े कार्य स्वचालन के खतरे में हैं, जिससे कुछ क्षेत्रों में संभावित बेरोज़गारी तथा वेतन स्थिरता की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
    • विश्व आर्थिक मंच (WEF) की एक रिपोर्ट के अनुसार, AI और स्वचालन वर्ष 2025 तक लगभग 85 मिलियन नौकरियों को विस्थापित कर सकते हैं।
  • नियामकीय, नैतिक और सुरक्षा संबंधी चिंताएँ: AI प्रणालियों को पारदर्शी, निष्पक्ष और GDPR-अनुपालन (GDPR-compliant) बनाना परिचालन जटिलता को बढ़ाता है।
    • डेटा गोपनीयता और सुरक्षा की रक्षा अत्यंत महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि AI संवेदनशील डेटा को संसाधित करता है, जिसके लिये नियमित नैतिक ऑडिट तथा कड़ी जवाबदेही आवश्यक है।
    • भारत का डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 (DPDP Act) डेटा गोपनीयता के लिये एक फ्रेमवर्क प्रदान करता है, लेकिन AI मॉडल प्रशिक्षण हेतु बड़े पैमाने पर डेटा संग्रह और प्रसंस्करण में इसकी लागू होने की सीमा अभी स्पष्ट नहीं है।
  • पारंपरिक प्रणालियों के साथ एकीकरण की चुनौतियाँ: कई भारतीय IT कंपनियाँ पुरानी पारंपरिक अवसंरचना पर कार्य करती हैं, जिससे AI का एकीकरण जटिल, महंगा और समय-साध्य हो जाता है।
    •  AI-तैयार प्रणालियों में स्थानांतरित होने के लिये प्राय: मौजूदा आर्किटेक्चर का पूरी तरह पुनर्निर्माण करना पड़ता है, जिससे संचालन बाधित होता है और भारी निवेश की आवश्यकता पड़ती है।
  • वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा और अवसंरचना की कमी: फिलीपींस, वियतनाम और पूर्वी यूरोप से मिलने वाली AI प्रतिस्पर्द्धा भारत के लागत-आधारित लाभ को चुनौती देती है।
    • सीमित उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग, उन्नत शोध सुविधाएँ और AI अवसंरचना नवाचार की गति को धीमा करती हैं, विदेशी क्लाउड सेवाओं पर निर्भरता बढ़ाती हैं तथा डेटा संप्रभुता संबंधी चिंताएँ उत्पन्न करती है ।
    • इंडियाAI मिशन जैसी पहलें अवसंरचना को मज़बूत करने का प्रयास करती हैं, फिर भी भारत अब भी वैश्विक अग्रणी देशों से पीछे है।

भारत का IT क्षेत्र कृत्रिम बुद्धिमत्ता की क्षमता का प्रभावी ढंग से उपयोग कैसे कर सकता है?

