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डेली न्यूज़

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

रूस-यूक्रेन पर UNGA का प्रस्ताव

  • 03 Mar 2022
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

संयुक्त राष्ट्र महासभा, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय, संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों की प्रकृति।

मेन्स के लिये:

यूक्रेन-रूस युद्ध, भारत के हितों पर देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत ने यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की निंदा करने के लिये संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly- UNGA) द्वारा किये गए मतदान में हिस्सा नहीं लिया है। संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा एक प्रस्ताव पर चर्चा करने के लिये आपातकालीन विशेष सत्र बुलाया गया, जिसमें रूस से बिना शर्त अपने सैनिकों को वापस लेने का आह्वान किया गया ।

"यूनाइटिंग फॉर पीस" प्रस्ताव:

  • परिचय: संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव 377 (वी) को शांति प्रस्ताव के लिये एकजुट होने के रूप में जाना जाता है, जिसे वर्ष 1950 में अपनाया गया था। प्रस्ताव का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा खंड A है जिसमें कहा गया है कि जहाँ स्थायी सदस्यों की एकमत की कमी के कारण सुरक्षा परिषद , अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के रखरखाव के लिये अपनी प्राथमिक ज़िम्मेदारी का प्रयोग करने में विफल रहता है, महासभा इस मामले को स्वयं अपने अंतर्गत ले लेगी।
  • उत्पत्ति: संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा अक्तूबर 1950 में कोरियाई युद्ध के दौरान सोवियत वीटो को आगे बढ़ाने के एक साधन के रूप में शांति प्रस्ताव हेतु एकजुट होना शुरू किया गया।
  • उद्देश्य: इसके तहत UNGA ने खुद को शांति के लिये खतरों से निपटने की शक्ति प्रदान की, यदि UNSC किसी स्थायी सदस्य द्वारा वीटो के बाद कार्य करने में विफल रहता है।
  • आपातकालीन विशेष सत्र (ईएसएस): यदि सत्र नहीं है तो महासभा आपातकालीन विशेष सत्र के तंत्र का उपयोग करके बैठक कर सकती है। अब तक 11 आपात विशेष सत्र बुलाए गए हैं।
    • स्वेज संकट 1956 के दौरान यूएनएससी के प्रस्ताव 119 पर फ्राँस और ब्रिटेन के वीटो के बाद पहले ईएसएस को आयोजित किया गया था।

प्रमुख बिंदु

  • 96 देशों द्वारा सह-प्रायोजित इस प्रस्ताव को पारित होने के लिये उपस्थित और मतदान करने वालों सदस्य देशों में से दो-तिहाई मतों की आवश्यकता थी।
  • यह यूक्रेन पर रूस द्वारा 24 फरवरी, 2022 के 'विशेष सैन्य अभियान' की निंदा करता है।
  • इसमें कहा गया है कि बलपूर्वक हासिल किये गए किसी भी क्षेत्र को मान्यता नहीं दी जाएगी तथा रूस से यूक्रेन में "तुरंत बिना किसी शर्त के" सैन्य अभियान को रोकने का आह्वान किया गया है।

भारत का रुख और चिंताएँ:

  • संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी.एस. तिरुमूर्ति ने कहा कि भारतीय नागरिकों विशेष रूप से छात्रों के लिये "सुरक्षित और निर्बाध मार्ग (Safe and Uninterrupted passage)" सुनिश्चित करना भारत की "सर्वोच्च प्राथमिकता" है।
    • भारत ने "तत्काल युद्धविराम" तथा संघर्ष वाले क्षेत्रों में मानवीय सहायता प्रदान करने का भी आह्वान किया है।
    • भारत को उम्मीद थी कि रूस और यूक्रेन के बीच दूसरे दौर की बातचीत के सकारात्मक नतीजे निकलेंगे।
  • रूस की कार्रवाइयों ने भारत को असहज स्थिति में डाल दिया है क्योंकि यह रूस और पश्चिमी देशों दोनों के साथ अपने हितों को संतुलित करने का प्रयास करता है।
  • चीन तथा पाकिस्तान के साथ अपने अनुभवों को देखते हुए भारत एक देश की दूसरे पड़ोसी देश के साथ साझा की जाने वाली सीमाओं को बदलने के एकतरफा प्रयास को लेकर सावधान है।
  • भारत का आग्रह है कि सभी सदस्य देश संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों, अंतर्राष्ट्रीय कानून के प्रति प्रतिबद्धता और सभी राज्यों की संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करें।
  • उदाहरण के लिये भारत के कई पड़ोसी देशों ने प्रस्ताव का समर्थन किया, जैसे- भूटान, नेपाल और मालदीव। अफगानिस्तान, जो कि वर्तमान में एक आतंकवादी संगठन (तालिबान) द्वारा शासित है और म्याँमार, जो वर्तमान में जुंटा (सेना) द्वारा शासित है, ने भी इसके पक्ष में मतदान किया।
    • भारत की तरह बांग्लादेश, पाकिस्तान, श्रीलंका और चीन ने मतदान से परहेज किया।

क्या संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव बाध्यकारी हैं?

  • संकल्प और निर्णय संयुक्त राष्ट्र के अंगों की राय या इच्छा की औपचारिक अभिव्यक्ति हैं।
  • संकल्प की प्रकृति निर्धारित करती है कि क्या इसे राज्यों के लिये बाध्यकारी माना जाता है।
  • संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 10 और 14 में महासभा के प्रस्तावों को "सिफारिशें" कहा गया है।
    • अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) द्वारा महासभा के प्रस्तावों की ‘सिफारिशी प्रकृति’ पर बार-बार ज़ोर दिया गया है।
    • हालाँकि संयुक्त राष्ट्र के आंतरिक मामलों से संबंधित महासभा के कुछ प्रस्ताव- जैसे कि बजटीय निर्णय या निम्न-श्रेणी के अंगों को निर्देश, स्पष्ट रूप से बाध्यकारी हैं।
  • सामान्य तौर पर सुरक्षा परिषद द्वारा चार्टर के अध्याय VII के तहत कार्य करने वाले प्रस्तावों को चार्टर के अनुच्छेद 25 के अनुसार बाध्यकारी माना जाता है।
    • हालाँकि वे UNSC के स्थायी सदस्यों द्वारा प्रयोग किये जाने वाले वीटो के अधीन हैं।

आगे की राह

  • वैश्विक नेतृत्व के लिये भारत की आकांक्षाओं और "वसुधैव कुटुंबकम" के आदर्श वाक्य को देखते हुए भारत के लिये यूरोप में संघर्ष के साथ और अधिक गहराई से जुड़ना आवश्यक हो सकता है, जो अब एक वैश्विक चिंता का विषय है।

स्रोत: द हिंदू

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