लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली न्यूज़

शासन व्यवस्था

ग्रामीण विकास कार्यक्रम

  • 02 Mar 2020
  • 7 min read

प्रीलिम्स के लिये:

ग्रामीण विकास कार्यक्रम

मेन्स के लिये:

ग्रामीण विकास कार्यक्रमों के कार्यान्वयन से संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ग्रामीण विकास मंत्रालय ने विभिन्न ग्रामीण विकास कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में राज्यों के प्रदर्शन से संबंधित एक रिपोर्ट जारी की है।

प्रमुख बिंदु

  • प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार, समय पर मज़दूरी के भुगतान, ग्रामीण स्तर पर शिकायत निवारण, कौशल-निर्माण और बेहतर बाज़ार कनेक्टिविटी आदि देश में देश में ग्रामीण विकास कार्यक्रमों केंद्र में होने चाहिये।
  • इस रिपोर्ट में वर्ष 2018-19 में मुख्यतः निम्नलिखित ग्रामीण विकास योजनाओं में विभिन्न राज्यों के प्रदर्शन का आकलन किया गया है:
    • महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA)
    • प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण)
    • प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना
    • दीनदयाल उपाध्‍याय ग्रामीण कौशल्य योजना
    • श्‍यामा प्रसाद मुखर्जी रुर्बन मिशन
    • राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन
  • ज्ञात हो कि इन सभी कार्यक्रमों को केंद्र सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों के सतत् और समावेशी विकास के लिये राज्य सरकारों के माध्यम से लागू किया जा रहा है।

कार्यक्रमों का विश्लेषण

  • महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA)
    • महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम अर्थात् मनरेगा को भारत सरकार द्वारा वर्ष 2005 में राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम, 2005 (NREGA-नरेगा) के रूप में प्रस्तुत किया गया था। वर्ष 2010 में नरेगा (NREGA) का नाम बदलकर मनरेगा (MGNREGA) कर दिया गया।
    • मनरेगा कार्यक्रम के तहत प्रत्येक परिवार के अकुशल श्रम करने के इच्छुक वयस्क सदस्यों के लिये 100 दिन का गारंटीयुक्त रोज़गार, दैनिक बेरोज़गारी भत्ता और परिवहन भत्ता (5 किमी. से अधिक दूरी की दशा में) का प्रावधान किया गया है।
    • रिपोर्ट के अंतर्गत वर्ष 2014-15 से 2018-19 के मध्य मनरेगा को ग्रामीण गरीबों के लिये एक सफल कार्यक्रम के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
    • रिपोर्ट के मुताबिक सरकार के प्रयासों के कारण ही मनरेगा के तहत वर्ष 2018-19 में 69,809 करोड़ रुपए का रिकॉर्ड खर्च किया गया, जो कि इस कार्यक्रम के शुरू होने के बाद सबसे अधिक है।
    • हालाँकि स्वतंत्र विश्लेषकों द्वारा किये गए अध्ययन के अनुसार, वर्ष 2018-19 में मनरेगा देश के सूखाग्रस्त ज़िलों में किसी भी तरह की मदद करने में विफल रहा। ध्यातव्य है कि सरकार ने वर्ष 2020-21 में मनरेगा के बजट को भी घटा दिया है।
  • प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण)
    • प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (PMAY-G) को केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2015 में लॉन्च किया गया था। इस योजना का उद्देश्य पूर्ण अनुदान के रूप में सहायता प्रदान करके आवास इकाइयों के निर्माण और मौजूदा गैर-लाभकारी कच्चे घरों के उन्नयन में गरीबी रेखा (BPL) से नीचे के ग्रामीण लोगों की मदद करना है।
    • रिपोर्ट के अनुसार, PMAY-G के तहत लक्षित एक करोड़ घरों में से करीब 7.47 लाख घरों का निर्माण पूरा होना अभी शेष है। इसमें से अधिकतर घर बिहार (26 प्रतिशत), ओडिशा (15.2 प्रतिशत), तमिलनाडु (8.7 प्रतिशत) और मध्य प्रदेश (आठ प्रतिशत) में हैं।
    • रिपोर्ट के अंतर्गत राज्यों को समय-सीमा में सभी घरों को पूरा करने हेतु आवश्यक कदम उठाने के लिये कहा गया है।
  • प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY)
    • प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसे लागू करने की ज़िम्मेदारी ग्रामीण विकास मंत्रालय एवं राज्य सरकारों को दी गई है। इसे वर्ष दिसंबर 2000 में लॉन्च किया गया था।
    • इसका उद्देश्‍य निर्धारित आकार (2001 की जनगणना के अनुसार, 500+मैदानी क्षेत्र तथा 250+ पूर्वोत्‍तर, पर्वतीय, जनजातीय और रेगिस्‍तानी क्षेत्र) को सभी मौसमों के अनुकूल एकल सड़क कनेक्टिविटी प्रदान करना है ताकि क्षेत्र का समग्र सामाजिक-आर्थिक विकास हो सके।
    • रिपोर्ट के अनुसार, PMGSY ने अपना 85 प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त कर लिया है। अब तक, 668,455 किमी. सड़क की लंबाई स्वीकृत की गई है, जिसमें से 581,417 किमी. पूरी हो चुकी थी।
  • दीनदयाल उपाध्‍याय ग्रामीण कौशल्य योजना
    • दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना (DDU-GKY) गरीब ग्रामीण युवाओं को नौकरियों में नियमित रूप से न्यूनतम मज़दूरी के बराबर या उससे अधिक मासिक मज़दूरी प्रदान करने का लक्ष्य रखता है। यह ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार के द्वारा ग्रामीण आजीविका को बढ़ावा देने के लिये की गई पहलों में से एक है।
    • रिपोर्ट के अनुसार, योजना के तहत 1.87 लाख ग्रामीण युवाओं को प्रशिक्षित किया गया है अर्थात् केवल 59 प्रतिशत लक्ष्य ही प्राप्त किया जा सका है।
    • रिपोर्ट में राज्यों को ग्रामीण युवाओं के प्रशिक्षण को प्राथमिकता देने तथा लाभकारी रोज़गार तक पहुँच की सुविधा प्रदान करने की सलाह दी गई है।

निष्कर्ष

भारतीय अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति काफी चिंताजनक है। ऐसे में सरकार द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न ग्रामीण विकास कार्यक्रमों का महत्त्व काफी बढ़ जाता है। इन कार्यक्रमों के क्रियान्वयन के स्तर पर अभी कई खामियाँ मौजूद हैं, जिन्हें जल्द-से-जल्द संबोधित किया जाना आवश्यक है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2