  • सरकार-उद्योग सहयोग और पुनःकौशल विकास: सरकार को निजी क्षेत्र के साथ मिलकर AI कंप्यूटिंग अवसंरचना विकसित करनी चाहिये, जिसमें उच्च-प्रदर्शन GPU डेटा सेंटर शामिल हों।
    • AI प्रशिक्षण के लिये बड़े और उच्च-गुणवत्ता वाले डाटासेट तक पहुँच को आसान बनाना चाहिये, जैसा कि इंडियाAI मिशन के तहत AIKosh प्लेटफॉर्म में देखा गया है।
    • पूरे देश में AI, मशीन लर्निंग और उन्नत सॉफ्टवेयर विकास में कौशल विकास मिशन संचालित करना अनिवार्य है, ताकि कार्यबल की क्षमताएँ उद्योग की आवश्यकताओं तथा वैश्विक नैतिक मानकों के अनुरूप हो सकें।
  • AI-आधारित उत्पाद नवाचार को बढ़ावा देना: भारतीय IT फर्मों को उत्पादकता बढ़ाने के लिये AI का लाभ उठाना चाहिये, पारंपरिक सेवा-आधारित मॉडल से हटकर स्वामित्व वाले AI-संचालित उद्यम समाधान, क्लाउड सेवाएँ और साइबर सुरक्षा उत्पाद को विकसित करने की आवश्यकता है।
    • उदाहरण के लिये, ओला का AI उद्यम, क्रुट्रिम, अपना स्वयं का क्लाउड प्लेटफॉर्म विकसित कर रहा है।
  • PPP के माध्यम से AI अनुसंधान को बढ़ावा देना: AI अनुसंधान, बौद्धिक संपदा निर्माण और विशेष AI हब के विकास के लिये PPP को प्रोत्साहित करना।
    • सरकार को ऐसे डीप-टेक AI स्टार्टअप्स को वित्तपोषित करने को प्राथमिकता देनी चाहिये जो आधारभूत, उच्च-तकनीकी समाधानों पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
    • फंड ऑफ फंड्स योजना के अंतर्गत हाल ही में 10,000 करोड़ रुपए का आवंटन इस दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
  • नैतिक और व्याख्या योग्य AI: मज़बूत AI नैतिकता, डेटा गोपनीयता और पूर्वाग्रह शमन मानकों की स्थापना करना।
    • सरकारी नीतियों को AI अनुसंधान एवं विकास, स्टार्टअप विकास को प्रोत्साहित करना चाहिये तथा IT फर्मों को वैश्विक स्तर पर रणनीतिक AI समाधान भागीदार बनने के लिये प्रोत्साहित करना चाहिये।
    • इसके अलावा, ग्राहकों और नियामकों के साथ विश्वास बनाने के लिये व्याख्यात्मक AI (XAI) के उपयोग को बढ़ावा देना।

निष्कर्ष:

भारतीय आईटी क्षेत्र के लिये AI एक खतरा नहीं, बल्कि पुनर्निर्माण का उत्प्रेरक है। उद्योग को जनशक्ति-प्रधान आउटसोर्सिंग से ज्ञान-संचालित, AI-संचालित नवाचार की ओर रुख करना होगा। जो कंपनियाँ बदलाव को अपनाएँगी, प्रतिभा परिवर्तन में निवेश करेंगी तथा स्वयं को रणनीतिक AI साझेदार के रूप में स्थापित करेंगी, वे आने वाले वर्षों में भारत के तकनीकी नेतृत्व को आकार प्रदान करेंगी। यह दृष्टिकोण AI इम्पैक्ट समिट, नई दिल्ली, 2026 का मुख्य विषय होना चाहिये।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

आईटी क्षेत्र पर AI के प्रभाव का परीक्षण कीजिये। अवसर और चुनौतियाँ क्या हैं और भारत सतत् विकास के लिये AI का लाभ किस प्रकार उठा सकता है?

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न 1. विकास की वर्तमान स्थिति में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence), निम्नलिखित में से किस कार्य को प्रभावी रूप से कर सकती है? (2020)

  1. औद्योगिक इकाइयों में विद्युत की खपत कम करना  
  2. सार्थक लघु कहानियों और गीतों की रचना  
  3. रोगों का निदान  
  4. टेक्स्ट-से-स्पीच (Text-to-Speech) में परिवर्तन  
  5. विद्युत ऊर्जा का बेतार संचरण

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2, 3 और 5
(b) केवल 1, 3 और 4
(c) केवल 2, 4 और 5
(d) 1, 2, 3, 4 और 5

उत्तर: (b)


मेन्स:

प्रश्न. कृत्रिम बुद्धि (AI) की अवधारणा का परिचय दीजिये। AI क्लिनिकल निदान में किस प्रकार मदद करता है? क्या आप स्वास्थ्य सेवा में AI के उपयोग में व्यक्ति की निजता को कोई खतरा महसूस करते हैं? (2023)

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