लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली न्यूज़

भारतीय अर्थव्यवस्था

PLI योजना

  • 11 Apr 2022
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

नीति आयोग, PLI योजना

मेन्स के लिये:

PLI योजना और इसका महत्त्व, PLI योजना के मुद्दे

चर्चा में क्यों?

हाल ही में नीति आयोग ने उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजनाओं के तहत वित्तीय पुरस्कार प्राप्त करने वाली कंपनियों द्वारा मूल्यवर्द्धन को ट्रैक करने के उद्देश्य से मानकों के एक सेट को विकसित करने पर काम शुरू किया गया है।

  • सचिवों के अधिकार प्राप्त समूह को जून 2020 में स्थापित किया गया था, जिसे PLI योजनाओं में बाधाओं की पहचान करने, राज्यों और कंपनियों के बीच तेज़ी से अनुमोदन के लिये समन्वय करने, PLI योजनाओं में त्वरित निवेश का मूल्यांकन तथा परियोजनाओं के समग्र बदलाव को सुनिश्चित करने का काम सौंपा गया था।
  • समूह की अध्यक्षता कैबिनेट सचिव द्वारा की जाती है और नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, उद्योग एवं आंतरिक व्यापार विभाग के सचिव तथा संबंधित मंत्रालय के सचिव इसके सदस्य के रूप में शामिल हैं।

क्या है योजना?

  • सभी क्षेत्रों में PLI योजनाओं में प्रगति की निगरानी के लिये एक केंद्रीकृत डेटाबेस बनाने का प्रयास  करते हुए नीति आयोग ने एक बाह्य एजेंसी- राज्य के स्वामित्व वाली IFCI लिमिटेड या सिडबी के साथ  डेटाबेस तैयार करने की योजना बनाई है।
    • यह डेटाबेस मूल्यवर्द्धन, की गई प्रतिबद्धताओं के विरुद्ध वास्तविक निर्यात और रोज़गार सृजन को कवर करेगा।
  • राज्य स्तर पर बाधाओं को दूर करने के लिये एक डैशबोर्ड भी बनाया जाएगा।

PLI योजना के सामने क्या चुनौतियाँ हैं?

  • मानकों का कोई सामान्य सेट नहीं:
    • PLI योजना के तहत प्रोत्साहन प्राप्त करने या ऐसी संभावना वाली कंपनियों द्वारा मूल्यवर्द्धन को समझने के लिये कोई सामान्य मानदंड नहीं थे।
    • वर्तमान में विभिन्न मंत्रालय अपनी संबंधित PLI योजनाओं के मूल्यवर्द्धन की निगरानी करते हैं और दो अलग-अलग योजनाओं की तुलना करने का कोई स्थापित तरीका नहीं है।
    • इसके अलावा विभिन्न वितरण योग्य जैसे कि नौकरियों की संख्या ने निर्यात में वृद्धि और गुणवत्ता में सुधार किया है तथा इन सभी को मापने के लिये कोई केंद्रीकृत डेटाबेस उपलब्ध नहीं है।
  • कंपनियों के लिये प्रोत्साहन लक्ष्य में भी वृद्धि:
    • अपने क्षेत्र में कार्य कर रही कंपनियों के साथ बातचीत करने वाले विभागों और मंत्रालयों को भी कुछ विशिष्ट मुद्दों का सामना करना पड़ता है।
      • उदाहरण- कई बार कंपनियों के लिये प्रोत्साहन हेतु अर्हता प्राप्त करने का लक्ष्य बहुत अधिक होता है।
  • एक या दो आपूर्ति शृंखलाओं पर निर्भर घरेलू कंपनियाँ:
    • पिछले वित्त वर्ष तक केवल 3-4 कंपनियाँ ही स्वीकृत चौदह कंपनियों से पीएलआई योजना के लिये अर्हता प्राप्त करने हेतु संवर्द्धित बिक्री लक्ष्य (Incremental Sales Targets) हासिल करने में कामयाब रही थीं।
    • वैश्विक कंपनियों के विपरीत अधिकांश घरेलू कंपनियाँ एक या दो आपूर्ति शृंखलाओं पर निर्भर थीं, जो कि गंभीर रूप से बाधित हो गई हैं और बिना किसी गलती ये कंपनियाँ प्रोत्साहन हेतु योग्य नहीं होंगी।

‘उत्पादन-संबद्ध प्रोत्साहन’ योजना (PLI Scheme):

  • परिचय:
    • उच्च आयात प्रतिस्थापन और रोज़गार सृजन के साथ घरेलू विनिर्माण क्षमता को बढ़ाने के लिये PLI योजना की कल्पना की गई थी।
    • सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों हेतु PLI योजनाओं के तहत 1.97 लाख करोड़ रुपए अलग रखे तथा वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में सौर पीवी मॉड्यूल के लिये PLI हेतु 19,500 करोड़ रुपए का अतिरिक्त आवंटन किया गया है।
    • मार्च 2020 में शुरू की गई इस योजना ने शुरू में तीन उद्योगों को लक्षित किया था:
      • मोबाइल और संबद्ध घटक निर्माण
      • विद्युत घटक निर्माण 
      • चिकित्सा उपकरण
  • योजना के तहत प्रोत्साहन:
    • संवर्द्धित बिक्री के आधार पर गणना की गई प्रोत्साहन राशि, इलेक्ट्रॉनिक्स और प्रौद्योगिकी उत्पादों के लिये कम-से-कम 1% से लेकर महत्त्वपूर्ण प्रारंभिक दवाओं के संबंध में 20% तक है। 
    • उन्नत रसायन सेल बैटरी, कपड़ा उत्पाद और ड्रोन उद्योग जैसे कुछ क्षेत्रों में प्रोत्साहन की गणना पाँच वर्षों की अवधि में की गई बिक्री, प्रदर्शन एवं स्थानीय मूल्यवर्द्धन के आधार पर की जाएगी।
  • वे क्षेत्र जिनके लिये PLI योजना की घोषणा की गई है:
  • उद्देश्य:
    • सरकार ने चीन एवं अन्य देशों पर भारत की निर्भरता को कम करने के लिये इस योजना की शुरुआत की है।
    • यह श्रम प्रधान क्षेत्रों का समर्थन करती है और भारत में रोज़गार अनुपात को बढ़ाने का लक्ष्य रखती है।
    • यह योजना आयात बिलों को कम करने एवं घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये भी काम करती है।
      • PLI योजना विदेशी कंपनियों को भारत में अपनी इकाइयाँ स्थापित करने के लिये आमंत्रित करती है और घरेलू उद्यमों को अपनी उत्पादन इकाइयों का विस्तार करने हेतु प्रोत्साहित करती है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2