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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

रोगाणुरोधी प्रतिरोध और वन हेल्थ

  • 07 Jul 2023
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO), संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP), विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (WOAH), वन हेल्थ दृष्टिकोण, रोगाणुरोधी प्रतिरोध, बहुऔषध-प्रतिरोधक तपेदिक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017, AMR पर राष्ट्रीय कार्ययोजना

मेन्स के लिये:

रोगाणुरोधी प्रतिरोध के कारण, वन हेल्थ दृष्टिकोण, रोगाणुरोधी प्रतिरोध से निपटने के उपाय

चर्चा में क्यों?  

हाल ही में चार प्रमुख एजेंसियों- खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO), संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP), विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (WOAH) ने रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) के गंभीर मुद्दे को संबोधित करने के लिये एक प्राथमिकता अनुसंधान एजेंडा शुरू करने की घोषणा की है। 

अनुसंधान एजेंडा के प्रमुख क्षेत्र: 

  • मुख्य उद्देश्य:  
    • विभिन्न क्षेत्रों और पर्यावरण में AMR संचरण के कारकों और उनके माध्यमों का पता लगाना। 
    • स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था एवं समाज के विभिन्न पहलुओं पर AMR के प्रभाव का आकलन और मूल्यांकन करना। 
    • प्रतिरोधी सूक्ष्मजीवों के कारण होने वाले संक्रमण से निपटने के लिये नए या बेहतर निदान, उपचार या टीकों के नवाचार और विकास पर ध्यान केंद्रित करना
  • क्रॉस-कटिंग थीम:  
    • अनुसंधान एजेंडा 3 क्रॉस-कटिंग थीम की पहचान करता है जिसके तहत वन हेल्थ AMR अनुसंधान, लिंग, कमज़ोर आबादी और स्थिरता पर विचार करने की आवश्यकता है।
      • लिंग संदर्भित करता है कि लोग रोगाणुरोधी (Antimicrobial) दवाओं तक कैसे पहुँचते हैं और उनका उपयोग कैसे करते हैं, वे AMR के संपर्क में कैसे आते हैं तथा उनसे कैसे प्रभावित होते हैं, वे AMR अनुसंधान में कैसे भाग लेते हैं और उससे लाभ उठाते हैं।
      • कमज़ोर आबादी उन लोगों के समूह को संदर्भित करती है जो उम्र, गरीबी, कुपोषण, विस्थापन, हाशिये पर रहने या गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल तक पहुँच की कमी जैसे विभिन्न कारकों के कारण प्रतिरोधी सूक्ष्मजीवों के संपर्क या संक्रमण के उच्च जोखिम में हैं।
      • स्थिरता का तात्पर्य मानव अधिकारों और कल्याण को सुनिश्चित करते हुए विकास के पर्यावरणीय, आर्थिक एवं सामाजिक आयामों को संतुलित करना है।
        • इसमें AMR की अंतर-पीढ़ीगत समानता और न्याय संबंधी निहितार्थों को भी ध्यान में रखना आवश्यक है।

रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR):

रोगाणुरोधी प्रतिरोध को संबोधित करने के लिये उपाय:

  • उन्नत निगरानी और नियंत्रण: प्रतिरोधी जीवों के उद्भव एवं प्रसार की निगरानी और नियंत्रण के लिये मज़बूत प्रणाली स्थापित करना। 
    • इसमें प्रतिरोध के पैटर्न पर नज़र रखना, एंटीबायोटिक के उपयोग पर डेटा एकत्र करना और हॉटस्पॉट की पहचान कर समय पर कार्रवाई करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जानकारी साझा करना शामिल है।
  • एंटीबायोटिक दवाओं का उचित उपयोग: मानव और पशु स्वास्थ्य में एंटीबायोटिक दवाओं के उचित उपयोग को बढ़ावा देना, यह सुनिश्चित करना कि केवल आवश्यक होने पर ही उनका उपयोग किया जाए।
    • स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को एंटीबायोटिक दवाओं  के लिये उचित दिशा-निर्देशों का पालन करने हेतु प्रोत्साहित करना, साथ ही जनता को अनावश्यक एंटीबायोटिक उपयोग के जोखिमों के बारे में शिक्षित किया जाना चाहिये।
  • संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण: स्वास्थ्य देखभाल परिस्थितियों में प्रभावी संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण प्रथाओं को लागू करना (हाथों की स्वच्छता, उचित साफ-सफाई और मानक सावधानियों को सुनिश्चित करना)।
    • संक्रमण को रोकने से एंटीबायोटिक दवाओं की आवश्यकता कम हो जाती है, परिणामस्वरूप AMR को रोका जा सकता है।
  • टीकाकरण कार्यक्रम: संक्रामक रोगों को रोकने और एंटीबायोटिक उपचार की आवश्यकता को कम करने के लिये टीकाकरण कार्यक्रमों को मज़बूत करना चाहिये।

'वन हेल्थ' दृष्टिकोण: 

  • परिचय:  
    • 'वन हेल्थ' लोगों, पशुओं के स्वास्थ्य, साथ ही पर्यावरण को संतुलित और अनुकूलित करने के लिये एक एकीकृत दृष्टिकोण है।
      • वैश्विक स्वास्थ्य खतरों को रोकना, भविष्यवाणी करना, इन खतरों का पता लगाना और प्रतिक्रिया देना विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण है।
    • वन हेल्थ दृष्टिकोण विशेष रूप से भोजन और जल की सुरक्षा, पोषण, ज़ूनोटिक के नियंत्रण (बीमारियाँ जो पशुओं और मनुष्यों के बीच फैल सकती हैं, जैसे- फ्लू, रेबीज़ और रिफ्ट-वैली बुखार), प्रदूषण प्रबंधन तथा रोगाणुरोधी प्रतिरोध से प्रतिरक्षा करने के लिये प्रासंगिक है
  • पहचान:  
    • मई 2021 में वन हेल्थ के मुद्दों पर FAO, UNEP, WHO और WOAH को सलाह देने के लिये वन हेल्थ हाई-लेवल एक्सपर्ट पैनल (OHHLEP) का गठन किया गया था।
    • इसमें उभरती बीमारियों के खतरों पर शोध और H5N1 एवियन इन्फ्लूएंज़ा, ज़ीका और इबोला जैसी बीमारियों के प्रकोप को रोकने के लिये दीर्घकालिक वैश्विक कार्ययोजना के विकास की सिफारिशें शामिल हैं।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-से, भारत में सूक्ष्मजैविक रोगजनकों में बहु-औषध प्रतिरोध के होने के कारण हैं? (2019)

  1. कुछ व्यक्तियों में आनुवंशिक पूर्ववृत्ति (जेनेटिक प्रीडिस्पोज़ीशन) का होना।
  2. रोगों के उपचार के लिये वैज्ञानिकों (एंटिबॉयोटिक्स) की गलत खुराकें लेना।
  3. पशुधन फार्मिंग प्रतिजैविकों का इस्तेमाल करना।
  4. कुछ व्यक्तियों में चिरकालिक रोगों की बहुलता होना।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: 

(a) केवल 1 और 2 
(b) केवल 2 और 3  
(c) केवल 1, 3 और 4  
(d) केवल 2, 3 और 4 

उत्तर: (b) 


मेन्स: 

प्रश्न. क्या एंटीबायोटिकों का अति-उपयोग और डॉक्टरी नुस्खे के बिना मुक्त उपलब्धता, भारत में औषधि-प्रतिरोधी रोगों के अंशदाता हो सकते हैं? अनुवीक्षण और नियंत्रण की क्या क्रियाविधियाँ उपलब्ध हैं? इस संबंध में विभिन्न मुद्दों पर समालोचनात्मक चर्चा कीजिये। (2014) 

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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