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शासन व्यवस्था

व्हिसल-ब्लोअर सुरक्षा कानून में सुधार

  • 04 Jan 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड

मेन्स के लिये:

व्हिसल ब्लोअर की सुरक्षा से संबंधित मुद्दे तथा कानून

चर्चा में क्यों?

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India-SEBI) ने 24 दिसंबर, 2019 को निवेशकों के हितों की सुरक्षा के लिये नए नियमों और व्यवस्था को अपनाने की घोषणा की।

मुख्य बिंदु:

  • सेबी के नए नियमों के अनुसार, नए तंत्र में निवेश के मामले में अंतरंग व्यापार/भेदिया कारोबार (Insider Trading) तथा अन्य गैर-कानूनी गतिविधियों के बारे में सूचना देने वाले (व्हिसल ब्लोअर) की जानकारी को गोपनीय रखने तथा सूचना प्रदाता को पुरस्कृत करने के की व्यवस्था की गई है।

भेदिया कारोबार (Insider Trading): किसी भी व्यक्ति द्वारा सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध कंपनी की प्रतिभूतियों में कंपनी के बारे में आतंरिक जानकारी (जो बड़े पैमाने पर जनता के लिये उपलब्ध नहीं है) के आधार पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से ट्रेडिंग करना, जो की कंपनी की प्रतिभूतियों के बाज़ार मूल्य को प्रभावित कर सकता है।

  • सेबी भेदिया कारोबार पर नियंत्रण के लिये समय-समय पर अंतरंग व्यापार प्रतिषेध विनियम [Prohibition of Insider Trading (PIT) Regulations]- 2015 के तहत सर्कुलर जारी करता है।
  • तकनीकी और वर्तमान ज़रूरतों को देखते हुए विशेषज्ञों एवं समितियों के सुझावों के आधार पर इस कानून में कई संशोधन भी किये गए हैं, जैसे- भेदिया कारोबार और कई अन्य मामलों पर टी. के. विश्वनाथन समिति के सुझाव।
  • यदि दी गई सूचना से 1 करोड़ रूपए या इससे से अधिक के गैर-कानूनी वित्तीय लाभ की अनियमितता का पता चलता है तो ऐसी स्थिति में व्हिसल ब्लोअर को ‘अंतरंग व्यापार के प्रतिषेध संबंधी विनियम (Prohibition of Insider Trading-PIT) Regulations के तहत पुरस्कृत किये जाने का प्रावधान है।
  • सेबी ने इस दौरान ऑफिस ऑफ इन्फॉरमेंट प्रोटेक्शन (Office of Informant Protection) की स्थापना की घोषणा की, यह एक स्वतंत्र कार्यालय है जिसका उद्देश्य स्वैच्छिक सूचना प्रकटीकरण फॉर्म (Voluntarily Information Disclosure Form-VIDF) के माध्यम से सूचनाएँ प्राप्त करना एवं उनका प्रसंस्करण करना है।

ऑफिस ऑफ इन्फॉरमेंट प्रोटेक्शन

(Office of Informant Protection-OIP):

  • इस कार्यालय की स्थापना के बाद कोई भी सूचना प्रदाता स्वेच्छा से किसी गैर-कानूनी गतिविधि की सूचना सेबी को VIDF के माध्यम से भेज सकता है।
  • सूचना देते समय सूचना प्रदाता को अपनी पहचान OIP के साथ साझा करना अनिवार्य होगा, परंतु यदि सूचना प्रदाता विधिक प्रतिनिधि के माध्यम से सूचना साझा करना चाहता है तो उस स्थिति में विधिक प्रतिनिधि व संबंधित संस्थान के बारे में जानकारी देनी होगी।
  • विधिक प्रतिनिधि के माध्यम से सूचना उपलब्ध करने की स्थिति में पुरस्कार प्राप्ति से पहले सूचना प्रदाता की जानकारी सेबी को देनी अनिवार्य होगी।
  • सूचना प्रदाता/व्हिसल ब्लोअर (whistleblowers): भारतीय कंपनी अधिनियम-2013 के अनुसार, किसी भी संस्थान में चल रही गैर-कानूनी गतिविधियों के बारे में नियामकों को सूचित करने की प्रक्रिया को व्हिसल ब्लोअर के रूप में परिभाषित किया गया है।
  • कौन हो सकता है सूचना प्रदाता/व्हिसल ब्लोअर : कोई भी व्यक्ति किसी संस्थान में चल रही अनियमितता की सूचना नियामकों तक पँहुचा सकता है, चाहे वह संस्थान में काम करता हो या नहीं। वह एक पूर्व कर्मचारी, हिस्सेदार, वकील अथवा सामाजिक कार्यकर्त्ता भी हो सकता है।
  • सूचना प्रदाता (व्हिसल ब्लोअर) संरक्षण अधिनियम (Whistleblowers Protection Act)-2014: यह अधिनियम सूचना प्रदाता की गोपनीयता तथा उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करने की व्यवस्था करता है, इस अधिनियम में सूचना प्रदाता के शोषण को रोकने के लिये कड़े प्रबंध किये गए हैं।

स्रोत: द हिंदू

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